तेरे बिना जिंदगी से कोई, रहे ना रहे हम महका करेंगे…ये गाने याद दिलाते हैं अदाकारा सुचित्रा सेन (Suchitra Sen) की. ये वो अदाकारा हैं जिन्होंने देवदास (Devdas), आंधी (Aandhi) जैसी बेहतरीन फिल्में दी. कहते हैं कि सुचित्रा इतनी स्वाभिमानी थीं कि मामूली वजह से बड़ी फिल्में ठुकरा देती थीं. सुचित्रा ने अपने हुनर से तो खूब नाम कमाया लेकिन एक फिल्म फ्लॉप होते ही उन्होंने अचानक इंडस्ट्री छोड़ दी. खुद को 36 सालों तक कमरे में बंद रखा और मरते दम तक दुनिया से छिपकर गुमनामी में जिंदगी जी।

1947 में सुचित्रा का परिवार आजादी की लड़ाई के समय बांग्लादेश से पश्चिम बंगाल पहुंचा था. यहां आते ही महज 15 साल की उम्र में सुचित्रा की शादी बिजनेसमैन दिबानाथ से हुई. अगले साल सुचित्रा ने बेटी मुनमुन सेन को जन्म दिया. 1955 की फिल्म देवदास से सुचित्रा हिंदी फिल्मों में आईं. 70 के दशक में जहां हर एक्ट्रेस राज कपूर के साथ काम करना चाहती थी, उस समय सुचित्रा ने इनकी फिल्म ठुकराई.

लगातार हिट फिल्में देते हुए सुचित्रा कामयाबी और शौहरत का लुत्फ उठा रही थीं, लेकिन इसका असर उनकी शादीशुदा जिंदगी पर पड़ने लगा. अनबन बढ़ी तो पति दिबानाथ उन्हें छोड़कर अमेरिका चले गए। साल 1970 में दिबानाथ का निधन हो गया।सुचित्रा ने फिल्मों में काम करना जारी रखा, लेकिन जैसे ही 1978 में आई फिल्म प्रोनोय पाश फ्लॉप हुई तो वो अचानक फिल्में छोड़कर गुमनामी में रहने लगीं.
सुचित्रा एक छोटे के कमरे में बंद रहने लगीं. उनका परिवार भी उनसे नहीं मिल सकता था. सुचित्रा ने अध्यात्म की राह पकड़ ली. उन्होंने खुद को ऐसा नजरबंद किया कि जब 2005 में उन्हें दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड मिला तो वो इसे लेने तक नहीं पहुंची। 24 जनवरी 2013 में सुचित्रा को लंग इन्फेक्शन के चलते लोगों से छिपाकर अस्पताल में भर्ती किया गया जहां एक महीने बाद 17 जनवरी 2014 में इनका निधन हो गया. अंतिम संस्कार के दिन सुचित्रा को देखने के लिए लाखों में भीड़ जमा थी, लेकिन यहां भी कोई उनका चेहरा नहीं देख पाया।
(साभार एबीपी न्यूज)
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