Dadi Prakashmani Death Anniversary : आज दादी प्रकाशमणि जी का स्मृति दिवस राष्ट्रपति भवन के कल्चरल सेंटर में आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में बोलते हुए माननीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि दो दिन पहले ही हम भारत के वैज्ञानिकों की अभूतपूर्व सफलता के साक्षी बने। आज भारत चांद के दुर्गम दक्षिणी ध्रुव पर कदम रखने वाला विश्व का पहला देश बन गया है। चंद्रयान 3 के द्वारा अनेक महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल होंगी। जिनका लाभ समस्त विश्व को मिलेगा। ऐसे महानतम कार्यों की सफलता के पीछे अनेक वर्षों की तपस्या होती है। लक्ष्य की प्राप्ति के लिए की गई तपस्या किसी महायज्ञ से कम नहीं है।
तपस्या का प्रकाश स्तंभ
श्रीमती मुर्मू के अनुसार, दादी प्रकाशमणि जी का जीवन तपस्या का प्रकाश स्तंभ रहा है। दादी जी ने 4 दशक तक ब्रह्माकुमारीज संस्था के प्रमुख प्रशासिका के रूप में अपनी अनमोल सेवाएं प्रदान की। 70 वर्षों की अथक त्याग, तपस्या और सेवा से उन्होंने विश्व भर में ईश्वरीय प्रेम का संदेश प्रसारित किया। दादीजी के प्रभावशाली नेतृत्व में संस्था एक छोटे से परिवार से विश्व स्तरीय आध्यात्मिक संगठन में परिवर्तित हो गई।
सबसे महान कार्य
माननीया ने कहा कि दादी प्रकाशमणि जी का जीवन हमें प्रेरणा देता है कि एक महान आत्मा ही प्रेम का संचार कर सकती है। कुछ लोग ऐसे कार्य कर जाते हैं जो लोगों के हृदय में सदा के लिए अमर हो जाते हैं। मनुष्यों को उनकी आत्मिक शक्ति का अनुभव करवाना और दुनिया में प्रेम एवं सौहार्द का विस्तार करना सबसे बड़ा महान कार्य है। दादी प्रकाशमणि जी ने इस महान कार्य की ज्योति जगाई। दादीजी ने संस्था को दुनिया में सबसे बड़े महिला नेतृत्व वाले संगठन के रूप में स्थापित किया।
स्मृतियां सदा साथ
माननीय राष्ट्रपति ने दादी के बारे में बताते हुए कहा कि कैसी भी चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में दादी जी ब्रह्माकुमारीज परिवार के साथ खड़ी रहकर उनका मार्ग दर्शन करती रहीं। आज दादी जी चाहे शारीरिक रूप से हमारे मध्य नहीं हैं लेकिन उनके आध्यात्मिक एवं प्रसन्नचित व्यक्तित्व की स्मृतियां और उनके मानव कल्याण का संदेश सदा हमारे साथ रहेगा। दादी जी की स्मृति में विमोचित किया गया डाक टिकट अनेक लोगों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बनेगा। माननीय राष्ट्रपति ने भारत सरकार के डाक संचार विभाग का धन्यवाद करते हुए कहा कि उनके द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ बहुत लोगों तक पहुंच रहा है।
दादी जी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि
भारत सरकार के संचार राज्यमंत्री माननीय देवी सिंह चौहान ने कहा कि भारत शुरू से ही संतों और ऋषियों की भूमि रही है। भारत ने सारे विश्व में ज्ञान का प्रकाश फैलाया है। जिस कारण ही भारत को विश्व गुरु माना जाता है। ब्रह्माकुमारीज महिलाओं द्वारा संचालित विश्व की सबसे बड़ी आध्यात्मिक संस्था है। साथ ही आज विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी भारत के सम्मान के प्रतीक के रूप में उपस्थित हैं।
उन्होंने कहा कि ब्रह्मा बाबा ने माताओं और बहनों को आगे करके एक महान फैसला लिया। दादी जी कभी भी अपने को हेड नहीं समझती थी। वो कहती थी कि हेड समझना अर्थात हेडेक लेना। दादी जी के बताए हुए मार्ग पर चलना दादी जी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है।
अनेक मेहमान रहे उपस्थित
ब्रह्माकुमारीज के अतिरिक्त महासचिव बीके बृजमोहन ने दादी जी के साथ के अनुभव साझा करते हुए कहा कि दादी जी भरी सभा में शान से कहती थी कि उन्होंने अपने जीवन में कभी भी झूठ नहीं बोला। उन्होंने कहा कि दादी जी सबका सम्मान करती थी। दादी जी प्रेम और विनम्रता की साक्षात मूर्ति थी। कार्यक्रम के शुरुआत में ओम शांति रिट्रीट सेंटर की निदेशिका राजयोगिनी आशा दीदी ने सबका स्वागत किया। कार्यक्रम में दादी जी के जीवन पर आधारित एक लघु फिल्म भी दिखाई गई। कार्यक्रम का संचालन बीके रमा ने किया। कार्यक्रम में लगभग 250 मेहमानों ने भाग लिया।
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