Ram Bhakt Shabnam: अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन से पहले ही राम लाल के भक्तों की कतार लंबी होने लगी है। रामलाल के भक्तों कि कतर में हिंदू ही नहीं मुस्लिम भी बढ़चर के हिस्सा ले रहे हैं। इन दिनों उत्तर प्रदेश में गंगा यमुना तहजीब का एक नायाब नजारा देखने को मिल रहा है। मुंबई की मुस्लिम महिला शबनम आज के समय के रूढ़वादिता को चुनौती देते हुए रामलाल के दर्शन के लिए मुंबई से अयोध्या पैदल ही चल पड़ी। आईए जानते हैं कि कौन है यह शबनम जो रामलाल की भक्ति में इस कदर डूबी हैं कि उनके दर्शन को पैदल ही लंबी यात्रा कर रही हैं…

शबनम राम मंदिर उद्घाटन समारोह में भाग लेने के लिए मुंबई से अयोध्या के लिए पैदल निकली हैं। शबनम के साथ उनके दो हिन्दू मित्र रमन राज शर्मा और विनीत पांडेय हैं। ये लोग मुंबई से अयोध्या तक 1425 किलोमीटर की पैदल यात्रा करेंगे। मुस्लिम महिला होने के बावजूद शबनम को सबसे अद्वितीय बनाने वाली चीज प्रभु भगवन राम के प्रति अटूट भक्ति है।
मुंबई शहर से पैदल निकली शबनम अब मध्य प्रदेश पहुंच चुकी है। शबनम लगातार दिन-रात पैदल चलकर अपनी यात्रा पूरी कर रही हैं। राम लला की यात्रा में शबनम के साथ उनके दो दोस्त भी हैं। शबनम राम मंदिर से पहले सबका ध्यान अपनी तरफ खींच रही है बता दें कि शबनम हाथ में बजरंगबली का ध्वज लेकर मुंबई से पैदल अयोध्या में रामलला के दर्शन को निकली है। मुंबई-आगरा नेशनल हाइवे पर मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में पहुंची युवती शबनम और जत्थे का लोगों ने स्वागत किया। शबनम के भगवा ध्वज लेकर सड़क से पैदल गुजरने पर लोग आश्चर्यचकित हैं।
शबनम की इस यात्रा की कई वीडियो सामने आए हैं, जिसमें वह अपने साथियों संग पैदल चलती हुई दिख रही हैं। शबनम गर्व से कहती है कि राम की पूजा के लिए किसी को हिन्दू होने की जरूरत नहीं, बस भगवान के प्रति उसकी आस्था और उसे एक अच्छा इंसान होना चाहिए। शबनम के दोस्तों का कहना है कि राम के प्रति अटूट आस्था ही उन्हें प्रेरित करती है।
सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद अब कई लोग शबनम से मिलने पहुंच रहे हैं। साथ ही स्थानीय पुलिस भी उनकी मदद कर रही है, ताकि यात्रा में किसी तरह की परेशानी न हो। पुलिस ने शबमन की सुरक्षा के अलावा उनके भोजन और अन्य चीजों की व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। महाराष्ट्र के संवेदनशील क्षेत्रों में पुलिस ने उनकी सुरक्षा का ख्याल रखते हुए कठिन परिस्थितियों में उन्हें बाहर निकालने में मदद की। शबनम ने स्पष्ट किया कि उनके आयोध्या पहुंचने की कोई निश्चित तारीख नहीं है।
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