Happy Birthday PM Modi : एक बार पीएम मोदी ने कहा था-‘वो डरते हैं जो अपनी छवि के लिए मरते हैं। मैं वो इंसान हूं जो हिंदुस्तान की छवि के लिए मरता हूं। मुझे मेरी छवि की परवाह नहीं। ये साल 2023 है और सच में हिंदुस्तान की छवि बदल गई है। दुनिया में हिंदुस्तान का डंका बज रहा है। दुनिया के तमाम नेता मोदी के साथ सेल्फी ले रहे हैं तो कुछ उनके स्वागत में एयरपोर्ट पर नजर आ रहे हैं।
एक नया हिंदुस्तान
जी 20 की सफलता ने तो भारत की छवि वैश्विक स्तर पर और मजबूत कर दी है। अब ये पहले वाला भारत नहीं रहा जो कतार में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार करता था अब ये नया हिंदुस्तान है, जो दुनिया को राह दिखा रहा है और इसमें पीएम मोदी के योगदान को कोई नकार नहीं सकता है।
प्रभावशाली छवि का प्रभाव
ये सच है कि किसी भी देश का प्रधानमंत्री उस देश को रिप्रजेंट करता है,उसे देश के लोगों को रिप्रजेंट करता है लेकिन इसके साथ-साथ ये भी मायने रखता है कि उस देश का प्रधानमंत्री कितना प्रभावशाली है और कौन है..? पीएम मोदी इस मामले में नई गाथा लिख रहे हैं।
प्रधानमंत्री की छवि देश में एक ऐसे नेता की बन चुकी है जो विकास का हिमायती है, भ्रष्टाचार और परिवारवाद का विरोधी है..और इस छवि का असर कहीं न कहीं अब हिंदुस्तान की छवि में भी दिख रहा है।
वकील साहब उर्फ़ लक्ष्मण राव इनामदार!
आठ साल की उम्र में आरएसएस से जुड़ने वाले मोदी की यात्रा में एक व्यक्ति ऐसा भी था, जिसके लिए वो झाड़ू लगाने से लेकर कपड़े धोने तक का काम करते थे। लोग उन्हें वकील साहब उर्फ़ लक्ष्मण राव इनामदार के नाम से जानते हैं। वकील साहब, लक्ष्मण राव इनामदार की मोदी पर सबसे अधिक छाप थी।
17 साल की उम्र में आरएसएस में शामिल
17 सितंबर 1950 को गुजरात के मेहसाणा जिले के अंतर्गत वडनगर में दामोदर दास और हिराबेन के घर नरेंद्र मोदी (Happy Birthday PM Modi) का जन्म हुआ। मोदी, वड नगर स्टेशन पर अपने पिता और भाई किशोर के साथ चाय बेचा करते थे। 17 साल की उम्र में घर छोड़ दिया और अहमदाबाद पहुंचकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सदस्यता ले ली।
बाद में नव निर्माण आंदोलन में शामिल हुए, इस बीच पढ़ाई चलती रही.मां के बेहद करीब नरेंद्र खाना बनाने में मां का हाथ बंटाते थे। बचपन में तैराकी करने वाले नरेंद्र मोदी के वड नगर के एक गरीब परिवार से दिल्ली के सत्ता के शिखर तक पहुँचने की कहानी बड़ी दिलचस्प है।
वो घडि़याल वाला किस्सा
पीएम मोदी बचपन (Narendra Modi Ke Ansune Kisse) में अन्य बच्चों से अलग थे। एक बार वो घर के पास के शर्मिष्ठा तालाब से एक घड़ियाल का बच्चा पकड़ लाए थे। मां ने कहा, बेटा इसे वापस छोड़कर आओ, नरेंद्र इस पर राज़ी नहीं हुए। फिर मां ने समझाया कि अगर कोई तुम्हें मुझसे चुरा ले तो तुम पर और मेरे पर क्या बीतेगी? जरा सोचो। मोदी, मां हिराबेन की बात समझकर उस घड़ियाल के बच्चे को तालाब में वापस छोड़ आए।
रंगमंच खूब लुभाता
