Central Govt. vs Delhi Govt: दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग का मामला काफी पेंचीदा होता जा रहा है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल सरकार के पक्ष में अधिकारों को लेकर फैसला सुनाया था। लेकिन इस फैसले को चुनौती देने के लिए केंद्र सरकार अब एक अध्यादेश लेकर आ गई है। इस अध्यादेश को 6 महीने के भीतर संसद से पारित कराना होगा। इसी को लेकर अरविंद केजरीवाल अब विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं और इस अध्यादेश के खिलाफ विपक्षी दलों से समर्थन मांग रहे हैं। एनडीए के पास लोकसभा में बहुमत है, लेकिन राज्यसभा में इसे पारित करवाना मुश्किल नजर आ रहा है।
किसके पास है राज्यसभा में बहुमत?
राज्यसभा मे कुल 238 सदस्य हैं, जिनमें एनडीए के पास 110 सांसद हैं जबकि यूपीए के पास 64 सदस्य हैं। एनडीए को अध्यादेश पारित कराने के लिए 120 सीटें चाहिए। राज्यसभा में टीएमसी की 12 राज्यसभा सीटें हैं, जबकि आप के 10, बीजेडी और वाईएसआर के 9-9 और बीआरएस के 7 सांसद है। एनडीए को अध्यादेश पारित कराने के लिए दूसरे दलों की भी आवश्यकता होगी। इसी सिलसिले में दिल्ली के सीएम ने ममता बनर्जी और शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे से मुलाकात भी की थी।
केंद्र सरकार का यह अध्यादेश क्या कहता है?
19 मई को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने वाला अध्यादेश जारी किया जिसके तहत किसी भी अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग से जुड़ा अंतिम फैसला लेने का हक उपराज्यपाल को सौंप दिया गया है। इस अध्यादेश के तहत दिल्ली में सेवा दे रहे ‘दानिक्स'(दिल्ली अंडमान-निकोबार, लक्षद्वीप, दमन एंड दीव, दादरा एंड नगर हवेली सिविल सर्विसेज) कैडर के ग्रुप A अधिकारियों के ट्रांसफर और अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए ‘राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्राधिकरण’ गठित किया गया।
(यह ख़बर विधान न्यूज के साथ इंटर्नशिप कर रहे गौरव श्रीवास्तव द्वारा तैयार की गई है।)

