Data scraping: ट्विटर प्रमुख एलन मस्क ने डाटा स्क्रैपिंग के साथ सिस्टम मैनुपुलेशन की आशंका जताई है। यह भी कहा है कि कई कंपनियां इस गतिविधि में शामिल हैं। हालांकि जेनरेटिव एआइ के इस दौर में डाटा स्क्रैपिंग को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं।
डाटा स्क्रैपिंग क्या है
डाटा स्क्रैपिंग की प्रक्रिया आटोमैटिक होती है। इसमें कई तकनीकी कंपनियां वेबसाइट या आनलाइन स्रोतों से साफ्टवेयर टूल्स या प्रोग्रामिंग तकनीक के जरिये व्यापक स्तर पर डाटा कलेक्ट करती हैं। वह इसके तहत वेब पेज से प्राप्त जानकारियों को वे सुरक्षित फार्मेट यानी डेटाबेस में संग्रहित करती हैं और इन जानकारियों का विविध कार्यों में प्रयोग करती हैं।
क्या हैं प्रयोग
बता दें कि आनलाइन माध्यमों से संग्रहित डेटा के अकादमिक शोध से लेकर इनोवेटिव एप्लीकेशन और सर्विस तैयार करने तक विविध प्रकार के प्रयोग हो रहे हैं। शोधकर्ता और विश्लेषक मार्केट रिसर्च, ट्रेंड एनालिसिस या उत्पादों की सूचनाएं एकत्र करने के लिए भी करते हैं। इसमें कस्टमर फीडबैक, रिव्यू जैसे डाटा काफी उपयोगी होते हैं। पर सवाल यही है कि इसी डेटा का इस्तेमाल अनैतिक और अवैधानिक उद्देश्यों के लिए हो रहे हैं।
जाहिर है यह चिंता बढ़ाने वाली बात है। बस यही समझिए कि इसी को लेकर मस्क ने चिंता जताई व सवाल खड़े किए हैं। बता दें कि कई वेबसाइट पर लाग-इन करने के बाद एग्रीमेंट के लिए कहती हैं, ताकि बिना अनुमति के डाटा स्क्रैपिंग न की जा सके। साथ ही आपका पर्सनल डाटा, यानी आपकी मेल, फोन नंबर या संवेदनशील जानकारियों वाले डाटा की बिना अनुमति स्क्रैपिंग तो निजता का ही हनन है।
कई हैं बुरे प्रभाव
दरअसल, एलन मस्क डाटा स्क्रैपिंग को ध्यान में रखते हुए नियमों में बदलाव करने जा रहे हैं! उनकी एक बड़ी चिंता वेबसाइट के प्रदर्शन और सर्वर से भी जुड़ी हुई है। वास्तव में लगातार और संवेदनशील जानकारियों की स्क्रैपिंग की वजह से संबंधित सर्वर पर काफी लोड पड़ता है। इससे उस खास प्लेटफॉर्म का प्रदर्शन धीमा होता है, बल्कि उसके क्रैश करने की भी आशंका बढ़ जाती है।
इससे उपभोक्ता का उस प्लेटफॉर्म के प्रति का अनुभव भी खराब हो सकता है। डाटा से छेड़छाड़ और उसके दुरुपयोग की आशंका भी अधिक रहती है। यानी आप सही समझ रहे हैं लोग इसका प्रयोग अफवाह और फेक न्यूज फैलाने के लिए भी कर सकते हैं।
क्या कहते हैं मस्क
मस्क यह मानते हैं कि इन दिनो ट्विटर डाटा की बड़े पैमाने पर स्क्रैपिंग हो रही है। वे यह बात जाहिर करते हुए बताते हैं कि इससे इस मंच यानी ट्विटर के उपभोक्ता का अनुभव खराब हो रहा है। वे यह भी आरोप लगाते हुए बताते हैं कि कंपनियां अपने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस लैंग्वेज माडल को ट्रेंड करने के लिए इस डेटा का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल कर रही हैं।
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