Mughal Harem: मुगल काल में यमुना नदी काफी साफ हुआ करती थी। उस समय यमुना नदी के जल उपयोग केवल आम जनता ही नहीं बल्कि शाही परिवार के द्वारा भी किया जाता था। यमुना नदी का जल बिल्कुल साफ और निर्मल था। बादशाह अकबर और उनके पुत्र जहांगीर को भी यमुना नदी से विशेष लगाव था और गर्मी के समय में वह लोग यमुना नदी के तट पर समय बिताते थे।
रात में मुगल हरम की शहजादियां क्यों जाती थी यमुना किनारे (Mughal Harem)

मुगल हरम की शहजादियां भी रात के समय में यमुना नदी के किनारे स्नान के लिए जाती थी। इस दौरान उनके साथ उनकी दासियां होती थी और सुरक्षा के लिए हिजड़े साथ में जाते थे। अंग्रेजों की नजर से बचने के लिए वह अपने साथ सैनिकों को भी ले जाती थी। उस समय गर्मी के समय में भी शहजादी आज रात के समय यमुना नदी के किनारे विश्राम करती थी।
सुरक्षा के होते थे विशेष इंतजाम
शहजादियों के सुरक्षा के लिए हिजड़े ही नहीं बल्कि शाही गार्ड को तैनात किया जाता था ताकि स्नान के दौरान उन्हें किसी भी तरह की समस्या ना हो। यमुना नदी का सिर्फ पर्यावरणीय ही नहीं बल्कि इस सांस्कृतिक महत्व भी था।
हरम में औरतों की जिंदगी के कई पहलू थे. शाही परिवार की महिलाओं के लिए हर दिन नए कपड़े आते थे।एक बार जो वो कपड़े पहन लेती थीं, उसे दोबारा नहीं पहनती थीं. उसे हरम की दासियों में बांट दिया जाता था. शाही परिवार की औरतों का जीवन राजसी होता था, वो दिन में फौव्वारों और रात में आतिशबाजी का आनंद उठाती थीं. किस्से-कहानियों में व्यस्त रहती थीं. तीरंदाजी करना और गजलों को सुनना उनका खास शौक हुआ करता था।
बाहर से कोई कनेक्शन नहीं
एक बार जो महिला हरम में पहुंच गई बाहर की दुनिया से उसका सम्बंध खत्म हो जाता था. उसके बाहर जाने पर खास पाबंदी थी. इसके साथ ही उनसे बाहर के शख्स से सम्बंध न रखने की बात भी कही जाती थी. इस नियम का पालन सख्ती से करना होता था।
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