Middle East Tension War: मिडिल ईस्ट में महायुद्ध की विध्वंसक तैयारी, इजरायल पर हमला करना ईरान को पडेगा भारी

Middle East Tension War: मिडिल ईस्ट में तनाव जोरों पर हैं। एक तरफ है इजराइल तो दूसरी तरफ ईरान। लेकिन इस विनशक युद्ध में दोनों देशों की मदद के लिए खुलकर अन्य देश सामने आ रहे हैं और दो अलग-अलग मोर्चा बनता दिख रहा है। 

कुन्दन सिंह, संवाददाता: ईरान और रूस ने मिलकर जहां मिडिल ईस्ट (Middle East Tension War) में महायुद्ध का मोर्चा बना लिया है। वहीं इजरायल और अमेरिका ने भी जंग की तैयारी तेज कर दी है। अमेरिका ने अपने दो एयरक्राफ्ट कैरियर शिप इजरायल की मदद के लिए भेज दिए हैं। भूमध्य सागर से लेकर लाल सागर और फारस की खाडी तक मिडिल ईस्ट में अमेरिकी सेना की तैनाती हो गई है।

तेहरान में घुसकर इस्माइल हानिया को मार गिराने के बाद ईरान ने इजरायल पर सही वक्त पर हमला करने की धमकी दी है। जिससे पूरा मिडिल ईस्ट खौफ में है। इजरायल ने ईरान के हमले को नाकाम करने के लिए तैयारी तेज कर दी है। अमेरिका भी इजरायल की हर साल में सुरक्षा करने के वादे के साथ मैदान में उतर गया है।

इजरायल के खिलाफ जंग में उतरे ये देश

वहीं लेबनान में हिजबुल्लाह और यमन से हूती विद्रोही पहले ही इजरायल के खिलाफ जंग में उतरे हुए हैं। जबकी सीरिया और इराकी मिलिशिया ने भी जंग की हुंकार भर दी है, तो ईरान हमले की तैयारी कर रहा है। पांच तरफ से हमले की आशंका से घिरे इजरायल ने हमले से निपटने का प्लान तैयार कर लिया है। इजरायल ने पूरी सीमा पर अपने तमाम डिफेंस सिस्टम को एक्टिव कर दिया है। एयरफोर्स और आर्मी भी रेडी टू फायर मोड में है। ईरान की मिसाइलों और ड्रोन हमलों को रोकने के लिए इजरायली सेना ने 5 डिफेंस सिस्टम तैनात किए हैं।

इजरायली सेना ने तैनात किए ये 5 डिफेंस सिस्टम

  • जिसमें पहला डिफेंस सिस्टम है आयरन बीम, जो 15 से 19 किलोमीटर दूरी ही दुश्मन के रॉकेट या मिसाइल को मार गिराएगा।
  • इजरायल का दूसरा डिफेंस सिस्टम है आयरन डोम, ये 70 किलोमीटर के दायरे में आने वाले दुश्मन के हथियार को तबाह कर डालेगा।
  • तीसरा है डेविड स्लिंग सिस्टम, ये 150 से 250 किलोमीटर की दूरी पर दुश्मन की मिसाइल को निशाना बनाएगा।
  • चौथा है एरो-2 डिफेंस सिस्टम, जो 250 किलोमीटर की दूरी तक सुरक्षा करेगा।
  • जबकि पांचवां है, एरो-3 डिफेंस सिस्टम, ये 250 किलोमीटर के दायरे से बाहर से आने वाली ईरान की मिसाइलों को भस्म कर देगा।

इन डिफेंस सिस्टम के साथ ही इजरायल ने पलटवार के लिए अपने फाइटर जेट F-35 अडीर, F-16 और F-15 को भी रेडी कर लिया है। इन्हें विनाश मचाने वाले प्रिसिजेन गाइडेड बमों से लैस कर रखा है ताकि दुश्मनों को तबाह किया जा सके।

इजरायल ने समंदर में भी एडवांस सार-6 वॉरशिप समेत तमाम जंगी जहाजों की तैनाती कर दी है। उन्हें बराक-8 जैसी घातक मिसाइलों और आयरन डोम के नेवल वर्जन से लैस करके हमले की तैयारी की है। रूस क्योंकि ईरान के साथ आ गया है इसलिए अमेरिका ने भी हथियारों की तैनाती बढा दी है। ब्रिटेन भी अपने जंगी जहाजों और हथियारों के साथ इजरायल को मदद देने पहुंच गया है।

अमेरिका ने भी भेजा एयरक्राफ्ट कैरियर

अमेरिका ने USS अब्राहम लिंकन एयरक्राफ्ट कैरियर को मिडिल ईस्ट में भेजा है। इसके साथ कैरियर strike group के डिस्ट्रॉयर शिप और जंगी जहाज शामिल हैं। USS अब्राहम लिंकन पर F-18 सुपर हॉर्नेट फाइटर जेट तैनात हैं। जबकि मिसाइलों और GBU बमों का जखीरा मौजूद है.।

अमेरिका का USS वास्प एंफीबियस असॉल्ट वॉरशिप पहले से ही भूमध्य सागर में इजरायल के करीब तैनात है। जिस पर 20 F-35 फाइटर जेट समेत अटैक जेट तैनात हैं। जबकि ईरान और हूती की बैलिस्टिक मिसाइलों को तबाह करने के लिए अमेरिकी डिस्ट्रॉयर शिप पर SM-6 मिसाइलें और हमला करने के लिए टॉमहॉक मिसाइलों का जखीरा मौजूद है।

अमेरिका का ईरान को दो तरफ से घेरने का प्लान

अमेरिका ने ईरान को दो तरफ से घेरने का प्लान बनाया है। पहला भूमध्य सागर और लाल सागर, जबकि दूसरा फारस की खाडी और अरब सागर। भूमध्य सागर और लाल सागर से USS अब्राहम लिंकन कैरियर strike group इजरायल को हमले से बचाएगा तो फारस की खाडी और अरब सागर से USS थियोडोर रूजवेल्ट कैरियर strike group मोर्चा संभालने के लिए तैनात हो गया है।

ब्रिटेन ने भी मिडिल ईस्ट में भेज दी अपनी सेना

अमेरिका के साथ ही ब्रिटेन ने भी अपनी सेनाएं मिडिल ईस्ट में भेज दी हैं। साइप्रस और अदन की खाडी में अमेरिका के साथ मिलकर जंग का मोर्चा तैयार कर लिया है। यानि साफ है कि मिडिल ईस्ट में भूमध्य सागर से फारस की खाडी तक जंग का ऐसा मोर्चा तैयार हो गया है। जिसमें एक तरफ ईरान और रूस का मोर्चा है तो वहीं दूसरी तरफ इजरायल, अमेरिका और ब्रिटेन का मोर्चा है। मतलब कि अमेरिका और रूस मिडिल ईस्ट में एक-दूसरे के सामने आ गए हैं जो विश्व युद्ध का आगाज कर सकता है।

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