
Monorail Project: सरकार ने यात्रियों की सुविधा को बढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश में एक खास प्लान तैयार किया है। इस फैसले के माध्यम से यात्रियों को एयरपोर्ट तक पहुंचने में कम समय लगेगा। बुधवार को चीफ सेक्रेटरी डीएस मिश्रा ने इस बारे में लखनऊ में एक बैठक के दौरान जानकारी दी। इस प्रस्ताव की रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश भी दिया गया है।
मोनोरेल परियोजना की विवरण
बैठक में बताया गया कि मोनोरेल ग्रेटर नोएडा के परी चौक से जेवर एयरपोर्ट तक चलाया जाएगा। इसके अलावा, मीटिंग में रैपिडएक्स कॉरिडोर और दिल्ली रेलवे स्टेशन से लेकर नोएडा एयरपोर्ट को कनेक्ट करने के लिए मेट्रो कोरिडोर की चर्चा भी हुई।
परियोजना में खर्च कितना होगा?
मेट्रो लाइन की बढ़ती लागत के कारण, अलग-अलग परियोजनाओं के लिए विकल्प तलाशने की आवश्यकता हुई है। इस कारण मोनोरेल परियोजना लोगों को राहत दे सकती है। अनुमानों के अनुसार, मोनोरेल परियोजना में प्रति किलोमीटर 70 करोड़ रुपये का खर्च होगा। वहीं, रैपिडएक्स परियोजना के लिए प्रति किलोमीटर 250 करोड़ रुपये का खर्च आवश्यक हो सकता है। एक मेट्रो परियोजना के लिए प्रति किलोमीटर 350 करोड़ रुपये का खर्च होने की संभावना है।
मोनोरेल की विशेषताएं
मोनोरेल एक ऐसी ट्रेन है जो रेलवे लाइन पर नहीं चलती है। इसे बीम के सहारे चलाया जाता है। इसका रूट एलीवेटेड होता है और इसमें दुर्घटना की संभावना नहीं होती है। इसकी एक विशेषता यह है कि इसके अंदर बैठे यात्री को बाहर की आवाज़ नहीं सुनाई देती है और बाहर वालों को भी इसकी आवाज़ सुनाई नहीं देती है। यह एक प्रदूषण-मुक्त ट्रेन है।
रूट तय नहीं हुआ है
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों ने अभी तक मोनोरेल परियोजना और रैपिडएक्स के लिए रूट तय नहीं किया है। बता दें कि एनसीआर परिवहन निगम दिल्ली से मेरठ के बीच में 82 किलोमीटर का रैपिड रेल तैयार कर रहा है। हालांकि, इसमें से गाजियाबाद में साहिबाबाद और दुहाई के बीच 17 किलोमीटर का कोरिडोर जल्द ही शुरू हो जाएगा।
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