नरेंद्र मोदी को बचपन से ही अच्छे कपड़े पहनने का शौक था। स्टाइल के मामले में मोदी बचपन से ही थोड़े अलग थे, कभी बाल बढ़ा लेते थे तो कभी सरदार के गेटअप में आ जाते थे। रंगमंच उन्हें खूब लुभाता था। स्कूल के दिनों में नाटकों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते थे। 13 साल में मोदी ने प्ले करना शुरू कर दिया था।
वड नगर के भगवाचार्य नारायण आचार्य स्कूल में पढ़ाई करने वाले मोदी एक औसत छात्र थे, लेकिन स्कूल की बाकी गतिविधियों में अव्वल आते थे। नाटकों में हिस्सा लेना एनसीसी जवाइन करना और डिबेट में विरोधियों को धूल चटाना, उन्हें अच्छा लगता था।
होटल नहीं प्लेन में नींद
पीएम मोदी को काम करना पसंद है. 2012 में एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, मैं पांच घंटे सोता हूं.योगा और प्राणायाम मुझे दिन भर ताज़ा रखते हैं। मोदी पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिनका जन्म आज़ाद भारत में हुआ है। पीएम मोदी के बारे में बहुत कम लोग यह जानते हैं कि वह होटल के बजाय प्लेन में ही सोने की कोशिश करते हैं। सरकारी अधिकारियों की मानें तो PM मोदी होटल में तभी ठहरना पसंद करते हैं जब अगले दिन उनका कोई कार्यक्रम हो।
जिप्सी संस्कृति से प्रेरित
1985 वो साल था जब बीजेपी में पीएम मोदी की आधिकारिक एंट्री हुई थी। ट्विटर पर सबसे ज़्यादा फॉलो किए जाने वाले नेता नरेंद्र मोदी ने जिप्सी संस्कृति से प्रेरित होकर कई साल धार्मिक यात्राएं की हैं। जिप्सी संस्कृति के लोग गाते बजाते हैं और अपनी मंज़िल को ढूंढने के लिए लंबे रास्ते तय करते हैं। इन खानाबदोश लोगों को भारत में बंजारा और विदेशों में जिप्सी के नाम से जाना जाता है।
एक इंटरव्यू में मोदी अपनी यात्राओं के बारे में कहते हैं, वैसे तो मैंने 17 साल की आयु में घर छोड़ दिया। स्कूली शिक्षा के बाद में निकल गया। तब से लेकर के आज तक मैं भटक रहा हूं नई चीज़ें पाने के लिए।
फोटोग्राफी का शौक
पीएम मोदी को फोटोग्राफी का भी बहुत शौक है। प्रधानमंत्री मोदी पब्लिक रिलेशन और इमेज मैनेजमेंट का तीन महीने का कोर्स अमेरिका से कर चुके हैं। PM मोदी पांच भाई हैं और एक बहन। सोम भाई मोदी, प्रधानमंत्री मोदी के सबसे बड़े भाई हैं। अक्टूबर में पुणे में एक एनजीओ के कार्यक्रम में संचालक ने मंच से सबको बता दिया था कि सोम भाई नरेंद्र मोदी के बड़े भाई हैं। सब चौंक गए फिर सोम भाई ने सफाई दी।
सादगी परिवार की
पीएम मोदी के किसी भाई के पास किराने की दुकान है तो कोई प्राइवेट कंपनी में काम करता है। भारत में यह तो किसी पार्षद का दूर का रिश्तेदार भी अपनी धौंस जमाने से नहीं चूकता और यहां देश के प्रधानमंत्री का सगा भाई कह रहा है कि मैं प्रधानमंत्री का भाई नहीं नरेंद्र मोदी का भाई हूं।
एक इंटरव्यू में अपने परिवार के सदस्यों की सादगी के बारे में पीएम मोदी बताते हैं कि इसका श्रेय मेरे भाइयों और भतीजो को दिया जाना चाहिए कि वो साधारण जीवन जी रहे और कभी मुझ पर दबाव बनाने की कोशिश नहीं की।
