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MP News: पत्नी ने सेक्स से किया इनकार तो हाई कोर्ट पहुंचा पति, HC बोला- ‘शारीरिक संबंध से इनकार करना मानसिक क्रूरता है’

MP News: याचिकाकर्ता ने कहा कि वह किसी काम के लिए अमेरिका चला गया। फिर उसकी पत्नी अपने मायके चली गई और फिर कभी नहीं लौटी। पति ने साल 2011 में तलाक के लिए भोपाल की एक फैमिली कोर्ट के समक्ष एक आवेदन दायर किया, लेकिन वर्ष 2014 में अदालत ने इसे खारिज कर दिया

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट (Madhya Pradesh High Court) ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि शादी नहीं निभाना और शारीरिक संबंध से इनकार करना मानसिक क्रूरता है और यह तलाक का वैध आधार है। पत्नी ने सेक्स से किया इनकार कर दिया था, जिसके बाद पति ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। जस्टिस शील नागू और जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ ने 3 जनवरी को एक व्यक्ति के तलाक को इस आधार पर मंजूर कर लिया कि वर्ष 2006 में विवाद के बाद से उसकी पत्नी ने शादी निभाने और शारीरिक संबंध बनाने से इनकार कर दिया था।

हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “शादी नहीं निभाना और शारीरिक संबंध से इनकार करना मानसिक क्रूरता के समान है।” पति की ओर से याचिका के अनुसार उसने जुलाई 2006 में शादी की थी। हालांकि, उनकी पत्नी ने यह कहकर साथ रहने और शादी निभाने से इनकार कर दिया कि उसे विवाह के लिए मजबूर किया गया था। महिला ने पति से कथित तौर पर कहा कि वह किसी और से प्यार करती है। उसने पति से उसके प्रेमी से मिलाने का अनुरोध भी किया।

पति का तर्क

याचिकाकर्ता ने कहा कि वह उसी महीने काम के लिए अमेरिका चला गया। सितंबर में उसकी पत्नी अपने मायके चली गई और फिर कभी नहीं लौटी। पति ने साल 2011 में तलाक के लिए भोपाल की एक फैमिली कोर्ट के समक्ष एक आवेदन दायर किया, लेकिन वर्ष 2014 में अदालत ने इसे खारिज कर दिया। इसके बाद पति ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का रुख किया। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि कई मौकों पर महिला ने शादी को जारी रखने और पति के साथ शारीरिक संबंध बनाने से इनकार कर दिया।

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हाई कोर्ट की टिप्पणी

पीठ ने कहा, “हम समझते हैं कि बिना किसी शारीरिक अक्षमता या वैध कारण के लंबे समय तक शारीरिक संबंध बनाने से एकतरफा इनकार करना मानसिक क्रूरता हो सकता है।” इसके साथ ही हाई कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के आदेश को गलत ठहराते हुए उसे रद्द कर दिया। पीटीआई के मुताबिक हाई कोर्ट ने कहा, “याचिकाकर्ता ने शादी संपन्न की। यह पहले से ही तय था कि वह जल्द ही भारत छोड़ देगा। इस अवधि के दौरान याचिकाकर्ता को उम्मीद कि थी पत्नी शादी निभाने के लिए तैयार हो जाएगा, लेकिन उसने ऐसा करने से इनकार कर दिया और निश्चित रूप से उसका यह कृत्य मानसिक क्रूरता के बराबर है।”

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