Child on Internet: आज के समय में ज्यादातर बच्चे अपना समय स्मार्टफोन, टैबलेट और लैपटॉप जैसे उपकरणों के साथ ही बिताते हैं। बच्चे के हाथ में लगातार गैजेट्स होने से उनकी आंखों, शरीर और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। वहीं इसके अलावा गैजेट अक्सर इंटरनेट पर भी खतरा पैदा करते हैं।
बच्चों को इंटरनेट से रखें सुरक्षित
बच्चों के हाथ में मोबाइल होने से वे इंटरनेट पर पोर्न देखने के लिए भी बहुत आसानी से पहुँच सकते हैं। जिसकी वजह से अक्सर बच्चे गलत रास्ता चुन लेते हैं। ऐसे में मां-बाप अक्सर अपने बच्चे की जिद से हार जाते हैं। हर समय उनसे फोन या दूसरे उपकरण नहीं छीन सकते हैं। इसलिए बच्चों को इंटरनेट और फोन से सुरक्षित रखने के लिए माता-पिता को कुछ उपायों को अपनाना होगा।
अडल्ट कंटेंट को रोकने की सेटिंग
अपने बच्चों के लिए फोन को सेफ बनाने के लिए आपको सबसे पहले एंड्रॉयड के गूगल प्ले रेस्ट्रिक्शन को ऑन करना होगा। इसके जरिए बच्चे ऐसे गेम और ऐप को डाउनलोड नहीं कर पाएंगे। क्योंकि यह उनकी उम्र के लिए सहीं नहीं होता है।
Parental Controls एप खोजें
इसके लिए पहले बच्चे के डिवाइस पर Google Play Store खोजें। फिर लेफ्ट कॉर्नर में स्थित विकल्पों पर जाएं, इसके बाद आपको “Parental controls” का ऑप्शन मिलेगा। टैप करने पर आपको PIN चुनने को कहा जाएगा। मां-बाप पिन सेट करके पैरेन्टल कंट्रोल सेटिंग बदल सकते हैं। एक बार पिन सेट हो जाने के बाद, आप हर कैटेगरी पर उम्र के आधार पर प्रतिबंध लगा सकते हैं, जो स्टोर पर निर्धारित है। बस याद रखें कि अपने बच्चे को ये PIN नहीं बताना चाहिए।
सोशल मीडिया सेटिंग्स में करें बदलाव
इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म आपको पेरेंटल कंट्रोल का विकल्प भी देते हैं। अगर आप सोशल मीडिया ऐप्स पर पेरेंटल कंट्रोल ऑन करते हैं। तो आप आसानी से बच्चों की गतिविधियों को देख सकते हैं और उन्हें गलत चीजों को देखने से रोक सकते हैं।
एक अलग इमेल आईडी है आवश्यक
मां-बाप अक्सर अपनी सुविधा के लिए अपने बच्चों को ई-मेल आईडी से सभी ऐप चलाने की अनुमति देते हैं। किंतु बच्चों की निजी ई-मेल आईडी बनाना अधिक सुरक्षित है। इससे पेरेंट्स आसानी से अपने बच्चों को गलत विज्ञापनों से दूर रख सकते हैं और उनकी इंटरनेट क्रियाओं को भी देख सकते हैं।
बच्चों को इंटरनेट सुरक्षा के लिए सुझाव
यदि आप अपने बच्चे को मोबाइल फोन देते हैं, तो उसे इंटरनेट सुरक्षित रखने के बारे में बताते रहें। बच्चों को वायरस, मैलवेयर, साइबर क्राइम और ऑनलाइन भुगतान से जुड़े धोखाधड़ी से अवगत कराएं, साथ ही उन्हें कैसे उन धोखाधड़ी को पहचानने के तरीके सिखाएं।
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