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FASTag Technology: कैसे काम करता है FASTag? क्या है इसका फंड़ा, कहां से कैसे कराएं KYC

FASTag Technology: कुछ समय से फास्टटैग टेक्नोलॉजी काफी चर्चा में है, और उसके पीछे का कारण है KYC, जिसकी आखिरी डेट है 29 फरवरी।

FASTag Technology: हाल ही में FASTag चर्चा में आ गया है और इस चर्चा के पीछे की वजह है KYC की आखिरी डेट और बाद में Paytm Bank पर की गई RBI की कार्रवाई जो इसकी चर्चा का विषय बन गया है। अब कई लोगों के मन में सवाल है FASTag काम कैसे करता है। ये Radio-Frequency Identification (RFID) टेक्नोलॉजी क्या होती है तो चलिए जानते है, इसके बारे में सब कुछ..

कैसे काम करता है?

RFID के थ्रू होती है पेमेंट

RFID का इस्तेमाल करके FASTag के जरिए पेमेंट होती है. इस टेक्नोलॉजी के तहत वीइकल पर एक स्टिकर लगा होता है और एक रीडर टोल बूथ पर होता है.

मिलेगा यूनिक नंबर

RFID स्टिकर जो इसमे लगा होता है वो एक यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर के साथ आता है, जो यूजर्स के प्रीपेड अकाउंट से लिंक होता है। यूजर्स को ये प्रीपेड अकाउंट क्रिएट करना या बनाना होता है।

ऐसे लगवा सकते हैं फास्टटैग स्टिकर

यूजर्स अपने प्रीपेड अकाउंट या फिर किसी बैंक या सर्टिफाइड एजेंसी से अकाउंट से वीइकल पर लगे हुए फास्टैग स्टिकर को लिंक करा सकते हैं।

स्टिकर को करता है स्कैन

ये एक आधुनिक टेक्नोलॉजी है, इसमें जैसे ही वीइकल किसी टोल प्लाजा के पास या किसी पार्किंग में पहुंचता है तो RFID रीडर गाड़ी पर लगे फास्टैग स्टिकर को डिटेक्ट कर लेता है उसको स्कैन करके पैसे डिडक्ट कर लेता है।

करना होता है रिचार्ज

यूजर्स को ट्रांजेक्शन की जानकारी SMS और ईमेल के जरिए मिल जाती है। यूजर्स को अपने प्रीपेड अकाउंट को रिचार्ज करते रहना पड़ता है और अगर बैंक अकाउंट से लिंक है तो उसमे से डिडक्ट हो जाते हैं।

ऑटोमेटिक होती है पेमेंट

इसके बाद यूजर के अकाउंट से टोल के चार्ज ऑटोमेटिक डिडक्कट हो जाता है और बिना परेशानी के टोल पर पैसे देने में समय नहीं लगता है।

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