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Treatment For Club Foot : क्‍लब फुट बीमारी में चाइल्‍ड पीजीआई जगा रहा एक नई उम्‍मीद

Treatment For Club Foot : नोएडा के सेक्‍टर 30 स्थित चाइल्‍ड पीजीआई अस्थि रोगों के लिए पश्चिमी यूपी में सेंटर ऑफ एक्‍सीलेंस के रूप में उभरा है। यहां क्‍लब फुट का सफलतापूर्वक इलाज हो रहा है। 

Treatment For Club Foot

Treatment For Club Foot : हाल ही में नोएडा के सेक्‍टर 30 स्थित चाइल्‍ड पीजीआई में क्‍लब फुट दिवस मनाया गया। यह दिवस डॉ इग्नासओ पोंसेटी के जन्‍म दिवस के अवसर पर विश्‍व भर में मनाया जाता है। डॉ इग्नासओ पोंसेटी ने बिना ऑपरेशन के प्‍लास्‍टर की मदद से क्‍लब फूट का इलाज किया था और इसके लिए उन्‍हें विश्‍व भर में इसकी ख्‍याति मिली। उनके द्वारा इजाद की गयी यह करिश्‍माई तकनीक आज भी हर जगह प्रचलित है।

क्‍लब फुट दिवस पर आयोजित इस कार्यक्रम में एक रोचक मैजिक शो भी दिखाया गया और वहां मौजूद चार्ली चैप्‍लिन बने पात्र ने बच्‍चों को खूब हंसाया और गुदगुदाया। बता दें कि संस्‍था के निदेशक मान‍नीय प्रोफेसर एके सिंह ने बच्‍चों को उपहार भेंट कर बच्‍चों के माता पिता का मनोबल बढ़ाया। CURE India के डायरेटर डॉ. संतोष जॉर्ज, जो विगत 15 सालों से क्‍लब फूट के क्षेत्र भारत के सभी सरकारी हॉस्पिटल और मेडिकल कॉलेज से जुड़े हैं, उन्‍होंने भी बच्‍चों के माता पिता का उत्‍साह बढ़ाने का काम किया।

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क्‍या है क्‍लब फुट बीमारी

CURE India क्लब फुट से पीडि़त बच्‍चों के इलाज के बाद braces फ्री में देता है। इससे इलाज का खर्चा भी बहु त कम हो जाता है। यह उल्‍लेखनीय है कि क्‍लब फुट इंसानों में सबसे अधिक मात्रा में पायी जाने वाले जन्‍मजात विकृति‍ है। यह प्रत्‍येक 1000 बच्‍चों में 1-3 बच्‍चों में पायी जाती है। हर वर्ष भारत में 60 हज़ार बच्चे इस समस्‍या के साथ पैदा होते हैं। बता दें कि इस विकृति के कारण पैर के पंजे की बनावट गोल्फ के क्लब की तरह दखती है, इसीलए इसे क्लब फुट कहते हैं।

जगी है नई आशा की किरण

पोंसेटी की इलाज विधि ने दुनिया भर में इस बीमारी के इलाज को लेकर आशा की किरण जगायी है। यह विकृति साप्ताहिक प्‍लास्‍टर से और अंतिम प्‍लास्‍टर के पहले एक छोटे से ऑपरेशन से ठीक हो जाती है। माननीय निदेशक डॉक्‍टर एके सिंह ने बताया क चाइल्‍ड पीजीआई की क्‍लब फुट क्लिनिक में सफलतापूर्वक पिछले सात सालों से इसका इलाज चल रहा है। अब तक यहां 260 मरीजों का इलाज किया जा चुका है। यहां नोएडा, ग्रेटर नोएडा के अलावा पश्चिमी उत्‍तरप्रदेश, पूर्वी उत्‍तरप्रदेश, बिहार, पश्विम बंगाल, दिल्‍ली व झारखंड आदि स्‍थानों से लोग इलाज के लिए आते हैं। वे सभी बीमारी के जटिल होने के कारण यहां दूर दूर से आते हैं और सफलतापूर्वक इलाज कराते हैं।

 

इलाज के दो पहलु

चाइल्‍ड पीजीआई अस्थि रोगों के लिए पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश में सेंटर ऑफ एक्‍सीलेंस के रूप में उभरा है। डाक्‍टर अंकुर अग्रवाल जो कि चाइल्‍ड पीजीआई के शिशु रोग विभाग के अ ध्‍यक्ष हैं वे बताते हैं कि फुट क्‍लब इलाज के दो पहलु होते हैं-एक इलाज, जो कि बच्‍चे की उम्र और उसकी विकृति की जटिलता पर निर्भर करता है और दूसरा brace पहनना ताकि इस विकृति को दोबारा पैदा होने से रोका जा सके।। बच्‍चे के जन्‍म के बाद जितनी जल्‍दी इलाज शुरू होता है प्‍लास्‍टर पोंसेंटी विधि व छोटे से ऑपरेशन उतना ही तेजी से सफलता मिल सकती है।  बता दें कि बढ़ी हुई उम्र में ऑपरेशन से इस विकृति का इलाज संभव है।

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