Holi 2025: होली के त्यौहार को लेकर लोगों में बेहद उत्साह देखने को मिलता है। देश दुनिया में बड़े धूमधाम से होली का त्यौहार ( Holi Festival ) मनाया जाता है। इस साल भी रंगों के त्यौहार का लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। आज हम आपको राजस्थान ( Rajasthan ) के एक ऐसी जगह के बारे में बताएंगे जहां होली के त्यौहार को अलग तरीके से मनाया जाता है। यह परंपरा दक्षिणी राजस्थान में देखने को मिलती है।
सलूंबर जिले के सेमरी में करकेला धाम की नारियल वाली होली लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करती है। जैसे बरसाने की लठमार होली देखने के लिए बड़े पैमाने पर लोग दूर-दूर से आते हैं ठीक वैसे ही करकेला के नारियल वाली होली का भी काफी चर्चा देखने को मिलता है। बड़े पैमाने पर पर्यटक करकेला के नारियल वाली होली का दीदार करने आते हैं।
आदिवासियों का धार्मिक स्थान है करकेला धाम ( Holi 2025 )
सलूंबर के सेमारी कस्बे की धन कावड़ा ग्राम पंचायत से लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर पर स्थित करकेला धाम में आदिवासियों का एक पवित्र स्थान है। यहां के आदिवासी होलिका को अपनी बेटी मानते हैं। करकेला धाम में सबसे पहले होली जलाई जाती है और धाम के पहाड़ी पर होने के वजह से दूर से ही होलिका दहन दिख जाता है जिसके बाद आसपास के इलाकों में होलिका जलाई जाती है। ऐसा मानता है कि जब करकेला में होलिका जल जाए और उससे उठने वाली आग दिखे तो जो मन्नत मांगा जाता है वह पूरा हो जाता है।
होलिका को नारियल भेंट करते हैं यहां के लोग
यहां रहने वाले स्थानीय आदिवासियों का कहना है की होली का यहां की बेटी है। यहां के लोगों का कहना है कि होलिका इसी इलाके में रहने वाली है और जब होलिका की विदाई होती है तो यहां के लोग नारियल यानी कि श्रीफल होलिका को भेंट करते हैं और नारियलों वाली होली जलाते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर कोई होलिका को श्रीफल देकर मन्नत मांगेगा तो उसकी सभी मनोकामना पूरी हो जाती है।
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