Parkinson Disease: बार-बार आ रहे हैं बुरे सपने तो हो जाएं सावधान, हो सकता है इस बड़ी बीमारी का संकेत

Parkinson Disease: बार-बार अगर आपको बुरे सपने आते हैं तो आप पार्किंसंस नाम की बीमारी के शिकार हो गए हैं.अध्ययन में यह भी बताया गया है कि पार्किंसंस पीड़ित तकरीबन एक चौथाई रोगी बुरे सपनों के शिकार होते हैं।

Parkinson Disease: हाल ही में की गई एक शोध तो इसी बात की तसदीक दे रही है। बर्मिंघम यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अपने एक अध्ययन में सपनों को लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा किया है जिसका संबंध पार्किंसंस बीमारी से है।

जो कि बुजुर्गों से जुड़ी एक बीमारी है। इस शोध के मुताबिक, 65 साल से अधिक आयु के बुजुर्गों को अगर लंबे समय से बुरे सपने आ रहे हैं तो यह हो सकता है कि वह पार्किंसन जैसी बीमारी की चपेट में हैं।

एक चौथाई रोगियों को आते हैं बुरे सपने(Parkinson Disease)

अध्ययन में यह भी बताया गया है कि पार्किंसंस पीड़ित तकरीबन एक चौथाई रोगी बुरे सपनों के शिकार होते हैं।यानी कि बुरे सपनों और पार्किंसंस बीमारी का आपस में बहुत ही गहरा संबंध है। शोधकर्ताओं ने पाया कि कुछ रोगी तो ऐसे भी हैं, जिन्हें 10 साल से भी अधिक अवधि से बुरे सपने आ रहे हैं। निष्कर्ष में उजागर हुआ कि बुरे सपने आने से पार्किंसंस बीमारी बढ़ने की संभावना 2 गुना बढ़ जाती है।

पुरुषों को बुरे सपने आने की संभावना अधिक

शोध में यह भी पाया गया है कि पार्किंसंस से पीड़ित पुरुषों को महिलाओं की तुलना में ज्यादा परेशान करने वाले सपने आते हैं।

पुरुषों में बुरे सपनों की शुरुआत न्यूरो डीजेनरेशन का भी संकेत होता है। तो वहीं दूसरी ओर महिलाओं में शुरुआती जीवन से ही बुरे सपनों के आने की संभावना पुरुषों के मुकाबले कहीं ज्यादा होती है।

मानसिक रोग का जोखिम दोगुना

12 साल तक यह शोध की गई। शोध में 3,818 बुजुर्ग पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य पर नजर रखी गई। देखा गया जिन्हें बार-बार बुरे सपने आते हैं, उनमें पार्किंसंस की बीमारी की संभावना तो 2 गुना बढ़ती ही है मानसिक रोगों का खतरा भी दोगुना हो जाता है।

मालूम हो कि पार्किंसंस रोग से पीड़ित लोग अपने हाथ, पैर और जबड़े में झटके महसूस करते हैं साथ ही उनके शरीर का मूवमेंट भी प्रभावित होता है।

शोध के मुताबिक, जब तक इस बीमारी का पता लगता है, तब तक पीड़ित व्यक्ति अपने दिमाग से 60 से 80 प्रतिशत तक डोपामाइन रिलीज करने वाले न्यूरॉन को खो चुका होता है। लिहाजा, पार्किंसंस से बचने या इसके अधिक नुकसान पहुंचाने से पहले 65 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों से उनके सपनों के बारे में पूछकर या उनके शरीर के हिस्सों की हलचल को देखकर पार्किंसंस बीमारी के शुरुआती लक्षणों का पता लगाया जा सकता है।

ऐसे में वैज्ञानिकों ने इस बात पर संतुष्टि जताई कि बुरे सपनों के लक्षणों को पहचान कर पार्किंसंस जैसी बीमारी का पता चल जाता है, अन्यथा पार्किंसंस का पता लगाने वाली प्रक्रिया काफी ज्यादा महंगी होती है।

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युवा भी रहे सावधान

यह शोध सच में चौंकाने वाली है। शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि जिस तरह नकारात्मक और परेशान करने वाले विचार लोगों में बढ़ते जा रहे हैं उससे लोगों की नींद उड़ रही है। नतीजा यह है कि वह कुछ अच्छा सोच भी नहीं पा रहे हैं जिससे बुरे सपने आने की शिकायत भी बढ़ रहीं हैं। ऐसे में अब सभी को सावधान रहने का वक्त आ चुका है।

भले ही यह शोध अभी बुजुर्गों को लेकर है लेकिन, यह किसी भी उम्र के लोगों को मुसीबत में डाल सकते हैं। बुरे सपने किसी न किसी प्रकार से मानसिक विकार लोगों को दे सकते हैं। आपको बता दें कि पूरी दुनिया में करीब 40 लाख से भी ज्यादा लोग पार्किंसंस नामक बीमारी से जूझ रहे हैं। एक रिपोर्ट में बताती है कि लगभग एक लाख में से 14 लोगों को यह बीमारी होती है।

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