Home स्वास्थ्य /लाइफस्टाइल Homeopathy For Asthma: नियमित होम्योपैथिक दवा और संयमित जीवन से म‍िल सकती...

Homeopathy For Asthma: नियमित होम्योपैथिक दवा और संयमित जीवन से म‍िल सकती है अस्थमा से मुक्ति

Homeopathy For Asthma: क्‍या होम‍ियोपैथी अस्‍थमा के इलाज में कारगर है, इस बारे में व‍ि‍स्‍तार से जानते हैं होम‍ियौपथी की प्रस‍िद्ध चि‍कि‍त्‍सक मधुलिका शुक्ला से।  

Treatment for Asthma In Homeopathy
Treatment for Asthma In Homeopathy

Homeopathy For Asthma:  हर इंसान स्वास्थ्य को लेकर सजग तो है पर इस अनुरूप ध्‍यान नहीं दे पाता।  किसी भी बीमारी के कई कारण होते हैं। जैसे वह किस तरह के वातावरण में रहता है, क्या काम करता है। उस वातावरण की कौन सी स्थिति है, यह भी उसके स्वास्थ्य पर सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव डालता है। ऐसी ही एक बीमारियों में से एक है अस्थमा। इसके श‍िकार अब बच्‍चे भी तेजी से हो रहे हैं। कहना होगा सजगता ही बचाव है पर यद‍ि आप होम‍ियोपैथी का रुख करते हैं तो यहां भी इसका बेहतर ईलाज म‍िल सकता है।

क्‍या है अस्‍थमा

इस विषय में विस्तृत जानकारी देते हुए कानपुर की प्रतिष्ठित होम्योपैथिक डॉक्टर मधुल‍िका शुक्‍ला ने बताया कि अस्थमा रेस्पिरेटरी सिस्टम की बीमारी है,जिसमें आपके रेस्पिरेटरी सिस्टम में इंफ्लेमेशन यानी सूजन आ जाती है। जो हमारे फेफड़े होते हैं वे छोटे-छोटे ब्रोंकाई और ब्रोंकियोल (श्वासनली के दो वायुमार्ग) से बने होते हैं जिनमें सूजन आने के कारण वो सिकुड़ हो जाते हैं और ऑक्सीजन की कमी होने लगती है।

दो हैं इसके प्रकार

मुख्यतः अस्थमा की बीमारी अनुवांशिक होती है या फिर एलर्जिक होती है। जो एलर्जिक अस्थमा होती है, इसका मुख्य कारण होता है धूल के कण या आपका कोई भी ऐसा एलर्जिक तथ्य जैसे जो लोग रूई की फैक्ट्री में काम करते हैं या खदानों में काम करते। उन्हें एलर्जिक अस्थमा की बीमारी होने का खतरा होता है। जो चीज लगातार आपकी श्वसन प्रणाली यानी श्वसन नली में जा रही है और वह एलर्जी का काम कर रही है। इसकी वजह से आपके श्वसन तंत्र में सूजन आने लगती है। कई बार कोई इंसेक्ट (कीड़ा) या पॉलेन ग्रेन (परागकण) भी इसका कारण होते हैं।

पहचाने यह है अस्‍थमा

अब बात आती है कि हम कैसे पहचानेंगे कि इस व्यक्ति को अस्थमा की बीमारी है। सांस लेने में दिक्कत होना। आपको लंबी लंबी सांस आना या आपको सांस लेने में आवाज करना वीजिंग साउंड आना जिसको हम कहते हैं सीटी जैसी आवाज का आना कहते हैं। कभी कभी सांस लेने में आपको हल्का पेन या हल्का सा दर्द महसूस होना या तो फिर आपको जैसे Sputum (थूक) का आना। बहुत कम मात्रा में थूक आना। उनको भी हम अस्थमेटिक कंडीशन में लेते हैं।

होम्‍योपैथ‍ी की भूम‍िका

होम्योपैथी अस्थमेटिक कंडीशन में बहुत अच्छा काम करती है। किसी भी सांस संबंधी बीमारी में होम्योपैथी का बहुत अच्छा रोल है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि दवा की मात्रा बहुत ही कम दी जाती है। धीरे-धीरे और थोड़ी-थोड़ी दवा देकर किसी भी मरीज की शारीरिक क्षमता यानी इम्यूनिटी सिस्टम बढ़ा कर आसानी से दो गुना कर दिया जाता है।

