Artificial Sun in the village: सूरज को रोशनी मानव जीवन के लिए बहुत ही उपयोगी बताई गई है। सूरज की रोशनी न सिर्फ हमें देखने में मदद करती है। बल्कि सूर्य की रोशनी में ऐसे कई तत्व पाए जाते हैं जो हमारे शरीर के विकास के लिए उपयोगी होते हैं। अब ऐसे में कल्पना कीजिए कि किसी गांव में कभी सूरज की रोशनी पहुंची ही ना हो, तो क्या आप यकीन कर पाएंगे। जी हां एक ऐसा गांव है जहां पर सूरज की रोशनी कुछ महीने बिल्कुल नहीं पहुंचती है। कुछ महीनो तक इस गांव में अंधेरा छाया रहता है। केवल बिजली की चमचमाहट से ही रोशनी नजर आती है। कुछ साल पहले इस गांव के लोगों ने इस समस्या का हल निकालते हुए एक नकली सूरज बना लिया, जो अब पूरे गांव को रोशनी देता है। अगर आप भी जानना चाहते आर्टिफिशियल सन कैसे बना, तो आइए जानते हैं…
स्विट्जरलैंड और इटली के बीच विगनेला गांव स्थित है। इस गांव में सूरज तो रोज उगता है, मगर पूरे गांव में धूप नहीं पहुंचती थी। सूरज की धूप न मिलने से गांव के लोग काफी लंबे समय से परेशान चल रहे थे। लेकिन कुछ साल पहले गांव के लोगों ने इसका हल ढूंढ निकाला। इस गांव के लोगों के अपना खुद का ही सूरज बना लिया। गांव के लोगों द्वारा बनाए गए आर्टिफिशियल सूरज अब पूरे गांव को धूप देता है।
4 महीने नहीं पहुंचती थी सूरज की धूप
विगनेला गांव पहाड़ों के बीच बसा है। इसलिए सर्दियों के महीने में 4 महीने तक गांव में सूरज की सीधी रोशनी नहीं पहुंचती थी। यहां पर 11 नवंबर से दो फरवरी के बीच सूरज दिखाई तक नहीं देता था। यह सिलसिला सदियों से चला आ रहा है।
पहाड़ों में बसे इस गांव की कुल आबादी 200 है। साल के 4 महीने ये 200 लोग बिना सूरज की धूप देखे ही रहते थे। ऐसे सदियों से इस गांव के लिए सर्दियों के 4 महीने, नवंबर, दिसंबर, जनवरी और फरवरी किसी काली रात की तरह ही थे।
साल 2005 में विगनेला के मेयर पियरफ्रैंको मिडाली की मदद से लगभग 1 करोड़ रुपये इकट्ठा किए गए। इसके बाद गांव के सामने के पहाड़ पर बहुत बड़े शीशे को लगाने की शुरुआत की गई। गांव वालों ने नवंबर 2006 तक 40 वर्ग मीटर का एक शीशा पहाड़ के लगाया, जो 1100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित था। शीशे पर सूरज की रोशनी पड़ी, जिसे गांव की तरफ रिफ्लेक्ट किया गया। शीशे का आकार बड़ा होने की वजह से दिसंबर 2006 में पहली बार पूरे गांव को रोशनी मिली।
शीशे के एंगल को इस तरह सेट किया गया रोशनी से गांव के चर्च के सामने मौजूद चौक पर धूप पहुंचे। यह एक कंप्यूटराइज्ड शीशा है, जो पूरे दिन सूरज की चाल को फॉलो करता है और घूमता रहता है। इस शीशे से करीब 6 घंटे गांव के एक इलाके को रोशनी मिलती है।
तमाम खबरों के लिए हमें Facebook पर लाइक करें Twitter , Kooapp और YouTube पर फॉलो करें। Vidhan News पर विस्तार से पढ़ें ताजा-तरीन खबरे