Major Rajesh Adhikari: वो वीर बेटा जो घायल होने के बाद भी शेरों की तरह पाकिस्तान से लड़ता रहा, पत्नी का आखिरी खत पढ़ने से पहले हो गए शहीद 

Major Rajesh Adhikari: 1999 में जब जंग के लिए भारतीय सैनिक अपने घरों से निकले होंगे तब उनके परिवार वाले बस इतना चाहते होंगे कि उनका बेटा एक बार फिर से सुरक्षित वापस लौटे लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। इस जंग में कई भारतीय सैनिक शहीद हो गए और कई घर सुने हो गए। आईए जानते हैं कारगिल के हीरो मेजर राजेश अधिकारी की कहानी...

Major Rajesh Adhikari: इंडिया-पाकिस्तान के बीच वॉर चल रहा है। अभी तक भारत ने पाकिस्तान के कई सैन्य ठिकानों को तबाह कर दिया है। भारत के भी कुछ जवान इस दौरान शहीद हो गए हैं। पाकिस्तान ने आज तक जितनी बार इंडिया के साथ युद्ध किया है हर बार उसे हार का सामना करना पड़ा है।

1999 में जब जंग के लिए भारतीय सैनिक अपने घरों से निकले होंगे तब उनके परिवार वाले बस इतना चाहते होंगे कि उनका बेटा एक बार फिर से सुरक्षित वापस लौटे लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। इस जंग में कई भारतीय सैनिक शहीद हो गए और कई घर सुने हो गए।

कारगिल युद्ध में कई ऐसे भारत के वीर जवान थे जिन्होंने दुश्मनों के दांत खट्टे किए लेकिन उन्हें वीरगति प्राप्त हो गई। आज हम इस मौके पर बात करते हैं मेजर राजेश अधिकारी के बारे में जो घायल होकर भी मैदान पर शेर की तरह लड़े थे। हालांकि उन्हें शहीद होते समय यह मलाल जरूर होगा कि वह जेब में रखें अपनी पत्नी के चिट्ठी को पढ़ नहीं पाए।

कारगिल नायक मेजर राजेश अधिकारी की कहानी (Major Rajesh Adhikari)

कारगिल के जंग में हमारे शूरवीरों ने अपने लहू की विजय गाथा लिखी थी और कारगिल युद्ध में देश की मिट्टी की रक्षा करते हुए कई वीर योद्धा शहीद हो गए थे। इस युद्ध में मेजर राजेश अधिकारी भी शहीद हो गए,जिन्होंने तोलोलिंग चोटी पर बैठे पाकिस्तानी सैनिकों के मंसूबे पर पानी फेरते हुए यहां भारतीय तिरंगा लहराने में अहम भूमिका निभाई।

जेब में रखा था पत्नी

मेजर राजेश अधिकारी कारगिल युद्ध के दौरान मेजर राजेश अधिकारी 18 ग्रेनेडियर्स बटालियन में थे। उन्हें दुश्मनों को खड़े रहने का आदेश मिला था और उसे समय उन्हें वहां जाना बहुत जरूरी था।पाकिस्तान कश्मीर वैली से लद्दाख को जोड़ने वाले रोड को बर्बाद करना चाहता था। मेजर राजेश सिंह अधिकारी और टीम 16,000 फीट पर स्थित तोलोलिंग पर बैठे दुश्मनों के छक्के छुड़ाने निकल पड़े।

पाकिस्तान सुना पर हमले से पहले मेजर राजेश अधिकारी को उनकी पत्नी ने खत दिया था।उन्होंने अपनी पत्नी से कहा था कि ऑपरेशन खत्म होने के बाद वह इस खत को पढ़ेंगे. उन्होंने कहा कि मेरे लिए मेरी निजी जिंदगी से ज्यादा जरूरी मेरा देश है और मैं अपने देश के रक्षा के बाद ही तुम्हारा दिया खत पढ़ूंगा।इसके बाद वो चुपचाप अपनी AK-47 राइफल और गोला बारूद और ग्रेनेड से भरे बैग को लेकर निकल पड़े।

तोलोलिंग पर कब्जा करना आसान नहीं था। दुश्मन ऊंचाई पर बैठे थे और वहां से लगातार गोलियां बरसा रहे थे, लेकिन हमारे शूरवीर कहां हार मानने वाले थे। मेजर राजेश अधिकारी ने अपनी टुकड़ी के साथ तोलोलिंग के पास पाकिस्तानी सैनिकों पर जमकर हमला किया। मौका मिलते ही उन्होंने पाकिस्तानी सैनिकों के बंकर को तबाह कर दिया और घुसपैथियों को मार गिराया। लेकिन इस दौरान दुश्मनों ने उनपर फायरिंग शुरू कर दी।

घायल होने के बावजूद वो लड़ते रहे। अपनी जान की परवाह किए बिना उन्होंने दुश्मनों पर ताबड़तोड़ वार किया और तोलोलिंग पर दूसरे बंकर पर भी कब्जा जमा लिया। गोलीबारी के दौरान एक गोली उनके सीने पर लगी। मेजर राजेश अधिकारी 30 मई, 1999 को वीरगति को प्राप्त हुए। पत्नी का खत जेब में ही रखा रह गया। देश के लाल ने बिना चिट्ठी पढे ही शहादत दी। सेना ने उस खत को बिना पढे शव के साथ उनकी पत्नी को सौंप दिया।

Also Read:Indo-Pak Tension: पाकिस्तानी गोलीबारी में 32 साल के दिनेश शर्मा शहीद, पत्नी का रो-रो कर हुआ बुरा हाल, माँ ने कहा- मेरा बेटा तो…

तमाम खबरों के लिए हमें Facebook पर लाइक करें Google NewsTwitter और YouTube पर फॉलो करें।Vidhan News पर विस्तार से पढ़ें ताजातरीन खबर।

- Advertisement -

Related articles

Share article

- Advertisement -

Latest articles