Karnataka Assembly Speaker Post: कर्नाटक में कांग्रेस सरकार की जीत के बाद पहले तो सीएम और डिप्टी सीएम के पद पर बहस हुई और अब विधानसभा अध्यक्ष के पद को लेकर माथापच्ची शुरू हो गई है। दरअसल कांग्रेस पार्टी ने प्रोटेम स्पीकर का ऐलान किया था लेकिन स्पीकर किसे बनाया जाए अभी तक इसका फैसला नहीं हो पाया है क्योंकि कर्नाटक में सभी वरिष्ठ कांग्रेस नेता जी ने विधानसभा में अध्यक्ष पद स्वीकार करने का ऑफर दिया जा रहा है वह इस पद को स्वीकार करने से पीछे हटते दिखाई दे रहे हैं, इसी के चलते पार्टी को अभी तक विधानसभा अध्यक्ष नहीं मिल पाया है।
अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी नहीं लेना चाहते वरिष्ठ नेता
रिपोर्ट के अनुसार डॉक्टर सीएम सिद्धारमैया ने 19 मई को कांग्रेस नेता अरवी देशपांडे के प्रोटेम स्पीकर बनने की घोषणा की थी। सोमवार से शुरू इस तीन दिवसीय सत्र के पहले सत्र में नए अध्यक्ष का चुनाव और विधायक के पद की शपथ लेने की बात कही गई थी।
दरअसल डॉक्टर जी परमेश्वर को सबसे पहले विधान अध्यक्ष पद को संभालने की जिम्मेदारी दी गई थी लेकिन लेकिन उनके इनकार करने पर उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया। रिपोर्ट के अनुसार अब कांग्रेस पार्टी पीबी जयचंद्र, एचके पाटील, डीआर पाटील और वाईएन गोपाल कृष्ण में से किसी एक वरिष्ठ नेता को अध्यक्ष बनाने पर विचार कर रही है। जबकि इनमें से कोई भी नेता इस पद को स्वीकार करने में इच्छुक नहीं दिखाई दे रहा। सभी नेता कर्नाटक के विधानसभा अध्यक्ष पद को मनहूस मानते हैं।
क्यों अशुभ है विधानसभा अध्यक्ष का पद?
कर्नाटक में इस पद को मनहूस मानने के पीछे का कारण यह है कि इस पद को संभालने वाले कई राजनीतिक नेता चुनाव हार गए और उनमें से कई नेता तो ऐसे भी थे जिनका राजनीतिक कैरियर ही समाप्त हो गया। जानकारी के अनुसार 2004 के बाद जो भी नेता इस कुर्सी पर बैठा उसे अपने राजनीतिक करियर में बड़े झटकों का सामना करना पड़ा।
2004 में एम एस कृष्ण के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में कृष्ण ने अध्यक्ष का पद संभाला था, जिसके बाद 2008 में वे चुनाव हार गए थे। 2013 में अध्यक्ष का पद संभालने वाले कागोडू थिम्मप्पा भी 2018 के बाद से सभी चुनाव हार गए हैं। 2016 में केवी कोलीवाड़ ने स्पीकर का पद संभाला था जिसके बाद 2018 और 2019 के विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा जबकि वह पिछले 5 बार से विधानसभा के सदस्य थे।
2018 में रमेश कुमार ने भी इस पद को स्वीकार किया था और उन्हें इस बार के चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। भाजपा की सरकार के दौरान अध्यक्ष बने विश्वेश्वर हेगिड़े कागेरी भी इस बार हार गए। यही कारण है कि अब कांग्रेस के नेता इस पद को स्वीकार करने से पीछे हट रहे हैं।
(यह ख़बर विधान न्यूज के साथ इंटर्नशिप कर रहे गौरव श्रीवास्तव द्वारा तैयार की गई है)
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