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Lok Sabha Speaker:लोकसभा में अध्यक्ष पद पर घमासान, क्या आज टूटेगी 72 सालों से चली आ रही परंपरा?

Lok Sabha Speaker: 18वीं लोकसभा के पहले सत्र का आज दूसरा दिन है और आज का दिन काफी अहम है। लोकसभा स्पीकर और डिप्टी स्पीकर पद को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष में घमासान जोरों पर है। अगर सत्ता पक्ष और विपक्ष में सहमति नहीं बन पाई तो भारतीय संसदीय इतिहास में पहली बार लोकसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के लिए चुनाव हो सकता है।

Lok Sabha Speaker
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Lok Sabha Speaker: आज 18वीं लोकसभा के पहले सत्र का दूसरा दिन है। आज जहां बाकी बचे सांसदों शपथ दिलाया जाएगा, वहीं आज का दिन भारतीय लोकतंत्र और लोकसभा के इतिहास में सबसे अहम दिन होने वाला है। जबसे लोकसभा चुनावों का रिजल्ट आया है और देश में गठबंधन की सरकार बनी है तब से ही पूरे देश को इस दिन का इंतजार है।

मौका है 18वीं लोकसभा के पहले सत्र का आज इस सत्र का दूसरा दिन होगा और आज ही के दिन 12 बजे तक लोकसभा के अध्यक्ष पद के लिए नामांकन भरा जाएगा और देश के सामने ये पिक्चर क्लियर होगी कि क्या देश में चली आ पिछले 72 साल की परंपरा टूटेगी या बरकरार रहेगी? परंपरा वो जिसके तहत सरकार में हरबार आम सहमति से लोकसभा स्पीकर बनता आया है। दरअसल इस बार पेंच यहां फंसा है कि बीजेपी अगुवाई वाला NDA विपक्ष को उपाध्यक्ष पद देने के मूड में नहीं है। इसी के चलते विपक्ष शक्ति प्रदर्शन करना चाहता है और सीधे अध्यक्ष पद के लिए ही अपना उम्मीदवार उतारना चाहता है।

इस मुद्दे पर बीजेपी सूत्रों का कहना है कि NDA गठबंदन में लोकसभा अध्यक्ष और उपाध्य दोनों पदों के लिए एक सहमति है। तय सहमति के मुताबिक अध्यक्ष पद बीजेपी के खाते में तो उपाध्यक्ष पद सहयोगी दलों के झोली में जाने की संभावना है। बताया जा रहा है कि सहयोगी दलों से बातचीत के बाद बीजेपी अपने अध्यक्ष पद के उम्मीदवार के नाम का ऐलान करेगी, वहीं उपाध्यक्ष पद चंद्र बाबू नायडू की पार्टी टीडीपी को दिए जाने के संभावना हैं। इसके साथ इसकी सूचना भी दूसरे सहयोगियों को दे दी जाएगी।

दूसरी ओर विपक्षी इंडिया गठन परंपरा का हवाला देकर उपाध्यक्ष के पद पर अपना दावा ठोक रहा है। विपक्षी गठबंधन का कहना है कि अगर उन्हों उपाध्यक्ष पद नहीं मिला, तो वो अध्यक्ष पद के लिए अपना उम्मीदवार खड़ा करेंगे। सोमवार को सत्र के पहले दिन गठबंधन के सभी दलों में इस पर सहमति बन गई है। विपक्ष अब बीजेपी के जवाब का इंतजार कर रहा है। इन लोगों का कहना है कि सरकार की तरफ से हां या न में जवाब आने के बाद ही अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार का चयन कर लिया जाएगा।

वहीं बीजेपी फिलहाल विपक्ष को उपाध्यक्ष पद देने के मूड में नहीं दिख रही है। एनडीए गठबंधन का कहना है कि विपक्ष को उपाध्यक्ष पद देने का कोई नियम नहीं है। ये परंपरा है, जिसको तोड़ने की शुरुआत कांग्रेस ने ही की थी। दूसरी लोकसभा में नेहरू सरकार के दौरान कांग्रेस के ही हुकुम सिंह को यह जिम्मेदारी दी गई थी। गठबंधन सरकार के दौरान कई बार सरकार की अगुवाई करने वाले दल ने अध्यक्ष पद सहयोगी को देते हुए उपाध्यक्ष पद अपने पास रखा। ऐसे में इसे मुद्दा नहीं बनाया जाना चाहिए।

अध्यक्ष पद के लिए मंगलवार 25 जून यानी आज 12 बजे तक नामांकन होना है। इसका मलतब यह हुआ कि विपक्ष और सत्ता पक्ष के उम्मीदवारों का आज नामांकन से पहले पता चलेगा। तभी यह साफ हो पाएगा कि लोकसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के लिए आम सहमति की परंपरा कायम रहेगी या फिर टूट जाएगी और देश के इतिहास में पहली बार लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव होगा।

वैसे तो विपक्षी गठबंधन को पता है कि दोनों पद के मामले में संख्या बल के मामले में एनडीए गठबंधन आगे, लेकिन विपक्ष की उम्मीदें फिर भी कायम हैं। दरअसल विपक्षी दलों की आस सत्ता पक्ष में फूट पड़ने पर टिकी है। वहीं दूसरा कारण ये है कि विपक्ष अध्यक्ष पद पर चुनाव के जरिए अपनी एकजुटता और शक्ति प्रदर्शन भी करना चाहता है। इसके लिए विपक्षी गठबंधन की नजर निर्दलीय चुनाव जीत कर आए 13 सांसदों पर भी टिका है और वो उसे साधने की कोशिश में जुटे हैं।

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