Hindu Rites: हिंदू धर्म में कुल 40 संस्कारों का उल्लेख मिलता है। ये वो संस्कार होते हैं जिसे व्यक्ति को अपने जन्म से लेकर मृत्यु तक निभाता है। इन संस्कारों का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति की उन्नति करना, उसका आध्यात्मिक विकास करना और उसे सामाजिक आदर्शों के प्रशिक्षण को सुनिश्चित करना है। इन 40 संस्कारों में मुख्य सोलह संस्कार होते हैं जिसे संस्कारान्योन्य या संस्कृतियां भी कहा जाता है। ये 16 प्रमुख संस्कार प्राचीन काल से सनातन धर्म में चले आ रहे हैं और इसे मनुष्य का प्रमुख कर्म भी माना जाता है। तो आइए जानते हैं हिंदू धर्म के कुछ प्रमुख संस्कारों के बारे में:
सनातन धर्म के कुछ प्रमुख संस्कार
∆ गर्भाधान संस्कार
यह संस्कार संतान प्राप्ति के लिए किया जाता है। महर्षि चरक के अनुसार उत्तम संतान प्राप्ति के लिए स्त्री पुरुष को उत्तम भोजन लेना चाहिए और मन को प्रसन्न और सकारात्मक रखना चाहिए।
∆ पुंसवन संस्कार
यह संस्कार गर्भ में पल रहे बच्चे की सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए किया जाता है। यह संस्कार गर्भधारण करने के 3 महीने बाद किया जाता है क्योंकि इसी वक्त मां के गर्भ में शिशु के मस्तिष्क का विकास शुरू होने लगता है।
∆ जातकर्म संस्कार
यह संस्कार शिशु के जन्म के बाद किया जाता है, जिसमें शिशु को घी या शहद चटा कर वेद मंत्रों का पाठ किया जाता है। इस संस्कार से शिशु के कई दोष दूर हो जाते हैं।
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∆ नामकरण संस्कार
शिशु के जन्म के 11 दिन बाद किया जाने वाला ये संस्कार बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इसमें शिशु को नाम दिया जाता है जो जीवन भर उसके साथ रहता है और उसके जीवन को सकारात्मक बनाता है।
∆ अन्नप्राशन संस्कार
यह संस्कार शिशु के जन्म के 6 से 7 महीने बाद किया जाता है। इस संस्कार में शिशु को अन्न खिलाया जाता है, जिसके बाद से शिशु थोड़ा-थोड़ा भोजन करना शुरु कर देता है।
∆ चूड़ाकर्म संस्कार
यह संस्कार तब किया जाता है जब शिशु 1,3,5 या 7 वर्ष का हो जाता है। इस संस्कार को मंडल भी कहते हैं जिसमें पहली बार शिशु के बाल काटे जाते हैं। इस संस्कार से शिशु के बालों के साथ कई प्रकार के रोग और जीवन में आने वाली कठिनाइयां भी दूर हो जाती है।
∆ विवाह संस्कार
यह संस्कार तब किया जाता है जब व्यक्ति विवाह के योग्य हो जाता है। इस संस्कार में वर-वधु मंत्रों के साथ जीवन भर साथ निभाने का वचन देते हैं और माता-पिता एवं देवी-देवताओं के आशीर्वाद से अपना नया जीवन शुभारंभ करते हैं।
∆ अंत्येष्टि संस्कार
इसे अंतिम संस्कार भी कहा जाता है जो कि मनुष्य की मृत्यु के बाद किया जाता है। इस संस्कार में शरीर को अग्नि में समर्पित कर उसे मृत्यु लोग से मुक्त करके उसके लिए मोक्ष के द्वार खोल दिए जाते हैं।
∆ श्राद्ध संस्कार
यह संस्कार पित्र देवता के लिए की जाती है ताकि वे प्रसन्न हो और उनकी आत्मा को शांति मिले।
डिस्क्लेमर: इस लेख में लिखित किसी भी जानकारी अथवा गणना की विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। यह जानकारी विभिन्न माध्यमों, मान्यताओं और धर्मग्रंथों से संग्रहित कर आप तक पहुंचाई गई है।
(यह ख़बर विधान न्यूज के साथ इंटर्नशिप कर रहे गौरव श्रीवास्तव द्वारा तैयार की गई है।)
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