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Cybercrime Safety Tips: बड़े धोखे हैं इस राह में

Cybercrime Safety Tips: साइबर क्राइम की घटनाएं ऐसी हैं कि लगता है इंटरनेट की राह में बस धोखे ही धोखे हैं। कैसे बचें इनसे, जानें।

Cybercrime Safety Tips

Cybercrime Safety Tips: लालच देकर वसूली में फंसा लेने से लेकर ,फेक कंटेंट वायरल कर अपराधों को दिया जा रहा है अंजाम। बता दें कि यहां चेहरा बदलने वाले एप्लिकेशंस आसानी से वह भी फ्री में उपलब्ध हैं। डीपफेक वीडियो बनाने या तस्वीरों से छेड़छाड़ धड़ल्‍ले से हो रहे हैं। दरअसल, यह वाट्सएप और फेसबुक से यह आम लोगों तक पहुंच में आ चुका है।

अब लोगों के पास डीपफेक एआइ जनित सुविधा पहुंच गयी है,जिससे किसी की भी शक्ल या शरीर का इस्तेमाल कर वीडियो बनाया जा सकता है। किसी की आवाज के पैटर्न को लेकर हूबहू आवाज भी बना लेते हैं लोग। बच्चे को जवान और बूढ़ा दिखाने वाले एप से भी ऐसा किया जाता है।

ओपनएआइ के चैटजीपीटी-4 एपीआइ का अंजाम

इतना कुछ संभव है इंटरनेट मीडिया में कि आप सोच भी नहीं सकते कि कब हो जाएंगे धोखाधड़ी के शिकार। अब तो ओपनएआइ के चैटजीपीटी-4 एपीआइ से यह सब किया जा सकता है। आप कह सकते हैं कि यह ओपन एआइ का बुरा अंजाम है। इनसे तस्वीर को मोशन वीडियो में बदला जा सकता है,चेहरे की भावभंगिमाएं भी असली दिखने लगती हैं। यह एआइ एल्गोरिदम का कमाल है,जिसमें इनकोड,डिकोड और प्रोसेस करने की क्षमता होती है।

सेक्‍टार्शन ने उड़ाई नींद

बता दें कि डीपफेक की समस्या भारत में ही नहीं, पूरी दुनिया में पांव पसार चुकी है। एआइ की मदद से स्कैमर पैसा कमाने के कई तरह के हथकंडे अपना रहे हैं और इस समस्‍या में एक प्रमुख है सेक्सटार्शन। यह इतनी बड़ी मुसीबत है कि इसे लेकर अब साइबर सुरक्षा कंपनियां भी सतर्क हो गई हैं। यूएस फेडरल ब्यूरो आफ इनवेस्टिगेशन (एफबीआइ) ने एआइ टूल्स की मदद से बनने वाली नकली अश्लील तस्वीरों या वीडियो से होने वाली धोखाधड़ी में बढ़ोत्तरी को लेकर चेतावनी जारी की है। एजेंसी के मुताबिक साइबर अपराधी इंटरनेट मीडिया से तस्वीर ढूंढते हैं और फिर उन्हें एआइ की मदद से एडिट कर अश्लील बना देते हैं।

सेंधमारी का गजब खेल

साइबर अपराध के लगभग 60 प्रतिशत मामले सेक्‍सटार्शन जुड़े हैं। इसके तीन चरण हैं- फोन पर दोस्ती का प्रस्ताव भेजना, फिर वाट्सएप पर अश्लील तस्वीर या वीडियो भेजना और फिर वीडियो काल। काल रिसीव होते ही सामने न्यूड लड़की की तस्वीर आती है और कुछ सेकंड में स्क्रीन रिकार्डर से वीडियो बन जाता है, फिर डराने-धमकाने और पैसे के वसूली के साथ-साथ बैंक खातों की सेंधमारी तक का खेल होता है।

तो बचाव कैसे होगा

कहते हैं कि मुश्किलें, मुसीबतें हैं तो राहें भी समाधान के होते हैं, बस जानकारी होनी चाहिए। आइए कुछ बिंदुओं में समझें कि आप इनसे बच कैसे सकते हैं-

  • सोशल मीडिया, डेटिंग एप्स और अन्य आनलाइन साइटों पर अपनी व्यक्तिगत फोटो, वीडियो और पहचान संबंधी जानकारी पोस्ट करते हुए आपको सतर्क रहना है।
  • किसी को सीधे संदेश भेजते समय भी सतर्कता बरतें, अनजान लोगों के साथ वीडियो कालिंग, वाट्सएप कालिंग और वायस मैसेजिंग से बचना होगा।
  • इसी तरह, अभिभावकों को बच्चों की आनलाइन गतिविधियों पर नजर रखने की जरूरत है।
  • यह न भूलें कि यदि एक बार सामग्री इंटरनेट पर साझा हो गई तो उससे हाथ खींचना या उसे हटाना मुश्किल हो सकता है।

इन बातों को गांठ बांध लें

  • यह न भूलें कि असावधानी स्मार्टफोन पर इंटरनेट इस्तेमाल के दौरान होती है। इंटरनेट मीडिया, ई-मेल, मैसेजिंग, ई-कामर्स या सर्विस की साइटों में यूजर आइडी, ई-मेल या मोबाइल नंबर और पासवर्ड सेव रहता है। बस साइबर करने वाले अपराधी इसी का लाभ उठा लेते हैं। इसलिए आपको हर बार सभी अकाउंट को लागआउट करना है।
  • यह भी ध्‍यान रखें कि ई-मेल, वाट्सएप, फेसबुक के मैसेज में अनजान लिंक पर क्लिक करते ही स्कैमर्स की पहुंच आपकी निजी जानकारियों से लेकर सीधे बैंक खाते तक हो सकती है। स्पैम सेक्शन में आए मैसेज को हटाते रहें।
  • यहां कुछ एप ऐसे हैं जो फ्री सामान, गेम्स या लाटरी से इनाम जीतने का लालच देते हैं। ध्यान रखें इससे डिवाइस हैक भी हो सकता है। एप हमेशा प्ले स्टोर या एपल स्टोर से ही इंस्टाल करें। एप द्वारा मांगी जा रही परमिशन पर भी ध्यान दें। इनमें मैसेज रिकार्ड करने, मोबाइल नंबर या ई-मेल आइडी साझा करने की अनुमति हो सकती है।
  • सावधान रहें। सार्वजनिक वाइ-फाइ के इस्तेमाल से फोन या लैपटाप हैक हो सकता है। कई बार लोग लागआउट करना भूल जाते हैं। इससे मैसेजिंग का दूसरे डिवाइस से लिंक बना रहता है।
  • यह भी ध्‍यान रखें कि किसी काल, वीडियो मैसेज से खरीदारी, डिजिटल पेमेंट, वेबसाइट विजिट से बचा जाए। आप अपने ब्राउजर को अपडेट रखें, इनमें गैरजरूरी चीजों को फिक्स करने की सुविधाएं होती हैं।

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