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Premanand Ji Maharaj : कैसे कानपुर का एक बच्चा बना वृंदावन का सबसे बड़ा सन्यासी? जानिए अनिरुद्ध पांडे की प्रेमानंद महाराज बनने की कहानी 

Premanand Ji Maharaj : प्रेमानंद महाराज जी का प्रवचन देश ही नहीं बल्कि विदेशों के लोग भी सुनते हैं। उनके प्रवचन सुनने के बाद कई लोग भक्ति के राह पर चल पड़े। तो आईए जानते हैं प्रेमानंद महाराज कैसे वृंदावन की सबसे बड़े संयासी बने...

Premanand Ji Maharaj

Premanand Ji Maharaj :  देश दुनिया में आज प्रेमानंद महाराज जी का नाम प्रचलित है और बड़े-बड़े अभिनेता,नेता, खिलाड़ी सभी महाराज जी का प्रवचन सुनते हैं।वह एक बेहद गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं इसके बाद भी वह राधा रानी और कृष्णा जी की अटूट भक्ति करते हैं। क्या आप जानते हैं प्रेमानंद महाराज कैसे इतने बड़े संयासी बने। अभी कुछ समय पहले प्रेमानंद महाराज जी की तबीयत भी बिगड़ गई थी लेकिन अभी वह स्वस्थ है।तो आईए जानते हैं प्रेमानंद महाराज की कहानी…

कानपुर में है प्रेमानंद महाराज का गांव  ( Premanand Ji Maharaj )

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प्रेमानंद महाराज का जन्म कानपुर महानगर की नरवाल तहसील के अखरी गांव में हुआ है। वह एक ब्राह्मण परिवार से आते हैं और उनका असली नाम अनिरुद्ध पांडे है। उनके परिवार में कई लोग हैं और उनके भाई भतीजे गांव में ही रहते हैं। हालांकि प्रेमानंद महाराज कभी अपने गांव नहीं जाते जब से उन्होंने अपना गांव छोड़ दोबारा कभी नहीं गए। कानपुर वह कई बार गए हैं लेकिन अपने गांव नहीं गए क्योंकि उनका मानना है कि संन्यासी को दोबारा घर नहीं जाना चाहिए।

13 साल की उम्र में त्याग दिया था घर 

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प्रेमानंद महाराज ने 13 साल की उम्र में अपना घर त्याग दिया। एक बार वह बिठूर गए हुए थे और इस समय ही उनके मन में एक विचार आया कि वह अब संत और संन्यासियों की तरह जीवन जिएंगे इसीलिए जब घर लौट रहे थे तभी उन्होंने मन में विचार किया कि वह अब घर हमेशा के लिए छोड़ देंगे। बनारस जाकर वह संन्यास जीवन जीने लगे और गंगा के किनारे रहने लगे।

इसके बाद वह एक संत से मिले और उसके माध्यम से ही वह वृंदावन गए जहां जाने के बाद वह राधा रानी और कृष्ण भगवान की भक्ति में रम गए। आज वह देश के सबसे बड़े संयासी बन गए हैं और उनसे मिलने के लिए लोग देर रात से ही लाइन लगाकर खड़े रहते हैं। महाराज जी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं जिसकी वजह से उनका डायलिसिस होता रहता है।

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बता दे की प्रेमानंद महाराज जी अपने गांव नहीं जाते लेकिन उनके भाई भतीजे उनका हाल-चाल पूछने अक्सर आते रहते हैं जिससे वह गांव के लोगों का हाल-चाल पूछते हैं। प्रेमानंद महाराज के अनुयाई आज देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी लोग हैं।

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