नहीं है साइड इफेक्‍ट

होम्योपैथिक में कई सारी दवा होती हैं जैसे-जो स्माल ब्रेथलैसनेस या आपको डिस्निया और स्पूटम के कंडीशन में काम करती है।सबसे खास बात यह है कि होम्योपैथिक मेडिसिन का कोई साइड एफेक्ट नहीं है। कुछ बेसिक होम्योपैथी दवा जैसे एकोनाइट, ब्रायोनिया एंटीमुनम टार स्पंजिया हैं जो आपको तुरंत आराम देते हैं।

च‍िक‍ित्‍सकीय परामर्श जरूरी

आप होम्योपैथी लेना चाहते हैं तो स्‍वयं दवा न लें। क‍िसी ने कह द‍िया तब भी। आपको दवा चिकित्सक के परामर्श से ही लेना चाह‍िए। दरअसल, चि‍क‍ित्‍सक आपके शरीर की पूरी तरह से जांच करने के बाद ही बीमारी की स्थिति के हिसाब से दवा का चयन कर आपको देता है। यह भी ध्‍यान देने योग्‍य है क‍ि होम्योपैथी में बीमार व्यक्ति की शारीरिक क्षमता और उसके शरीर में हो रहे परिवर्तन के हिसाब से इलाज किया जाता है।

नैनो तकनीक का प्रभाव

कम से कम मात्रा में होम्योपैथी दवा दी जाती है। दरअसल, इसका प्रयोग कर धीरे-धीरे शरीर को रोग से लड़ने के लिए शरीर का क्षमता को बढ़ाया जाता है। अगर होम्योपैथिक कुछ दवाइयों की बात की जाए तो होम्योपैथी नानो टेक्नोलॉजी में वर्क करता है इसलिए शायद यहां पर थोड़े से प्रयास से आपको रिजल्ट बहुत अच्छे मिलते हैं। इसलिए आप आसानी से इसका प्रयोग कर सकते हैं।

यह भी पढ़ें- World Asthma Day 2024: सजगता से बचाव संभव है, अस्‍थमा को लेकर क‍ितने जागरुक हैं आप!

अस्थमा के मरीज को इस बीमारी से बचाव करने के लिए इन मुख्य बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए

  •  सबसे महत्वपूर्ण बात नियमित ब्रीथिंग एक्सरसाइज करनी है।
  •  सुबह की ताजी खुली हवा में जहां एकदम स्वच्छ हवा हो, वहीं पर ही थोड़ी सी लंबी सांस लेनी है।
  •  ब्रीदिंग एक्सरसाइज टेस्टिंग डिफरेंट होती है वह करना है।
  •  स्पाइरोमीटर से आपको बीच-बीच में अपना चेक करना है।
  •  अपने फेफड़ों क्षमता बरकरार और बढ़ाने के लिए प्रदूषण से बचना है।
  •  ज्यादा से ज्यादा कोशिश करनी चाहिए कि बहुत प्रदूषित स्थान पर जाने से बचे।
  •  धूल भरी जगह या स्थान पर जाते समय कोई भी पतले कपड़ा से नाक और कान दोनों को ढके रहें।
  •  घर से बाहर निकलते समय मास्क लगाना न भूलें।
  •  अपने शरीर के इम्यूनिटी सिस्टम को बेहतर रखें।
  •  इम्यूनिटी बढ़ाने वाली होम्योपैथी दवा का प्रयोग भी कर सकते हैं।

यह भी पढ़ें- Homeopathy Medicine: होम्योपैथिक क‍िसी से कम नहीं, हर बीमारी का है इसमें इलाज

तमाम खबरों के लिए हमें Facebook पर लाइक करें Google News , TwitterKooapp और YouTube पर फॉलो करें। Vidhan News पर विस्तार से पढ़ें ताजातरीन खबर।

 

Exit mobile version