Kamakhya Devi Temple: इस मंदिर में 3 दिन तक पुरुषों का जाना है वर्जित, जाने कामाख्या देवी मंदिर की अनोखी कहानी

Kamakhya Devi Temple: धरती पर मौजूद कुल 51 शक्तिपीठों में से माता कामाख्या को समर्पित कामाख्या देवी मंदिर भी एक शक्तिपीठ है। शक्तिपीठ वे स्थान है जहां माता सदी के विभिन्न अंग गिरे थे। कामाख्या देवी मंदिर राजस्थान के गुवाहाटी में स्थित है। इस मंदिर को लेकर कई रोचक घटनाएं प्रसिद्ध है। सबसे बड़ी खास बात इस मंदिर की ये है कि यहां कोई मूर्ति नहीं है बल्कि उसके स्थान पर एक योनि कुण्ड है जो हमेशा फूलों से ढका रहता है। इस कुंड से हमेशा पानी निकलता रहता है। साल में 3 दिन इस मंदिर में पुरुषों का आना वर्जित है। तो आइए जानते हैं इस मंदिर के पीछे की पौराणिक कथा:-

 

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Kamakhya Devi Temple
Kamakhya Devi Temple

साल के 3 दिन मंदिर बंद रहता है

साल के 3 दिन 22 जून से लेकर 25 जून के बीच मंदिर भक्तों के लिए बंद रहता है। इस दौरान ब्रह्मपुत्र नदी का जल लाल रहता है। मान्यता है कि इन दिनों माता सती रजस्वला रहती है जिसके कारण 3 दिनों तक मंदिर में मर्दों को प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाती है। 3 दिन के बाद 26 जून की सुबह से यह मंदिर भक्तों के लिए खुल जाता है और भक्त माता के दर्शन कर सकते हैं। कामाख्या देवी मंदिर में भक्तों को एक अनोखा प्रसाद मिलता है। दरअसल 3 दिन सती के मासिक धर्म के कारण दरबार में सफेद कपड़ा रखा जाता है और 3 दिन बाद इस कपड़े का रंग लाल हो जाता है। यही मंदिर में भक्तों को प्रसाद के रूप में मिलता है।

 

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Kamakhya Devi Temple
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शक्तिपीठ की पौराणिक कथा

एक बार जब माता सती के पिता राजा दक्ष में एक यज्ञ रखा तब उन्होंने जानबूझकर भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया। लेकिन शिव जी के बार-बार रोकने पर भी सती जिद करके यज्ञ में शामिल होने चली गई और वहां पर जब राजा दक्ष ने भगवान शिव का घोर अपमान किया, तब माता सती से सहा न गया और उन्होंने यज्ञ के अग्नि कुंड में कूद कर अपने प्राणों की आहुति दे दी। जब भगवान शिव को इस बात का पता चला तो अत्यंत ग्रुप से उनका तीसरा नेत्र खुल गया। भगवान शिव तुरंत वहां पहुंचकर यज्ञ कुंड से सती के पार्थिव शरीर को निकाल कंधे पर उठा लिया और पूरे ब्रह्मांड में तांडव करने ‌लगे। फिर भगवान विष्णु ने संसार को शिवजी के क्रोध से बचाने के लिए अपने चक्र से माता सती के शरीर को खंड-खंड कर दिया। माता सती के शरीर के टुकड़े पृथ्वी पर जहां-जहां गिरे वे सभी शक्तिपीठ कहलाए। असम के माता कामाख्या देवी मंदिर में माता सती का योनि भाग गिरा था। इसीलिए इस मंदिर में कोई मूर्ति नहीं बल्कि एक कुण्ड है।

 

(यह ख़बर विधान न्यूज के साथ इंटर्नशिप कर रहे गौरव श्रीवास्तव द्वारा तैयार की गई है।)

 

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