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Indian Military Villages: देशभक्ति सिर चढ़कर बोलेगी, जब जानेंगे इन गांवों को

Indian Military Villages: भारत में कई ऐसे गांव हैं जहां से देश की सेवा के लिए सेना में भर्ती होते रहे हैं अनेक जवान। जानते हैं इन गांवों के बारे में।  

Indian Military Villages
Indian Military Villages

Indian Military Villages: वर्दी देखकर ही मन में देश के प्रति‍ कुछ कर गुजरने का जज्‍बा हिलोरे लेने लगता है। देश के हर युवा का सपना होता है कि वे आर्मी में जाएं और देश की सेवा करें। जान की बाजी लगाकर सरहदों की रक्षा करें। हर गांव में ऐसे युवा मिल जाएंगे पर कुछ गांव खासतौर पर इसलिए मशहूर हैं क्‍योंकि वहां के युवा सेनाओं में जरूर शामिल होते हैं। आइए ऐसे ही कुछ गांवों पर डालें एक नजर।

गहमर की बात अलग है

उत्तरप्रदेश के गाजीपुर जिले का गहमर गांव एशिया के सबसे बड़े गांवों में गिना जाता है पर इसकी एक और खास बात है इसे जाना जाता है फौजियों (Indian Military Villages) के नाम से। इस गांव से हजारों लोग इस समय भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। गांव में पांच हज़ार से अधिक भूतपूर्व सैनिक हैं। प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध हों या 1965 और 1971 के युद्ध या फिर कारगिल की लड़ाई, इन सबमें इस गांव के फौजियों ने आगे बढ़कर हिस्सा लिया है।

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विश्वयुद्ध के दौरान अंग्रेजों की फौज में गहमर के 228 सैनिक शामिल थे। इनमें 21 सैनिक मारे गए थे। गहमर गांव में इनकी याद में गहमर में एक शिलालेख भी देखा जा सकता है।

हरियाणा की जय हो

हरियाणा राज्य के कई गांवों (Indian Military Villages) में देश सेवा के लिए फौजी बनना एक परम्परा बन चुकी है। जैसे, झज्जर जिले का गांव बिसाहन हो या भिवानी का बापोड़ा। कैथल का गुलियाणा हो या यमुनानगर का तिगरा  या फिर करनाल जिले का गांव जयसिंहपुर। ये सभी गांव ऐसे हैं जहां पर हर घर में सैनिक आपको मिल जाएंगे। इन गांवों में कई ऐसे परिवार भी हैं, जहां पर पीढिय़ां सेना में काम कर चुकी हैं। गांव बिसाहन की आबादी करीब 3000 की है। हर परिवार से कोई न कोई किसी न किसी रूप से सेना से जुड़ा हुआ है। कहते हैं कि भारतीय सेना में हर दसवां सैनिक हरियाणा का है।

यह है फौजियों की खान

राजस्थान की मिट्टी ने देश की रक्षा के लिए अपने कितने ही बेटे सीमा पर भेजे हैं। 1999 में हुए कारगिल युद्ध (भारत-पाकिस्तान के बीच) में सीकर, झुंझुनूं और चूरू के 32 जवान शहीद हुए। कारगिल के अलावा भी अन्य कई युद्धों में यह तीन जिले देश की रक्षा करते रहे हैं। झुंझुनूं जिले के भिर्र गांव में देश की रक्षा के लिए कई सैनिक निकले हैं। आजादी के बाद देश के चार युद्धों का गवाह बना यह ऐसा गांव है, जहां के परिवारों में दादा से लेकर पोते तक ने सेना में सेवाएं दी है। झुंझुनूं जिले की बुहाना तहसील का झारोडा गांव भी देश सेवा के लिए जाना जाता है।

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जिले का एक और गांव है, धनूरी गांव। इसे फौजियों की खान भी कहा जाता है। धनूरी गांव का रिकॉर्ड है कि यहां के हर दूसरे घर में फौजी है। झुंझुनूं जिले के चिड़ावा तहसील के किठाना गांव ने भी कई रण बांकूरे पैदा किए हैं।

वीर सपूतों का गांव

मध्यप्रदेश के कई गांव ऐसे हैं जहां से कई सैनिक (Indian Military Villages) निकले हैं और भारतीय सेना में सेवा दे रहे हैं। जैसे, सिवनी ज़िले का महुलझिर गांव न सिर्फ प्रदेश के सबसे छोटे गांवों में गिना जाता है, बल्कि इसका नाम फौजियों के गांव के रूप में भी शुमार है। महुलझिर गांव अब वीरों सपूतों का गांव बन गया है। पर कहना होगा कि भारत का हर एक नागरिक देश की सेवा के लिए तत्पर रहता है। वह भी देशसेवा की भावना से ओतप्रोत है।

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