India Made T90 Tanks: भारत ने T90 भीष्म टैंकों को और भी घातक बनाया है, जो भारतीय सेना के मुख्य युद्धक टैंक हैं। रूस की मदद से निर्मित इन टैंकों का पहली बार ओवरहॉल किया गया है, जिससे इनकी ताकत और मारक क्षमता में वृद्धि हुई है। ओवरहॉल की प्रक्रिया में टैंक के सभी हिस्सों को खोलकर, जो खराब होते हैं उन्हें बदल दिया जाता है, जिससे टैंक नए जैसे हो जाते हैं। वर्ष 2003 से T90 भारतीय सेना के सबसे प्रमुख युद्धक टैंकों में शामिल हैं और अपनी शक्ति, गति और सुरक्षा के लिए जाने जाते हैं।
भारत के पास 1700 से अधिक T90 टैंक
भारतीय सेना के पास वर्तमान में 1,700 से अधिक टी-90 टैंक हैं, जिन्हें दिल्ली कैंटोनमेंट स्थित 505 आर्मी बेस वर्कशॉप में ओवरहॉल किया गया है। यह कदम देश की आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण है और सेना के तकनीकी कौशल को भी दर्शाता है। इन टैंकों को पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ तनाव के दौरान तैनात किया गया था। हर यूनिट में करीब 45 टैंक होते हैं और यह भारतीय सेना के सबसे मजबूत टैंकों में से एक है।
टैंक की खासियत
टी-90 टैंक की खासियत इसकी उन्नत तकनीक और डिजाइन में है। इसका वजन 48 टन है और यह 60 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकता है। इसका छोटा आकार इसे पहाड़, जंगल, और दलदली इलाकों में चलने में सक्षम बनाता है। इसकी 125 मिमी की स्मूथबोर गन 4 किमी तक की दूरी पर सटीक निशाना लगाने में सक्षम है। इसके अलावा, इसमें एंटी-एयरक्राफ्ट गन भी लगी है, जो हेलीकॉप्टर को भी गिरा सकती है।
टैंक की मारक क्षमता
इस टैंक की ऑपरेशनल रेंज 550 किमी है और इसमें कमांडर, गनर और ड्राइवर सहित सिर्फ तीन लोग होते हैं। थर्मल इमेजिंग तकनीक से लैस यह टैंक 6 किमी दूर तक के इलाके पर नजर रख सकता है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह जैविक और रासायनिक हमलों का भी सामना कर सकता है, जो इसे युद्ध के मैदान में अद्वितीय बनाता है। इस टैंक की मजबूती इसे रॉकेट और अन्य विस्फोटक हमलों से भी सुरक्षित रखती है।