इसलिए परिवार से दूरी
आरएसएस का एक नियम है कि प्रचारक को परिवार से दूरी बनानी होती है। मोदी इसी वजह से परिवार से दूर रहते थे। मोदी कुनबा आज भी उसी तरह गुमनाम ज़िंदगी जी रहा है जैसे वो नरेन्द्र मोदी के पहली बार सीएम बनने पर जीया करता था। मोदी के साथ ही तालाब के बगल में खेलने वाले भीगी वेन अब अहमदाबाद में रहते हैं अपने दोस्त को याद करते हुए वह कहते हैं- वह अच्छा ही काम करेगा क्योंकि उन्होंने अपने परिवार के बारे में नहीं सोचा।
उसने हमेशा निडर होकर अपनी ज़िंदगी जी है। तालाब में जब पानी आता था तब तालाब के बीच मंदिर में वही ध्वजा फहराते थे। पूरा गांव उनको देखता था जैसे आज पूरा हिंदुस्तान देख रहा है।
समय की आगे की सोच
पीएम मोदी के कॉलेज के दोस्त सुधीर जोशी पचास साल पहले का एक हिस्सा सुनाते हैं और कहते हैं, तब हम दोनों स्कूल में थे। एक दिन नरेंद्र ने मुझसे कहा कि मुझे क्लास रिप्रजेंटेटिव का चुनाव लड़ना है और मैंने फॉर्म भर दिया है। पर मैंने उनसे कहा कि ये तुम्हारे लिए नहीं है तुम नहीं जीत पाओगे फिर भी मोदी चुनाव लड़े और जीते भी..। तभी मुझे इस बात का अहसास हुआ कि मोदी समय से बहुत आगे की सोचते हैं।
पंडित नेहरु, इंदिरा के बाद अपार लोकप्रियता
पीएम मोदी की एनसीसी वाली ड्रेस की खूब चर्चा होती है। जब भी मोदी पर कुछ लिखा जाता है, कुछ कहा जाता है, तो उस तस्वीर की चर्चा ज़रूर की जाती है, लेकिन बहुत कम लोगों को यह मालूम है कि यह तस्वीर 1964 में खींची गई थी। तब किसी को इसकी भनक नहीं थी कि एनसीसी का यह नन्हा सा बालक एक दिन भारत का प्रधानमंत्री बनेगा। राजनीतिक पंडित तो यहां तक कहते हैं कि पंडित नेहरू और इंदिरा गांधी के बाद देश में इतनी लोकप्रियता किसी दूसरे प्रधानमंत्री को नहीं मिली।
अटलजी से रिश्ता
पीएम मोदी का देश के पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी के साथ एक खास रिश्ता था। वह अटल बिहारी वाजपेयी ही थे जिनके फ़ैसले से मोदी आज सत्ता के शिखर तक पहुंचे हैं। दरअसल गुजरात में 1995 चुनाव में बीजेपी ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई।
शंकर सिंह वाघेला और नरेंद्र मोदी को दरकिनारकर कर केशू भाई पटेल को मुख्यमंत्री बनाया गया था। मोदी को पार्टी का कामकाज देखने के लिए दिल्ली बुला लिया गया। 1998 में गुजरात में मध्यावधि चुनाव हुए और एक बार फिर से बीजेपी की सत्ता में वापसी हुई।
केंद्रीय नेतृत्व ने इस बार भी केशूभाई पटेल को गुजरात की कमान सौंपी। 26 जनवरी 2001 को भूकंप ने गुजरात को हिला कर रख दिया था.लोग सरकार से निराश हो चुके थे, विधानसभा के तीन सीटों पर हुए उप चुनाव में बीजेपी बुरी तरह से हार गई। केशू भाई पटेल ने स्वास्थ्य का हवाला देकर इस्तीफा दे दिया।
ऐसे बने गुजरात के मुख्यमंत्री
अक्टूबर 2001 में नरेंद्र मोदी दिल्ली में एक अंतिम संस्कार में गए थे। उसी वक्त उनके पास प्रधानमंत्री निवास से फोन आया और मिलने को कहा गया.केंद्र में एनडीए के सरकार थी और प्रधानमंत्री थे अटल बिहारी वाजपेयी ने मोदी से कहा कि वो दिल्ली छोड़ दें और गुजरात चले जाएं।
