Indo-Pak Tension: पाकिस्तानी आतंकियों ने पहलगाम में हमला किया जिसमें 26 निर्दोष लोगों की हत्या कर दी गई। पहलगाम हमले का बदला लेने के लिए ऑपरेशन सिंदूर किया गया था। इस ऑपरेशन में पाकिस्तान और पीओके में नौ आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया गया। इसके बाद पाकिस्तानी सैनिकों ने भारत के सैनिकों पर गोलीबारी की जिसमें दो जवान भी शहीद हो गए और आम नागरिकों की मौत हुई।
भारत में एक बार फिर से पाकिस्तान पर एयर स्ट्राइक किया है और पाकिस्तान के कई ठिकानों को तबाह कर दिया है। दोनों देशों के बीच चल रहे इस युद्ध पर पूरे देश की नजर है। तो आईए जानते हैं भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ तो क्या आम नागरिक भी लड़ सकता है युद्ध।
कई बार पहले भी हुआ है ऐसा (Indo-Pak Tension)
जंग तो वैसे सेना लड़ती है। जैसे-जैसे सेना किसी क्षेत्र को जीत लेती है वैसे-वैसे आगे बढ़ती जाती है। हालांकि 1971 की जंग एक ऐसी जंग थी जिसमें भारतीय सेना के साथ भारत के लोगों ने भी कंधा से कंधा मिलाकर भाग लिया था। भारत के कई ऐसे गांव हैं जहां के बुजुर्गों ने 1965 और 1971 की जंग लड़ी थी। इंडियन आर्मी के लिए यहां के लोग नाश्ता तैयार करके भेजते थे।
क्या है इससे जुड़ा नियम
जंग के दौरान यदि देश में सैनिकों की कमी हो जाती है और दुश्मन की सेवा मजबूत है तो वहां की सरकार खुली भर्ती का आयोजन करती है और आम लोगों को जंग में शामिल होने के लिए कहती है। रूस और यूक्रेन में भी ऐसा हो चुका है। इंडिया पाकिस्तान की जंग में लोग सैनिकों के लिए खाना पानी बनाकर भेजते हैं। अगर लोग चाहे तो जंग में भाग ले सकते हैं लेकिन जबरदस्ती किसी को शामिल नहीं किया जा सकता।
आम आदमी कैसे लड़ता है जंग
किसी देश का आम नागरिक खुली भर्ती में शामिल होकर सेना का साथ दे सकता है और जंग में उतर सकता है। इसके साथी मेडिकल सपोर्ट लॉजिस्टिक्स साइबर सुरक्षा और राहत पुनर्वास का कार्य में भी देश का आम नागरिक सरकार का साथ दे सकता है।युद्ध के दौरान भारत के लोग भारतीय सेना के साथ खड़े हैं।
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