Israel Hizbullah Ceasefire Deal: पश्चिम एशिया में 14 महीने से चल रही भयानक जंग के खत्म होने की उम्मीद जागी है। इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच एक सीजफायर डील पर सहमति बन गई है। इस महत्वपूर्ण समझौते की घोषणा अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने की है। शांति समझौते में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की भी अहम भूमिका रही, जिसके लिए बाइडेन ने उन्हें धन्यवाद दिया है।
जो बाइडेन का बयान
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने X (पूर्व ट्विटर) पर इस समझौते की घोषणा की। उन्होंने कहा, “आज मेरे पास मध्य पूर्व से जुड़ी एक अच्छी खबर है। मैंने इजरायल और लेबनान के प्रधानमंत्रियों से बात की है। मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि दोनों पक्षों ने इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच जंग खत्म करने के लिए अमेरिका के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है।”
बाइडेन ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को इस समझौते को अंजाम तक पहुंचाने में मदद के लिए धन्यवाद भी दिया।
नेतन्याहू ने क्या कहा?
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से इस समझौते पर चर्चा की। उन्होंने अमेरिकी मध्यस्थता के लिए आभार व्यक्त किया। हालांकि, नेतन्याहू ने यह भी कहा कि सीजफायर की अवधि लेबनान में परिस्थितियों पर निर्भर करेगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि इजरायल किसी भी उल्लंघन का कड़ा जवाब देगा और देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध रहेगा।
समझौते की शर्तें क्या हैं?
इस सीजफायर डील के तहत निम्नलिखित शर्तें तय की गई हैं:
1. जंग का अंत:
इजरायल और लेबनान की सीमा पर 14 महीने से जारी जंग को तत्काल प्रभाव से समाप्त किया जाएगा।
2. सुरक्षा सुनिश्चित
हिजबुल्लाह और अन्य आतंकवादी संगठनों को इजरायल की सुरक्षा को खतरे में डालने की अनुमति नहीं होगी।
3. लेबनानी सेना की भूमिका
अगले 60 दिनों में लेबनानी सेना और सुरक्षा बल सीमा क्षेत्रों में तैनात किए जाएंगे और क्षेत्र का नियंत्रण फिर से हासिल करेंगे।
4. आतंकवादी ढांचे पर रोक
हिजबुल्लाह के आतंकवादी बुनियादी ढांचे को फिर से खड़ा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी
5. आत्मरक्षा का अधिकार
अगर हिजबुल्लाह या कोई अन्य समूह इस समझौते का उल्लंघन करता है, तो इजरायल को आत्मरक्षा का अधिकार होगा।
शांति समझौते की अहमियत
यह डील केवल जंग रोकने का प्रयास नहीं है, बल्कि दोनों पक्षों के बीच स्थायी शांति स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इजरायल और लेबनान के बीच वर्षों से चल रहे तनाव के बीच यह समझौता स्थिरता लाने में मददगार हो सकता है।
फ्रांस की भूमिका
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने इस समझौते में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी मध्यस्थता से दोनों पक्षों के बीच बातचीत संभव हो सकी।
आगे की चुनौतियां
हालांकि यह डील सकारात्मक कदम है, लेकिन इसकी सफलता लेबनान और हिजबुल्लाह की प्रतिबद्धता पर निर्भर करती है। इजरायल ने स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी उल्लंघन का जवाब कड़ा होगा।
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