Kataki Mela 2023-2024: लखनऊ में यहां लगता है चीनी मिट्टी के बर्तनों के लिए फेमस पुराना मेला

Katki Mela 2023-2024: यहां हर संस्कृति से जुड़ी चीजें मिलती है और यहां 5 रुपए में कई आइटम मिल जायेंगे। यह मेला चीनी मिट्टी के बर्तनों के लिए खास माना जाता है।

Kataki Mela 2023-2024: मेला घूमने के शौकीन लोग हर कोने में मिल जाएंगे। ऐसे में अगर बात दशकों पुराने कतकी मेला की हो रही हो, तो जाने वालों का तांता लग जाता है। कतकी मेला काफी सालों से लगता आ रहा है। यह मेला उत्तर प्रदेश के लगभग सभी जिलों में लगता है। वैसे तो हर साल ऐसे एतिहासिक मेले का आयोजन होता है जिसका लोगों को बेसब्री से इंतजार रहता है। लेकिन कतकी मेले की बात अलग रहती है। क्योंकी यहां हर संस्कृति से जुड़ी चीजें मिलती है और दाम भी बहुत कम रहता है। यहां 5 रुपए में कई आइटम मिल जायेंगे। यह मेला चीनी मिट्टी के बर्तनों के लिए खास माना जाता है। आईए जानते हैं लखनऊ में कतकी मेला कहां लगा है…


लखनऊ में यहां लगता है मेला

लखनऊ में कतकी मेला पहले डालीगंज पुल व पुलिस आफिस के आस-पास पड़ी जगह में लगता था। लेकिन जगह के आभाव और जाम के चलते इस मेले को साल 2017 में झूलेलाल पार्क में शिफ्ट कर दिया गया। इसका श्रेय समाजसेवियों और मनकामेश्वर मंदिर की महंत देव्या गिरि को जाता है। उनके अथक प्रयास से यह मेला झूलेलाल और मनकामेश्वर उपवन घाट तक पहुंच गया। हर साल इस मेले के आयोजन में नगर निगम की भी अहम भूमिका होती है।


इसलिए खास है कतकी मेला

कतकी मेला की खासियत है कि यहां रोजमर्रा की जरूरतों का सामान तो मिलता ही है साथ ही पुराने जमाने की वस्तुए भी आसानी से मिल जाती हैं। इस मेले की यही एक विशेष पहचान है। हर साल दिसंबर में शुरू होने वाले इस मेले को कतकी का मेला कहा जाता है। यहां आपको अनेक प्रकार की डिजाइन और रंग बिरेंगे कलर में चीनी मिट्टी के बर्तन काफी कम दामो में मिल जायेंगे। चीनी मिट्टी के बर्तन की दुकानों सबसे अधिक लगती हैं। हर साल इन्हीं बर्तनों के लिए लोग मेले का बहुत बेसब्री से इंतजार करते हैं।

अकबर के जमाने से लग रहा मेला 

कार्तिक पूर्णिमा पर लगने वाला ऐतिहासिक कार्तिक मेले का भी अपना एक रोचक इतिहास भी है। बताते हैं नवाबी दौर में यहां सिर्फ परदे में महिलाओं को अनुमति थी इस दौरान पुरुष नहीं आते थे । उसके बाद दिन भर इस मेले में पुरुषों को रहने की अनमति होती थी। एतिहासिक जानकार बताते हैं कि इस मेले का आयोजन अकबर के जमाने से होता आ रहा है। इस मेले का आयोजन नवाबी काल से होता आ रहा है। इस मेले में खास बात ये भी है कि इसमें हिंदू मुस्लिम आपसी भाई चारे की मिसाल पेश करते हुए एक साथ अपनी-अपनी दुकाने सजाते हैं।


गरीबों का महोत्सव है कतकी मेला 

इस मेले की खासियत ये भी है कि इसे गरीबों का महोत्सव भी कहा जाता है। दरअसल लखनऊ में काफी समय तक लखनऊ महोत्सव का आयोजन होता रहा है। लेकिन लखनऊ महोत्सव में प्रवेश शुल्क से लेकर यहां मिलने वाला हर सामान चार पांच गुना कीमत का होता था। लेकिन वही सामान कतकी के मेलें काफी कम कीमत में लोगों को मिल जाता है। यहां कोई प्रवेश शुल्क भी नहीं है ऐसे में इसे गरीबों का लखनऊ महोत्सव भी कहा जाने लगा।

15 दिसंबर से शुरू है मेला

करीब 45 दिनों तक चलने वाले इस मेले में लखनऊ के अलावा आस पास जिलों के लोग भी घूमने आते हैं। इस बार मेले का आयोजन 15 दिसंबर से शुरू हो चुका है। लेकिन अब पूर्ण से ये मेला सजकर तैयार है। यहां बच्चों के लिए तरह-तरह के झूले उपलब्ध हैं वहीं तमाम तरह के खिलौने बेहद सस्ती दरों पर उपलब्ध हैं।

- Advertisement -

Related articles

Share article

- Advertisement -

Latest articles