Cholesterol Control: कोलेस्‍ट्रोल कंट्रोल में रहे तो सेहत भी रहेगी अच्‍छी

Cholesterol Control: अनेक समस्‍याओं को जन्‍म देता है कोलेस्‍ट्रोल का असंतुलित हो जाना। जानिए कार्डियोलाजी सोसाइटी आफ इंडिया ने कोलेस्ट्राल नियंत्रण को लेकर क्‍या गाइडलाइन दिए हैं। 

Cholesterol Control: कोलेस्ट्रॉल एक मोम जैसा चिपचिपा पदार्थ  है। जो कुछ चिकनाई वाली चीजें हम खाते हैं उनसे यह बनता है। यानी आप अपने खानपान पर ध्‍यान रखें तो कोलेस्‍ट्रोल को अनि‍यंत्रित होने से रोक सकते हैं। वैसे तो यह शरीर के लिए जरूरी है पर इसकी अधिक मात्रा आपके सेहत को  नुकसान पहुंचा सकता है। कार्डियोलाजी सोसाइटी आफ इंडिया ने हाल ही में कोलेस्ट्राल नियंत्रण को लेकर सतर्क किया है। इस संबंध में कुछ गाइडलाइन भी दी गयी है। आइए जानें कि वह क्‍या है और आपको किन बातों का ध्‍यान रखना चाहिए।

क्‍या है कोलेस्ट्राल असंतुलन

कोलेस्ट्राल असंतुलन ज्‍यादातर जेनेटि‍क मानी जाती है। बता दें कि करीब सत्‍तर प्रतिशत कोलेस्ट्राल शरीर में ही बनता है, बाकी जो 30 प्रतिशत है वह हमारे खानपान के कारण बनता है। कोलेस्‍ट्रोल लीवर में तैयार होता है।

करें नियमित जांच

आपकी सेहत से जुड़ा कोई जोखिम, जैसे-ब्लडप्रेशर,डायबिटीज, हृदय संबंधी या कोई आनुवांशिक स्वास्थ्य समस्या है तो आपको कोलेस्ट्राल की जांच नियमित कराना चाहिए। गाइडलाइन के अनुसार, 18 वर्ष की आयु के बाद सभी वयस्कों को कोलेस्ट्राल की जांच एक बार जरूर करा लेनी चाहिए।

तीन माह में एक बार

अगर आपको किसी प्रकार की तकलीफ है तो डॉक्‍टर आपको कोलेस्‍ट्रोल की जांच कराने कहते हैं। यदि आप कोलेस्‍ट्रोल नियंत्रण के लिए किसी दवा का सेवन कर रहे हैं तो तीन महीने में एक बार आपको उसका पता करने के लिए जांच करा लेना चाहिए। जब कोलेस्‍ट्रोल नियंत्रित हो जाए तो आपको साल में एक बार इसकी जांच करानी चाहिए।

क्‍या होते हैं लक्षण

कुछ जेनेटिक कारणों से कोलेस्ट्राल बढ़ जाता है। आमतौर पर एलडीएल 200-250 तक पहुंच जाता है। जब कोलेस्ट्राल अत्यधिक बढ़ जाए तो आपको कुछ लक्षण दिख सकते हैं जैसे कि  कोहनी, हाथों, आंखों के किनारों और कंधों की त्वचा पर नोड्यूल्स दिखने लगते हैं।

बीमारियों का बढ़ता है जोखिम

बढ़ा हुआ कोलेस्ट्राल हृदय और अन्य अंगों को प्रभावित कर सकता है। यह रक्त वाहिकाओं में जमा हो जाए तो नसों में ब्लाकेज हो जाता है। इसे ऐथरोस्क्लरोसिस कहा जाता है। इसके कारण सबसे अधिक समस्या हृदय और मस्तिष्क से जुड़ी होती है। इससे हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक का जोखिम बना रहता है।

यह भी पढ़ें- सेहत के लिए जामुन क्यों है छोटा पैकेट बड़ा धमाका, जानिए इसके 5 चमत्कारिक फायदे  

खानपान का रखें ध्‍यान

  • उच्च वसा वाले भोजन से परहेज करें।
  • घी, मक्खन, अन्य वनस्पति तेलों के सेवन करने में सावधान रहें।
  • अंडों और नानवेज आदि का सीमित सेवन करें।
  • शरीर को जितनी ऊर्जा की आवश्यकता है, उसके 10 प्रतिशत से कम फैट होना चाहिए और सात प्रतिशत से भी कम कोलेस्ट्राल होना चाहिए। तले-भुने खाद्य, जंक फूड,पिज्जा, बर्गर, पाश्ता में फैट होता है।
  • सरसों, कैनोला और आलिव आयल का प्रयोग बेहतर है। कुछ अन्य वनस्पति तेलों का भी प्रयोग कर सकते हैं।
  • तेलों को बदल-बदल कर सेवन करना चाहिए, क्योंकि इसमें कुछ जरूरी फैटी एसिड होते हैं, जो कोशिकाओं और शरीर के विकास में उपयोगी हैं।
  • फुल क्रीम दूध, पनीर और अन्य डेरी उत्पाद का सेवन कम रखें।
  •  फलों और सब्जियों का सेवन अधिक करना चाहिए।
  •  बादाम, अखरोट में अनसेचुरेटेड फैट होते हैं, इनका सेवन लाभकारी है।
  •  शारीरिक श्रम करें। प्रतिदिन 40 मिनट और हफ्ते में कम से कम पांच दिन ब्रिस्क वाक, स्विमिंग, साइकिलिंग, रनिंग करें।

यह भी पढ़ें- सुबह- सुबह करें ये 7 काम, बनी रहेगी शरीर की मजबूती और तेज दिमाग..

(डिस्क्लेमरयहां दी गई जानकारी Aaj Ka Rashifal 19 July 2024 ज्योतिष पर आधारित है। यहां केवल सूचना के लिए दी जा रही है। Vidhan News इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें।)

- Advertisement -

Related articles

Share article

- Advertisement -

Latest articles