Pollution In Winter Season: भारत की राजधानी दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों में हर साल प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है। प्रदूषण स्तर बढ़ने का कारण वाहनों से निकलने वाला प्रदूषण, फैक्ट्रियों से निकलने वाला प्रदूषण, फसलों का जलना और मौसम संबंधी समस्याएं हैं। उत्तर भारत में रहने वाले लोग कई सालों से इस समस्या से जूझ रहे हैं लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है।
दिल्ली में वायु प्रदूषण
हरियाणा और पंजाब राज्यों के कृषि क्षेत्रों में पराली जलाने से निकलने वाला धुआं, साथ ही वाहनों और उद्योगों से निकलने वाला धुआं, शहर को अपनी चपेट में ले लेता है क्योंकि कम तापमान और धीमी गति से चलने वाली हवाएं हवा में प्रदूषकों को फंसा देती हैं। सोमवार को लगातार पांचवें दिन नई दिल्ली में वायु प्रदूषण गंभीर श्रेणी में दर्ज किया गया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वायु गुणवत्ता सूचकांक ने शहर के निगरानी केंद्रों पर प्रदूषण का गंभीर स्तर 450 और 499 के बीच दर्ज किया, जिसमें 500 पैमाने पर प्रदूषण का उच्चतम स्तर था।
एक दिन में 25 सिगरेट के बराबर है पॉल्यूशन
यह स्कोर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा सुरक्षित मानी जाने वाली सीमा से 20 गुना अधिक है। यह लगभग एक दिन में 25 सिगरेट पीने के बराबर है। क्लीन एयर एशिया की भारत निदेशक प्रार्थना बोरा ने डीडब्ल्यू को बताया कि गर्मियों के दौरान हवा और धूल भरी स्थितियों के साथ-साथ प्रतिकूल स्थलाकृति और क्षेत्रीय मौसम विज्ञान, दिल्ली के वायु प्रदूषण में बहुत योगदान देता है।
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खराब हवा का डायबिटीज मरीजों पर असर
हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, एयर पॉल्यूशन की वजह से टाइप-2 डायबिटीज का खतरा तो रहता ही है,साथ ही पहले से ही डायबिटीज के शिकार मरीजों के लिए भी यह खतरनाक साबित हो सकता है। वायु प्रदूषण की वजह से बॉडी में इंफ्लामेशन बढ़ने और रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचने का रिस्क भी रहता है। इसका नकारात्मक प्रभाव ब्लड शुगर को कंट्रोल करने वाली इंसुलिन की पावर को कमजोर बना सकती है। कई अध्ययनों में वायु प्रदूषण को आंतों के लिए भी खतरनाक माना गया है। यह डायबिटीज को बढ़ाने वाला भी हो सकता है।
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