A Man Called Otto : सहजता के साथ गंभीर सवाल उठाती फिल्म

A Man Called Otto :  टॉम हैंक्स हॉलीवुड के सबसे बड़े सितारों में हैं। उनकी एक नई फि‍ल्‍म ‘अ मैन कॉल्ड ओटो’ एक बार उनके प्रशंसकों के लिए एक उपहार के रूप में रिलीज हुई है। इस सौगात को उनके प्रशंसक नेटफ्लिक्स पर देख सकते हैं।

A Man Called Otto : निराशा से तराबोर आज के समय में टॉम हैंक्स की फिल्म ‘अ मैन कॉल्ड ओटो’ ताज़ा, सुवासित हवा के झोंके की तरह है। ओटो एक अमेरिकी बुजुर्ग है जो अपनी पत्नी को खो चुका है और अपने अतीत को किसी कीमत पर भी भूलना नहीं चाहता। पत्नी के जाने का उसका दुःख बहुत गहरा है और वह बार-बार ख़ुदकुशी करना चाहता है, पर मौत इधर दरवाज़े पर दस्तक देने वाली ही होती है, और उधर ज़िन्दगी उसे एक ओर धकिया कर ओटो घर में घुस आती है। जीवन का आकर्षण मृत्यु के प्रलोभन पर बार बार हावी होता रहता है।

खुदकुशी करने की हर नाकामयाब कोशिश में जीवन का नवीनीकरण होता जाता है। ओटो फिर से जीवन का सामना करता है, किसी की मदद करता है। किसी बिल्ली के प्रेम में पड़ जाता है, किसी बच्चे की तकलीफ को अपनी तकलीफ मान लेता है, पड़ोस में रहने वाली मेक्सिकन महिला की पुकार पर बार-बार दौड़ पड़ता है, और आखिरकार जीवन के सामने झुक जाता है।

A Man Called Otto
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दरियादिल इंसान की तरह दर्ज हुआ ओटो

ओटो दरियादिल और उदार है। विडंबना यह है कि लाक्षणिक ह्रदय के साथ उसका भौतिक ह्रदय भी जरूरत से अधिक बड़ा है और यह मेडिकल अर्थ में एक बड़ी बीमारी है। ओटो बड़े दिल के कारण ही मौत का शिकार होता है पर अपनी मौत से पहले वह आखिरकार ज़िन्दगी को गले लगा लेता है। उसे अपने दुःख से हार कर मर जाने की वजह से कई बड़ी वजहें मिल जाती हैं जीने के लिए. मौत से पहले वह एक मुक्त जीव होता है—अपने दुःख से मुक्त, अपनी सारी कड़वाहट से मुक्त, अपनी कुंठा और झुंझलाहट से मुक्त. लोगों की स्मृतियों में वह मरता नहीं। एक समझदार, सच्चे, प्यारे, साहसी और दरियादिल इंसान की तरह दर्ज हो जाता है।

A Man Called Otto
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 एक अद्भुत फिल्म

फिल्म बीते 10 अप्रैल को ही नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हुई है। टॉम हैंक्स हॉलीवुड के सबसे बड़े सितारों में हैं. फारेस्ट गंप, द ग्रीन माइल जैसी फिल्मों में उनकी भूमिका को लोग शायद कभी न भूलें। अ मैन कॉल्ड ओटो अभी शायद उतनी अधिक चर्चा में नहीं आई, पर है यह एक अद्भुत फिल्म। ओटो एंडरसन फिल्म शुरू होने के समय एक चिडचिडे बूढ़े बुजुर्ग के रूप में दिखता है पर फिल्म थोडा आगे बढ़ती है तो उसके अवसाद की वजहें भी सामने आने लगती हैं। पत्नी सोन्या को खोने के बाद करीब सत्तर साल का होने के बावजूद वह सामान्य नहीं हो पाया है।

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जीवन बदलने वाली मुलाकात

सोन्या की कब्र के पास बैठ कर रोज़मर्रा की ज़िन्दगी के बारे में बताना ही अकेला ऐसा काम है जो वह बगैर झुंझलाहट के करता है। यह अकेला समय होता है जब वह किसी ‘इंसान’ के साथ होता है। भले ही वह इंसान मृत हो। ओटो इसलिए आत्महत्या करना चाहता है क्योंकि उसे लगता है कि वह मर कर अपनी प्यारी पत्नी से मिल सकेगा। बाकी सभी लोगों से उसकी मुलाक़ात सिर्फ एक हादसा होती है। हालांकि ये मुलाकातें ही उसके जीवन को बाद में बदलती भी हैं।

