US Tariff: ट्रंप के टैरिफ के बाद तबाह हो जाएंगे कई सेक्टर, खतरे में लाखों नौकरियां, CTI नें प्रधानमंत्री को लिखा पत्र

US Tariff: CTI के चेयरमैन बृजेश गोयल ने कहा है कि बढ़े हुए टैरिफ के कारण भारतीय उत्पाद अमेरिकी बाजार में अन्य देशों के सामान के मुकाबले लगभग 35 प्रतिशत तक महंगे हो जाएंगे। इससे अमेरिकी खरीदारों का रुझान अन्य देशों के उत्पादों की ओर बढ़ सकता है।

US Tariff: अमेरिका ने भारत पर 50 परसेंट का टैरिफ लगा दिया है जिसकी वजह से भारत के कई सेक्टर पर गंभीर संकट छा गया है। लाखों नौकरियां जा सकती है जिसे देखते हुए चैंबर आफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र पत्र लिखा है।

इस पत्र में कहा गया है कि इस कदम से टेक्सटाइल लीटर रत्न एवं आभूषण ऑटो कंपोनेंट केमिकल फार्मा सी फूड इंडस्ट्री और इलेक्ट्रॉनिक जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर काफी असर पड़ेगा और इस सेक्टर में काम करने वाले लाखों लोगों की नौकरी चली जाएगी। मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो 10 लाख लोगों की नौकरी तो अभी के समय में ही जा सकती है।

भारतीय उत्पाद होंगे महंगे (US Tariff)

CTI के चेयरमैन बृजेश गोयल ने कहा है कि बढ़े हुए टैरिफ के कारण भारतीय उत्पाद अमेरिकी बाजार में अन्य देशों के सामान के मुकाबले लगभग 35 प्रतिशत तक महंगे हो जाएंगे। इससे अमेरिकी खरीदारों का रुझान अन्य देशों के उत्पादों की ओर बढ़ सकता है।

निर्यात पर गहरा असर

भारत के 48 अरब अमेरिकी डॉलर से ज्यादा मूल्य के निर्यात पर इसका सीधा प्रभाव पड़ने की आशंका है। इंजीनियरिंग गुड्स, जिनका पिछले साल 1.7 लाख करोड़ रुपये का निर्यात हुआ था, पर भी भारी दबाव होगा। रत्न और आभूषण उद्योग, जो 90,000 करोड़ रुपये का निर्यात करता है, और तेजी से बढ़ता इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र भी संकट में आ सकता है।

फार्मा सेक्टर को नुकसान

भारतीय दवा उद्योग, जो अमेरिका को 92,000 करोड़ रुपये का निर्यात करता है, भी इस फैसले से प्रभावित होगा। पहले ड्यूटी-फ्री रही दवाओं पर अब 50 प्रतिशत शुल्क लगने से उनकी कीमतें बढ़ जाएंगी, जिससे भारतीय कंपनियों का प्रतिस्पर्धात्मक लाभ खत्म हो सकता है।

CTI का सुझाव

CTI ने सरकार से आग्रह किया है कि भारत को इस टैरिफ का जवाब देने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। अमेरिकी उत्पादों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाकर भारत को अपनी स्थिति मजबूत करनी होगी। साथ ही, जर्मनी, ब्रिटेन, सिंगापुर और मलेशिया जैसे नए बाजारों की तलाश करनी चाहिए, जहां भारतीय उत्पादों की मांग बढ़ रही है।

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भारत को इस चुनौती का सामना करने के लिए रणनीतिक कदम उठाने की जरूरत है। आत्मनिर्भरता बढ़ाने और वैश्विक बाजार में अपनी स्थिति मजबूत करने से भारतीय उद्योगों को इस संकट से उबरने में मदद मिलेगी।

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