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Diwali 2025: इस गांव में दिवाली के दिन छा जाता है अंधेरा,त्योहार मनाने से डरते हैं लोग, हैरान कर देगी यहां की कहानी

Diwali 2025: भारत में एक ऐसा गांव है जहां दिवाली का त्यौहार मनाने से लोग डरते हैं क्योंकि अगर किसी ने इस त्यौहार को इस गांव में मनाया तो कोई विपदा आ जाती है या किसी की अकाल मृत्यु हो जाती है। यह गांव हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिला के मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूरी पर स्थित है और इसका नाम सम्मू गांव है। इस गांव में दिवाली की रौनक देखने को नहीं मिलती है।

Diwali 2025
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Diwali 2025: दिवाली हिंदू धर्म का महत्व पूर्ण त्यौहार है और पूरे देश में धूमधाम से दिवाली का त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन पूरा देश रोशनी से जगमग हो जाता है लेकिन भारत में एक ऐसा गांव है जहां दिवाली का त्यौहार मनाने से लोग डरते हैं क्योंकि अगर किसी ने इस त्यौहार को इस गांव में मनाया तो कोई विपदा आ जाती है या किसी की अकाल मृत्यु हो जाती है। यह गांव हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिला के मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूरी पर स्थित है और इसका नाम सम्मू गांव है। इस गांव में दिवाली की रौनक देखने को नहीं मिलती है।

दिवाली के दिन यहां के लोग करते हैं पकवान और पटाखों से परहेज (Diwali 2025)

इस गांव में दिवाली के दिन ना तो दिया जलाया जाता है ना कोई पकवान बनता है और ना ही कोई पटाखे जलता है। अगर किसी ने अपने घर पर दिवाली का त्यौहार मना लिया तो उसके परिवार में विपदा जरूर आती है। यहां के स्थानीय नागरिकों का कहना है कि” जब भी दिवाली का त्यौहार आता है तो सबकी आंखों में आंसू आ जाता है क्योंकि पूरे देश में दिवाली की चहल-पहल होती है लेकिन हमारे गांव में दिवाली का त्यौहार नहीं मनाया जाता है”। तो आईए जानते हैं क्यों नहीं मनाया जाता है इस गांव में दिवाली का त्यौहार…

स्थानीय निवासियों का कहना है की पुरानी कथाओं के अनुसार एक महिला दिवाली के दिन अपने माई के जा रही थी। उसका पति राजा के दरबार में सैनिक था लेकिन जैसे ही महिला गांव से कुछ दूरी पर पहुंची उसे पता चला कि उसके पति की मौत हो गई है तब वह यह सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाई और वह अपने पति के चिता पर बच्चों के साथ सती हो गई। मरते मरते महिला ने श्राप दिया कि इस गांव के लोग कभी भी दिवाली नहीं मना पाएंगे। अगर कोई इस दिन दिवाली का त्योहार मानता है तो उसके घर में मौत हो जाती है या आग लग जाती है। इस दिन लोग सती हुई औरत की मूर्ति की पूजा करते हैं।

स्थानीय निवासियों का कहना है कि एक दो परिवारों ने कुछ साल पहले दिवाली मनाने की कोशिश की तो उनके घर के लोगों को बीमारी लग गई और उनकी मौत हो गई। सैकड़ो सालों से इस गांव में दिवाली नहीं मनाई जाती है। दिवाली के दिन इस गांव के लोग घर से बाहर नहीं निकलते हैं।

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