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Child Mobile Addiction : इसे करने से छूट जाएगी बच्चों की मोबाइल फोन चलाने की आदत

Child Mobile Addiction : पैरेंट्स को ध्यान रखना चाहिए कि उनकी कौनसी आदत बच्चों पर नेगेटिव इफेक्ट्स डाल सकती हैं। बच्चों के सामने केवल जरूरत के समय ही फोन का इस्तेमाल करें।

Child Mobile Addiction : जैसे-जैसे हम आधुनिकता की सीढ़ियां चढ़ते जा रहे हैं। ठीक उसी रफ्तार में हमारे बच्चे शारीरिक खेल कूद से दूर होकर मोबाइल फोन और गैजेट के एडिक्ट होते जा रहे हैं। आज का समय डिजिटल का है, ऐसे में घरों में हर मेंबर के हाथ में मोबाइल फोन रहता है। इस तरह बच्चे के पैदा होते ही उसके चारों तरफ उसे खिलौने के स्थान पर आकर्षक गैजेट दिखाई पड़ते हैं। जिससे बच्चा मोबाइल फोन को पकड़ने के लिए आकर्षित होता है। फिर धीरे-धीरे बच्चा मोबाइल फ़ोन का आदी हो जाता है। ऐसे में माता-पिता के लिए बच्चे के हाथ से फोन छुड़ाना बड़ी चुनौती बन गई है। बच्चों में मोबाइल एडिक्ट की समस्या 2 साल से लेकर 10 साल तक गंभीर होती जा रही है। खासकर 5 साल तक के बच्चों के हाथ से मोबाइल लेना काफी मुश्किल हो जा रहा है। यहां हम अपको कुछ आसान टिप्स बताएंगे, जिनसे बच्चा खुद ही मोबाइल छोड़ देगा।

बच्चों का बनाएं बिजी शेड्यूल

आजकल बच्चे सबसे पहले स्मार्ट फोन पकड़ना सीखते हैं और उसके बाद टीवी का रिमोट। मजाल है कि कोई उनसे ये दोनों चीजें छीनकर दिखा दे फिर देखिए घर में घमासान। बच्चों के हाथ में मोबाइल फोन और उनके टीवी स्क्रीन की लत कहीं न कहीं उनकी आंखों के साथ-साथ उनके मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती है। अगर आपका बच्चा भी हाथ में फोन लेकर देने से मना करता है और पूरा दिन टीवी पर चिपका रहता है तो आप इन आसान तरीकों से इस मुसीबत से छुटकारा पा सकते हैं। आप सबसे पहले एक लिस्ट या फिर शेड्यूल तैयार कीजिए और उसके हिसाब से पूरा दिन बच्चों को काम करने के लिए कहिए। इस लिस्ट में आप ऐसी चीजों को शामिल कीजिए, जो उन्हें अधिक प्रोडक्टिव बनाए और उन्हें नए चीजें सीखने का मौका दे।

बच्चे के रोने पर ना पड़ें कमजोर

कई बार बच्चें मोबाइल यूज करने के इतने आदी होते हैं कि उनके हाथ से मोबाइल लेते ही बच्चें रोना शुरू कर देते हैं। लेकिन आप बच्चों को चुप कराने के लिए फिर से मोबाईल फोन दे देते हैं। अगर आप असल में चाहते हैं कि आपका बच्चा मोबाइल फोन और टीवी की लत छोड़ दे तो आपको थोड़ी सख्ती दिखाने की जरूरत है। जी हां, आपकी सख्ती ही आपके बच्चे की ढीठपने को कम कर सकती है। इसके लिए भले ही आपको अपने बच्चे को थोड़ी देर के लिए रोता ही हुआ देखना पड़े और उसके नखरे ही क्यों न उठाने पड़े। मगर आप बच्चे की जिद के आगे कमजोर न पड़े और उसे मोबाइल मांगने पर बिल्कुल न दें। अगर आप उसके रोने से मोबाइल फोन दे देंगे तो बच्चा महफूज हो जाएगा कि रोने से उसकी विश पूरी होगी।

बच्चों के सामने आप भी कम चलाएं फ़ोन

छोटे बच्चें अच्छी या गलत आदतें अपने घर से ही सीखते हैं। इसलिए पैरेंट्स को ध्यान रखना चाहिए कि उनकी कौनसी आदत बच्चों पर नेगेटिव इफेक्ट्स डाल सकती हैं। बच्चों के सामने केवल जरूरत के समय ही फोन का इस्तेमाल करें। असमय मोबाईल चेटिंग और रील विडियोज वॉच ना करें। अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा मोबाइल फोन, टीवी स्क्रीन या फिर अन्य डिजीटल उपकरणों से दूर रहे तो आपको खुद को भी उनसे दूरी बनानी होगी। जी हां, आपको अपने मोबाइल फोन और स्क्रीन टाइम को कम करना होगा ताकि उसका प्रभाव सीधे आपके बच्चे पर पड़े। क्योंकि आपका बच्चा आपसे ही सीखता है। इसलिए उसे अच्छी आदतों का उदाहरण दें।

बच्चों का रखें बिजी शेड्यूल 

अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा पूरे दिन मोबाइल फोन या फिर टीवी के रिमोट से दूर रहे तो उन्हें बिजी रखें। उन्हें बाहर खेलने जाने दें, योगा कराएं, उन्हं एक्सरसाइज करने के लिए कहें और तो और आप उन्हें किताबें पढ़ना भी सीखा सकते हैं। ये चीजें बच्चों को ऊर्जा से भरपूर रखने के साथ-साथ फिट भी रखेगी।

आऊटडोर गेम्स के लिए करें प्रेरित 

बच्चों से मोबाइल फोन और टीवी का रिमोट लेने का बढ़िया तरीका है कि उन्हें बाहर जाने के लिए खुला छोड़ दें। जब बच्चे बाहर खेलेंगे तो उन्हें फ्रेश रहने में मदद मिलेगी और दिमाग बिल्कुल भी मोबाइल या टीवी की तरफ नहीं जाएगा। इसलिए जितना हो सके बच्चे को खुला छोड़ दें।

क्या कहते हैं साइकोलॉजिस्ट 

साइकोलॉजिस्ट एक्सपर्ट बताते हैं कि जब तक बच्चा 18 से 24 महीने का नहीं हो जाता है तब तक उसे मोबाइल फोन और टीवी स्क्रीन से दूर ही रखना चाहिए। ये उम्र उनकी आंखों के लिए रोशनी को सहन करने वाली हो जाती हैं। इस उम्र से पहले बच्चों को मोबाइल फोन न पकड़ाएं। एक बार जब आपके बच्चे को मोबाइल फोन की लत पड़ जाती है तो उसे ठीक कर पाना मुश्किल हो जाता है। इसलिए एक ऐसी योजना पहले से तैयार कर के रखें, जिसकी मदद से आप अपने बच्चे को मोबाइल फोन से दूर रख सके।

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