तब मोदी समझ नहीं पाए कि गुजरात जाने का मतलब क्या है? बाद में मोदी को वाजपेयी की पूरी बात समझाई गई। जानकार कहते हैं कि अटल का मोदी को गुजरात भेजना मोदी के राजनीतिक जीवन की सबसे बड़ी घटना थी।
विदेशी नेताओं में क्रेज
जापान के प्रधानमंत्री दिवंगत शिंजो अबे की पहचान एक राष्ट्रवादी नेता की थी। शिंजो अबे ने PM मोदी को शुभकामनाएं देने के लिए अंग्रेज़ी में ट्विट किया था। शिंजो अबे ने इससे पहले कभी भी अंग्रेज़ी में कुछ भी नहीं लिखा था, वो हमेशा जापानी भाषा का इस्तेमाल करते थे और उसी में ट्विट करते थे।
हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडेन ने पीएम मोदी को राजकीय यात्रा पर बुलाया था। पीएम मोदी जहां जाते हैं वहां प्रशंसकों की भीड़ लग जाती है। विदेशों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री के लिए ऐसा क्रेज शायद पहले कभी नहीं देखा गया है।
ब्रांड मोदी आज भी मजबूत
2024 में आम चुनाव होने वाला है अगर बीजेपी जीतती है तो पीएम मोदी संभवत: तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बनेंगे. राजनीतिक पंडित तो अभी से उन्हें विजेता बता रहे हैं। दरअसल इसकी एक वजह भी है। इतने सालों तक सत्ता में रहने के बावजूद मोदी ब्रांड कमजोर नहीं हुआ है। भले बीजेपी इस बीच एक दो चुनाव हारी है लेकिन राज्य और लोकसभा के चुनाव के मुद्दे अलग होते हैं, जो लोग दिल्ली में केजरीवाल के लिए वोट करते हैं वही केन्द्र में सरकार बनाने के लिए बीजेपी को।
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भारतीयों की उम्मीद आज भी
सबसे अहम बात ये है कि पीएम मोदी इतने दिनों तक सत्ता में रहने के बावजूद आज भी भारतीयों की सबसे बड़ी उम्मीद बने हुए हैं। अटल जी ने एक बार संसद में कहा था, सरकारें आएंगी, जाएंगी, पार्टियां बनेंगी, बिगड़ेगी मगर यह देश रहना चाहिए। पीएम मोदी पर लोगों का ऐसा भरोसा है कि इस शख्स के हाथों में देश सलामत है. पहले भी मोदी की आलोचना होती थी और आज भी होती है. जितना उनके खिलाफ लिखा गया उतना शायद किसी नेता के खिलाफ नहीं लिखा गया हो।
विरोध ने और ताकतवर बनाया
कई लोग तो यहां तक कहते हैं कि विपक्ष ने मोदी का जितना विरोध किया मोदी उतने ही ताकतवर होते चले गए. एक हद तक मोदी की आलोचनाओं ने भी उन्हें बड़ा बनाया है। कहते हैं गुजरात और दिल्ली, पीएम मोदी के सफर में सबसे अहम शहर रहे हैं। दोनों शहरों का अपना ऐतिहासिक महत्व रहा है।
कभी दिल्ली से गुजरात जाने पर मोदी के नियति बदली, तो कभी गुजरात से दिल्ली आने पर। एक और शहर है जिसने उनका सितारा बदलने का काम किया है वो शहर है बनारस। संभव है कि 2024 में पीएम मोदी फिर से बनारस से चुनाव लड़ें…और अपने अबतक के शानदार सफर को खूबसूरत मंजिल पर लाकर छोड़ दें।
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