Iran Presidential Election Result, Masoud Pezeshkian : ब्रिटेन चुनाव ने जहां पूरी दुनिया की सुर्खियां बंटोरी तो अब ईरान के चुनाव की चर्चाएं भी दुनियाभर में जोरों पर है। ईरान में राष्ट्रपति चुनावों में मसूद पेजेश्कियान ने भारी मतों से जीत हासिल की है। उदारवादी मसूद पेजेश्कियान ने कट्टरवादी सईद जलीली को भी बड़े मार्जिन से हराया है। पेजेश्कियान ने 16.3 मिलियन वोटों के साथ जीत हासिल की है, जबकि जलीली को 13.5 मिलियन वोट ही मिले हैं। ईरान में चुनाव के पेजेश्कियान के समर्थकों ने सड़कों पर उतरकर जश्न मनाया।
बीते कुछ महीनों से ईरान में माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है। ऐसे में राष्ट्रपति चुनाव में पेजेश्कियान की जीत कई मायनों में अहम मानी जा रही है। नए राष्ट्रपति के बाद हालात में सुधार लाने की उम्मीदें जताई जा रही है। वैसे भी मसूद पेजेश्कियान सुधारवादी नेता के रूप में जाने जाते हैं।
आपको बता दें कि कुछ महीने पहले एक विमान हादसे तत्काली राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत हो गई थी। इसके बाद अब ईरान में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव कराए गए हैं। ईरान में बने चुनौतीपूर्ण माहौल के बीच अब पेजेश्कियान को बड़ी चुनौतियों का सामना करना होगा। सबसे ज्यादा नए राष्ट्रपति के रूप में उन्हें ईरान की आर्थिक स्थिति में सुधार लाने और ईरान में हुए संघर्षों पर विराम लगाने का है।
चुनाव में बंपर जीत हासिल करने वाले पेजेश्कियान लोगों पर अपना भरोसा बनाने में कायम रहे। उन्होंने 2022 में महसा अमिनी की मौत के बाद खुलकर अपनी बात रखी थी और इस घटना को अस्वीकार्य बताया था। ईरान में पेजेश्कियान की छवि एक ऐसे उदारवादी नेता के तौर पर है जो सुधारों में यकीन रखते हैं। उनका पश्चिमी देशों के साथ तालमेल सुधारने पर भी जोर रहा है। मसूद पेजेश्कियान का राजनीतिक सफर भी काफी खास रहा है।
मेडिकल की पढ़ाई के बाद मसूद पेजेश्कियान ने अपने करियर की शुरुआत एक हार्ट सर्जन के तौर पर की थी। धीरे-धीरे वो सामाजिक कार्यों में जुटने लगे और यहीं से उन्होंने राजनीतिक के क्षेत्र में कदम रखना शुरू कर दिया। इसके बाद वो सांसद और देश के स्वास्थ्य मंत्री के रूप में भी उन्हें काम करने का मौका मिला।
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मसूद पेजेश्कियान साल 2001 से 2005 तक मोहम्मद खातमी की सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे। 2008 से ईरान के ताब्रीज से सांसद रहे हैं। उन्होंने साल 2013 और 2021 में भी चुनाव लड़ने की कोशिश की थी। 2013 में चुनाव की रेस से अपने आप हट गए थे। तो वहीं, साल 2021 के चुनावों में उनकी उम्मीदवारी पर एक जांच संस्था ने विराम लगा दिया था। उनको देश के सुधारवादी गठबंधन ने भी अपना समर्थन दिया था।
पेजेश्कियान ने घरेलू और विदेश नीतियों समेत पश्चिमी देशों के साथ संबंध पर खुलकर हमेशा अपनी बात रखी। इसके अलावा हिजाब और महिला के मुद्दों को भी उन्होंने उठाने का काम किया। सुधारवादी छवि और बेबाकी से बात करने के अंदाज के कारण ईरान के लोगों ने उनपर भरोसा जताते हुए जीताकर राष्ट्रपति की कुर्सी तक पहुंचा दिया। अब ईरान ही नहीं दुनिया की नजर पजेश्किया पर टिकी है कि बतौर राष्ट्रपति उनकी देश-दुनिया के लिए क्या नीतियां रहने वाली है।
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