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Janmashtami 2024 Vrindavan Live: मथुरा वृंदावन में कृष्ण जन्माष्टमी की धूम, घर बैठे करें नंदलाल के दर्शन

Janmashtami 2024 Vrindavan Live: मथुरा वृंदावन से पूरे देश में कृष्ण जन्माष्टमी की धूम देखने को मिल रही है. आप घर बैठे लाइव वीडियो के जरिए नंदलाल के दर्शन कर सकते हैं.

Janmashtami 2024 Vrindavan Live
Janmashtami 2024 Vrindavan Live

Janmashtami 2024 Vrindavan Live: हर साल भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस वर्ष नवमी तिथि होने के कारण दो दिन जन्माष्टमी का व्रत रखा जा रहा है। यह त्योहार भगवान कृष्ण के जन्म का उत्सव है, जिन्हें विष्णु के आठवें अवतार के रूप में पूजा जाता है।

मथुरा और वृंदावन में खास आयोजन

मथुरा, वृंदावन और इस्कॉन मंदिरों में जन्माष्टमी का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है। भगवान कृष्ण के जन्म के साक्षी बनने के लिए मथुरा में लाखों भक्त पहुंच रहे हैं। मथुरा और वृंदावन कृष्ण भक्तों के लिए प्रमुख तीर्थस्थल हैं, जहाँ विशेष पूजा और अभिषेक का आयोजन किया जा रहा है।

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दुनिया भर में जन्माष्टमी की धूम

देश और दुनिया में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार बड़े हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है। इस्कॉन मंदिरों में भव्य पूजा और उत्सव हो रहे हैं। भक्त इस आयोजन का लाइव प्रसारण देखकर घर बैठे भी इसका आनंद ले सकते हैं। खास तौर पर वृंदावन में जन्माष्टमी का सीधा प्रसारण भक्तों के लिए उपलब्ध है।

विशेष पूजा और अभिषेक कार्यक्रम

रात को 10:00 बजे से महा अभिषेक की शुरुआत होगी, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण का अभिषेक लड्डू, दही, शहद, घी और शक्कर से किया जाएगा। ठीक रात 12:00 बजे भगवान को 1009 तरह के व्यंजनों का भोग लगाया जाएगा। इसके बाद 12:30 बजे महाआरती होगी और 1:00 बजे मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाएंगे।

मथुरा वृन्धावन लाइव

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पंचांग के अनुसार जन्माष्टमी

पंचांग के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इसीलिए जन्माष्टमी की तिथि हर साल रोहिणी नक्षत्र को ध्यान में रखकर तय की जाती है। इस दिन भक्त सुबह स्नान करके व्रत का संकल्प लेते हैं और दिनभर फलाहार तथा सात्विक भोजन करते हैं।

व्रत और पूजा विधि

जन्माष्टमी के दिन भक्त भगवान बाल गोपाल का विशेष अभिषेक करते हैं। अभिषेक के लिए लड्डू, दही, शहद, घी और शक्कर का प्रयोग होता है। इसके बाद उन्हें जल से स्नान कराकर नए वस्त्र पहनाए जाते हैं। दिनभर भक्त व्रत रखते हैं और फलाहार करते हैं।

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