गुजारा भत्ता नहीं दिया तो कोर्ट पहुंची अलग रह रही पत्नी, दूसरी बार भेजने की अपील पर अदालत ने दिया फैसला

अदालत ने टिप्पणी की, "ऐसा नहीं है कि व्यक्ति को तीन महीने की कैद भुगतने के बाद देनदारी खत्म हो जाती है और डिक्री धारक वसूली के अन्य तरीकों जैसे देनदार की संपत्ति की कुर्की और बिक्री का सहारा ले सकता है।"

दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने एक व्यक्ति को अलग रह रही पत्नी को गुजारा भत्ता नहीं देने के कारण दूसरी बार जेल भेजने के आदेश को रद्द करते हुए कहा कि जब वह एक बार पहले ही तीन महीने की अधिकतम सजा काट चुका है तो कानून उसे दोबारा गिरफ्तार करने का प्रावधान नहीं करता।

जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने हाल में एक आदेश में कहा, “अपीलकर्ता/पति को पहले ही 24.02.2021 को तीन महीने की अवधि के लिए कारावास भेजा जा चुका है, जो उसने पूरा किया। चूंकि प्रतिवादी ने फिर से एक निष्पादन याचिका दायर की है…, अपीलकर्ता को गुजारा भत्ता की बकाया राशि के लिए उसी मामले में फिर से कारावास के लिए निर्देशित नहीं किया जा सकता।”

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दीवानी प्रक्रिया संहिता (cpc) बकाया भुगतान में चूक के मामले में कारावास, या किसी व्यक्ति को हिरासत में लेने का प्रावधान करती है। अदालत ने टिप्पणी की, “ऐसा नहीं है कि व्यक्ति को तीन महीने की कैद भुगतने के बाद देनदारी खत्म हो जाती है और डिक्री धारक वसूली के अन्य तरीकों जैसे देनदार की संपत्ति की कुर्की और बिक्री का सहारा ले सकता है।”

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