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 खोए प्रेम की लौटी सुरभि

ओटो नियम के बहुत पाबंद हैं और हर चीज़ को सलीके के साथ रखना, हर काम को बिलकुल सटीक तरीके से करना ही उनकी फितरत में है पर पड़ोस में आने वाला मेक्सिकन परिवार उसके नियमों से बंधे जीवन में हलचल पैदा करता है। मेरिसोल रोज़ नए तरीके इजाद करती है ओटो से मिलने और उसके साथ समय बिताने के। एक फ़रिश्ते की तरह वह ओटो के जीवन में खुबसूरत बदलाव लाती है। ओटो मेरिसोल के बच्चों और उसके पति के साथ उसके परिवार का हिस्सा बन जाता है। खोये हुए प्रेम की सुरभि जीवन में फिर लौटती है। मेरिसोल के बच्चे, आवारा बिल्ली और एक ट्रांसजेंडर युवक उसके जीवन में उस प्रेम का पैगाम लाते हैं जो उसके विचार में उसे सिर्फ और सिर्फ सोन्या से ही मिल सकता था।

सवाल अस्तित्व से जुड़े

फिल्म कई अस्तित्ववादी सवाल उठाती है। ख़ुदकुशी का सवाल फिल्म में एक बड़े सवाल की तरह उभरता है। फिल्म शुरू होने के समय ही ओटो आत्महत्या की ठान चुका होता है, पर आत्महत्या का विचार एक आत्मकेंद्रित इन्सान के ही मन में आता है और कैसे यह विचार जीवन के समग्र प्रवाह का नकार होता है, फिल्म यह सन्देश मजबूती के साथ देती है।

जिस तरह मौत एक सच्चाई है ठीक वैसे ही जीवन भी एक ठोस हकीकत है, इन दोनों को समझ कर, उनके बीच संतुलन बनाकर ही सही जीवन जिया जा सकता है, फिल्म यह भी बता जाती है। बता दें कि अ मैन कॉल्ड ओटो फ्रेडरिक बैकमैन के उपन्यास अ मैन कॉल्ड ओवे पर आधारित है और 2015 में इस उपन्यास पर एक और फिल्म बन चुकी है जिसका नाम था अ मैन कॉल्ड ओवे।

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 एक पारिवारिक प्रयास

अ मैन कॉल्ड ओटो मिले-जुले पारिवारिक प्रयास का परिणाम है। टॉम हैंक्स इसमें मुख्य भूमिका में हैं और उनकी पत्नी रीटा विल्सन फिल्म की निर्माता हैं। टॉम के बेटे ट्रूमैन हैंक्स ने इस फिल्म में युवा ओटो की भूमिका निभाई है। फिल्म में ओटो और उसके पत्नी सोन्या के रिश्ते को बारीकी से देखने की जरूरत है। युवा ओटो अमीर नहीं होता है और फिर भी अपनी पत्नी के लिए उसके मन में बेपनाह प्रेम है। इस रिश्ते को खंगाल कर ही समझा जा सकता है कि ओटो बुढ़ापे में इतना गुस्सैल और चिड़चिड़ा क्यों बन जाता है।

भीतर से टूटा, पीडि़त इंसान

सतही तौर पर ओटो गुस्सैल दिखता है, पर भीतर से वह टूटा हुआ, पीड़ित इंसान है। मानसिक पीड़ा के अलावा वह ह्रदय की एक गंभीर बीमारी से भी जूझ रहा है, जिसके बारे में वह खुद किसी को नहीं बताता। उसका दिल जरूरत से अधिक बड़ा होता है। यही उसकी बीमारी है जिसे कार्डियोमायोपथी कहा जाता है। इसकी वजह से उसकी मौत होती है। उसके जीवन में भी दरियादिली ही उसकी पीड़ा और मुक्ति दोनों का कारण बनती है।

मेक्सिकन एक्टर का उम्दा अभिनय 

फिल्म में जो ओटो के जीवन को बदल देती है वह मेक्सिकन अभिनेत्री त्रेविनो है जिसका अभिनय बहुत ही स्वाभाविक और दमदार रहा है। ओटो की ज़िन्दगी उसके कारण ही आखिर तक बची रहती है और वह उसे पूरी तरह बदल कर ही दम लेती है। फिल्म एक स्तर पर सही जीवन के तरीके ढूँढने की कोशिश में लगी रहती है। कैसे एक ही इंसान लगातार खुदकुशी की कोशिश करता रहता है और बाद में वही जीवन को सही ढंग से जीना सीख लेता है, इसकी मिसाल फिल्म पेश करती है।

कुंठा से अपने तरीके से निपटना

साथ ही यह भी दिखाती है कि फिल्म के अलग अलग पात्र दुःख और कुंठा का शिकार होते हुए भी कैसे अपने अपने तरीकों से इनसे निपटते हैं और ओटो का तरीका गलत साबित होता है क्योंकि उसके अलावा कोई और जीवन को ख़त्म करने का फैसला नहीं करता और ओटो भी अपनी गलती का अहसास कर ही लेता है। बीच-बीच में हास्य को जगह देते हुए भी फिल्म कितनी ईमानदारी के साथ एक गंभीर सवाल से जूझती है यह सचमुच काबिले तारीफ है।

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फिल्म का अंत बहुत ही खूबसूरत है। अपने दर्द और पीड़ा के बावजूद। इस फिल्म को देखने के कई कारणों में से एक प्रबल कारण है इसका अंत, जो अप्रत्याशित रूप से सहज, सरल और हर समस्या के समाधान के रूप में सामने आता है।

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