Kakanmath Temple: भस्मधारी से क्या है भूतों का नाता, सांझ ढलने के बाद वहां कोई क्यों नहीं जाता? महादेव की लीला या भूतों का मेला। यहां से गुजरने पर सूरज देव भी क्यों घबराता है? कुछ ऐसे ही रहस्यों से नाता है मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में स्थित ककनमठ मंदिर का। कहा जाता है कि रात में यहां वो नजारा दिखता है जिसे देखकर किसी भी इंसान की रूह कांप जाएगी।
भूतों ने एक रात में खड़ा कर दिया ये मंदिर!
मुरैना से करीब 35 किलोमीटर दूर सिहोनियां गांव के पास स्थित है ककनमठ मंदिर (Kakanmath Temple)। 1000 साल पुराने इस मंदिर को देखकर हर कोई हैरत में पड़ सकता है। स्थानीय मान्यता है कि इसे भूतों ने एक रात में बनाया था। मंदिर की बनावट अजीबोगरीब है, ज्यादातर हिस्से में पत्थरों को एक दूसरे से फंसाकर 100 फीट से भी ऊंचा मंदिर बनाया गया है।
मंदिर के खंभे हैं रहस्यमयी
मंदिर से जुड़ी एक और खास बात यह है कि मंदिर के चारों ओर बड़े-बड़े खंभे लगे हुए हैं, जिनके बारे में लोगों का मानना है कि इन खंभों की गिनती आज तक कोई नहीं कर पाया। मंदिर में दर्शन करने आनेवाले भक्त भी इसे देखकर हैरान रह जाते हैं।
बड़ी-बड़ी शिलाओं से बना मंदिर
स्थापत्य कला विशेषज्ञों के अनुसार इस मंदिर (Kakanmath Temple) की निर्माण कला 10वीं शताब्दी के समकक्ष लगती है। मंदिर के सबसे ऊंचे शिखर को देखकर लगता है जैसे वो हवा में लटका है। मानों हवा का तेज झोंका आएगा और बड़े-बड़े पत्थर नीचे गिर जाएंगे। लेकिन ऐसा होता नहीं। आश्चर्य की बात है कि आंधी-तूफान और झंझावातों के बावजूद भी मंदिर का ढांचा जस का तस है।
मूर्तिशिल्प को संजोए है यह अद्भुत मंदिर
यह अद्भुत मंदिर भग्नावस्था में भी अपने मूर्तिशिल्प को संजोये हुए है। एक बड़े चबूतरे पर निर्मित इस मंदिर की वास्तु योजना में गर्भगृह, स्तंभयुक्त मंडप एवं आकर्षक मुखमंडप है जिसमें प्रवेश के लिए सामने की ओर सीढ़ियां बनी हुई हैं। गर्भगृह में स्थापित शिवलिंग का इतिहास एक हजार वर्ष से भी ज्यादा पुराना है। मंदिर (Kakanmath Temple) की वास्तुकला से जुड़ी यह विचित्र बात है कि इस मंदिर के निर्माण में चूना, मिट्टी, सीमेंट, लेप आदि का इस्तेमाल नहीं हुआ है।
सूरज ढलने के बाद कोई नहीं रुकता यहां
इस मंदिर को लेकर एक अजीबोगरीब किवदंती प्रचलित है। कहा जाता है कि सूरज ढलने के बाद इस मंदिर में कोई नहीं रुकता। अगर गलती से भी कोई यहां रुक जाए तो उसे वो नजारा दिखता है जिसे देखकर किसी भी इंसान की रूह कांप जाए।
मंदिर को लेकर किवदंतियां प्रचलित
पुरातत्व विभाग के अधिकारी डा. अशोक शर्मा भी मानते हैं कि ककनमठ शिव मंदिर (Kakanmath Temple) बनने की कहानी से भूतों की कथाएं भी जोड़ी जाती रही हैं। उन्होंने बताया कि इस मंदिर को लेकर दो किवदंतियां प्रचलित हैं कि एक रात में भूतों ने इसे बनाया और सुबह के समय स्थानीय महिला ने घर की रसोई के लिए चक्की चलाई और उसकी आवाज सुनकर भूत मंदिर का कार्य बीच में ही छोड़ कर गायब हो गये।
… तो उस दिन भरभरा कर गिर जाएगा मंदिर
दूसरी किवदंती यह है कि जिस दिन इस मंदिर (Kakanmath Temple) के सामने से नाई जाति के नौ काने दूल्हे बारात लेकर निकलेंगे उस दिन यह मंदिर भरभरा कर गिर जाएगा। खेर ये तो गांव वालों की मान्यताएं हैं लेकिन आज के जमाने में पत्थरों से बना यह मंदिर किसी अजूबे से कम नहीं है। हालांकि पुरातत्व विभाग इन किवदंतियों को सिरे से नकारता है कि मंदिर को भूतों ने बनाया होगा।
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रानी ककनवती के नाम से हुआ इसका नामकरण
मंदिर के गर्भगृह के ऊपर लगभग 100 फुट ऊंचा विशाल शिखर है जो अब जीर्णशीर्ण अवस्था में है। इसके आंतरिक पाषाण ही अब दिखाई देते हैं। वास्तविक स्वरूप में इस मंदिर (Kakanmath Temple) के चारों ओर अन्य लघु मंदिरों का भी निर्माण किया गया था जिनके कुछ अवशेष यहां देखे जा सकते हैं। डा. अशोक शर्मा ने बताया कि इस इस मंदिर का नाम रानी ककनवती के नाम पर पड़ा। वह कच्छपघात शासक कीर्तिराज की रानी थी। उन्हीं के आदेश पर 11वीं शताब्दी में इसका निर्माण किया गया था।
कैसे पहुंचे यहां
हवाई यात्रा करने वाले टूरिस्ट प्लेन से ग्वालियर पहुंचकर यहां जा सकते हैं। रेल और सड़क मार्ग से भी मुरैना पहुंचना आसान है। दिल्ली से यमुना एक्सप्रेसवे से होते हुए 325 किलोमीटर दूर मुरैना पहुंचा जा सकता है।