Anxiety After Delivery : माँ बनना एक बेहद ही ख़ास एहसास है।जब एक औरत माँ बनती है तो उसकी खुशी का अंदाज़ा तक आप नहीं लगा सकते। वो पल एक महिला के लिए बहुत ख़ास होता है। वहीं दूसरी ओर कुछ महिलाओं के लिए यह उदासी होती है। उन्हें हर पल चिंता और तनाव बना रहता है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इसका क्या कारण है? बता दें आपको की कुछ महिलाएँ पोस्टपार्टम डिप्रेशन का शिकार बन जाती है। प्रेगनेंसी के दौरान शरीर में आए बदलाव और ज़िम्मेदारियों का इतना तनाव ले लेती है कि उन में ये डिप्रेशन की संभावना पैदा हो जाती है।लेकिन बहुत सी महिलाओं को इसके बारे में पता नहीं होता। उन्हें यह नहीं पता होता कि उनके साथ ऐसा आख़िर क्यों हो रहा है।
यह डिप्रेशन प्रेगनेंसी के दौरान या फिर बच्चे के पैदा होने के एक साल बाद तक हो सकता है। अगर प्रेगनेंसी के दौरान किसी महिला को भी मानसिक परेशानी है तो भी वह पोस्टपार्टम डिप्रेशन में जा सकती है।एक्सपर्ट्स बताते हैं कि प्रेगनेंसी के वक़्त बहुत से फिजिकल,इमोशनल चैलेंज आते हैं।महिलाएँ लेबर पेन से गुज़रती है, जिसके कारण उनकी बॉडी को फिजिकल,इमोशनल और मेंटल स्ट्रेस होता है। और इतने बदलाव के साथ उनको बच्चे के ख़याल रखने जैसी ज़िम्मेदारियों का भी ख़याल मन में रहते हैं।ये सब ख्याल आपकी मानसिक स्थिति पर बुरा असर डालती हैं। महिलाएं छोटी-छोटी बातों पर रोने लगती है,एंजाइटी हो जाती है,इसे बेबी ब्लूज कहते है ये परेशानी महिला की डिलीवरी के बाद एक-दो हफ़्ते तक रहती है।
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पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षण
इस दौरान महिला बहुत ज़्यादा डाउन महसूस करती है। उन्हें बहुत ज़्यादा एंजाइटी होती है, हर समय उदास रहती है,उन्हें थकान महसूस होती है लेकिन नींद नहीं आती। महिला किसी भी चीज़ पर फोकस नहीं कर पाती।न उन्हें भूक लगती है और न किसी भी चीज़ से उन्हें खुशी मिलती है इसके अलावा बच्चे का ख़याल रखने में उनकी रुचि नहीं होती। इस दौरान महिला के मन में कई बार आत्म हत्या का विचार भी आ सकते हैं।यह सब लक्षण पोस्टपार्टम डिप्रेशन के संकेत हैं।
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