
Red Ent Chutney : उड़ीसा अपने खानपान और नृत्य परंपराओं के लिए जाना जाता है. उड़ीसा में एक विशेष किस्म की चटनी खाई जाती है यह चटनी धनिया पुदीना या टमाटर से नहीं बल्कि लाल चीटियों से बनाई जाती है. आप यह जानकर हैरान हो गए होंगे. उड़ीसा में प्रचलित यह लाल चीटियों की चटनी दुनिया भर में जानी पहचानी जाती है और इस चटनी को GI टैग भी मिला है.
जानिए क्या होता है जीआई टैग(Red Ent Chutney)
GI टैग उन चीजों को दिया जाता है जो स्थान की पहचान बनती है. यह भौगोलिक पहचान के लिए जाना जाता है और यह उन उत्पादों पर इस्तेमाल किया जाने वाला संकेत है जिनकी एक अलग भौगोलिक पहचान और उत्पत्ति होती है.
क्यों लाल चींटी के चटनी को मिला जीआई टैग
उड़ीसा में इस लाल चींटी के चटनी को कई चटनी के नाम से जाना जाता है. इसे अपने स्वाद और बनावट के आधार पर GI टैग दिया गया है. उड़ीसा के मयूरभंज जिले में आदिवासी सिलबट्टे पर पीसकर और मसाले के साथ इसे बनाते हैं और यह उनका कलचर है. मयूरभंज में लोग इसे बेचकर अपना जीवन यापन करते हैं.
जानिए क्यों फायदेमंद है यह चटनी
एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर
लाल चींटी की चटनी एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है और यह चटनिया को कई तरह के मसले में मिलाकर बनाई जाती है जिसमें कई तरह की जड़ी बूटियां होती है. यह एंटीऑक्सीडेंट का अच्छा स्रोत है और अंतिम एक्सीडेंट शरीर के मुक्त कणों को बेहतर करने में मदद करता है और कई तरह के बीमारियों और रोगों से बचाता है.
विटामिन सी का है स्त्रोत
चटनी में मौजूद तत्व जैसे आयुर्वेदिक गुण रखने वाली जड़ी बूटी आवश्यक विटामिन और खनिजों के अच्छे स्रोत होते हैं.
प्रोटीन की कमी को पूरा करता है
वैसे तो हर नॉनवेज फूड जैसे मीट मछली एंड प्रोटीन का अच्छा स्रोत है लेकिन लाल चींटी की चटनी भी प्रोटीन का अच्छा स्रोत है. मुझे खाने से प्रोटीन की कमी पूरी होती है और मांसपेशियों का निर्माण होता है.
Also Read:Health Tips: नाखून में आ रहा है बदलाव तो तुरंत हो जाएं सावधान, हो सकते हैं गंभीर बीमारी के संकेत
तमाम खबरों के लिए हमें Facebook पर लाइक करें Twitter , Kooapp और YouTube पर फॉलो करें। Vidhan News पर विस्तार से पढ़ें ताजा-तरीन खबरे