Karnataka CM Tussle: कर्नाटक में सीएम पद के ‘डीके शिवकुमार या सिद्धारमैया’ की पहेली अभी सुलझी भी नहीं है कि मुख्यमंत्री पद के लिए एक तीसरे पक्ष ने भी अपनी दावेदारी पेश कर दी है। राज्य में लिंगायतों का प्रतिनिधित्व करने वाली अखिल भारतीय वीरशैव महासभा ने राज्य के मुखिया के तौर पर अपना नाम पेश किया है।
इस दावे में कहा गया है कि नवनिर्वाचित कांग्रेस विधायकों में से 34 विधायक लिंगायत हैं। लिंगायत वोट कभी भाजपा का प्रमुख जनाधार था, जो इस बार कांग्रेस की जीत में महत्वपूर्ण कारण बना है।
दलित समुदायों ने भी दलित सीएम की मांग
इसके अलावा एक और दावा दलित समुदाय की ओर से आया है। दिग्गज कांग्रेस नेता जी परमेश्वर के समर्थकों ने दलित नेता को मुख्यमंत्री पद के लिए चुने जाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। इस दौरान तुमकुर में सभा के दौरान ‘एक दलित को मुख्यमंत्री होना चाहिए’ लिखी तख्तियां लहराई गई थीं।
अखिल भारतीय वीरशैव महासभा ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को लिखे एक पत्र में कहा है कि कांग्रेस ने इस समुदाय से 46 उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा था, जिनमें से 34 उम्मीदवार जीते हैं।
शमनुरु शिवशंकरप्पा हैं बड़े लिंगायत नेता
संगठन के सदस्यों में प्रमुख लिंगायत नेता हैं। इसके अध्यक्ष कर्नाटक के सबसे पुराने विधायक 91 वर्षीय शमनुरु शिवशंकरप्पा हैं, जो इस बार दावणगेरे दक्षिण से जीते हैं।
पक्ष में लिखा है कि हम आपके ध्यान में लाना चाहते हैं कि हमारे समुदाय ने अन्य 50 निर्वाचन क्षेत्रों में छोटे समुदायों को भी साधने में एक प्रमुख भूमिका निभाई है। जिसके फलस्वरूप कांग्रेस पार्टी राज्य में 134 सीटों पर जीत हासिल करेगी।
राज्य में 17% आबादी है लिंगायतों की
कर्नाटक की आबादी का 17 प्रतिशत हिस्सा लिंगायत हैं, जो संभावित रूप से लगभग 100 सीटों पर परिणाम बदल सकते है। यह इस समुदाय का चुनावी महत्व है, जिसने सभी पार्टियों को इनका समर्थन पाने के लिए आतुर देखा और चुनावों में लिंगायत नेताओं को बढ़ावा दिया।
संगठन ने सुझाव दिया है कि यह महत्वपूर्ण है, कांग्रेस अगले साल होने वाले लोकसभा के आम चुनाव के लिए समुदाय के समर्थन को बरकरार रखे। इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए हम कांग्रेस पार्टी से कर्नाटक राज्य के मुख्यमंत्री पद के लिए वीरशैव लिंगायत समुदाय के नेता को मौका देने/विचार करने का आग्रह करते हैं।
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