Middle East War: मिडिल ईस्ट में महायुद्ध का काउंटडाउन शुरू, तो क्या तीसरे विश्व युद्ध का होने वाला है आगाज?

Middle East Tension War: मिडिल ईस्ट में तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। इजराइल के खिलाफ हमास और इरान के बाद रूस भी मोर्चा खोलने की तैयारी में हैं। वहीं इजराइल के साथ अमेरिका और यूरोपियन यूनियन के देश खड़े हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या तीसरे विश्व युद्ध का आगाज मिडिल ईस्ट होने वाला है ?

कुन्दन सिंह, संवाददाता: मिडिल ईस्ट महायुद्ध (Middle East Tension War) का काउंटडाउन में शुरू हो गया है। ईरान की मिसाइलें और ड्रोन बंकर से बाहर निकले जा रहे हैं। वहीं रूस ने भी ईरान के साथ दोस्ती निभाने की हुंकार भर दी है। इसके साथ ही हिजबुल्लाह, हूती के बाद अब सीरिया भी जंग में कूदने की तैयारी में है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या मिडिल ईस्ट से तीसरे विश्व युद्ध का आगाज में होने वाला है?

हमास लीडर इस्माइल हानिया की मौत से ईरान बौखलाया हुआ है। उसने इजरायल को तबाह करने की कसम खाई है। इसलिए पूरी दुनिया की नजरें इस वक्त ईरान पर टिकी हैं क्योंकि उसके साथ रूस खडा हो गया है। जिसने इजरायल ही नहीं बल्कि अमेरिका और नाटो देशों की चिंता बढा दी है।

मिडिल ईस्ट में जंगी हलचल इस वक्त तेज हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक ईरान ने अबकी बार इजरायल पर बडा हमला करने का प्लान बनाया है। जिसके लिए उसने अपनी घातक मिसाइलों को मोर्चे पर तैनात करना शुरू कर दिया है। साथ ही घातक एडवांस ड्रोन ब्रिगेड से भी हमला करने की तैयारी शुरू कर दी है। ईरान के इस प्लान में रूस भी साथ देने उतर गया है, क्योंकि यूक्रेन जंग में ईरान ने रूस को ड्रोन मदद भेजी थी। इसलिए दोस्ती निभाने की बारी अब रूस की है।

मीडिया रिपोर्ट्स में दावा है ईरान को रूस ने शक्तिशाली लॉन्ग रेंज कम्यूनिकेशन जैमिंग सिस्टम दिया है। जिसे ईरान ने अलग-अलग जगह पर तैनात कर दिया है। इस जैमिंग सिस्टम का नाम है ‘मरमंस्क-बीएन’। ये सिस्टम थलसेना और वायुसेना के साथ-साथ हाई फ्रीक्वेंसी के आर्मी सैटेलाइट के बीच होने वाले कम्यूनिकेशन को जैम करने में सक्षम है।

रूस ने ये शक्तिशाली जैमिंग सिस्टम खासतौर पर अमेरिका और नाटो के हाई फ्रीक्वेंसी आर्मी सैटेलाइट सिस्टम को जैम करने के लिए तैयार किया है। जिसे अब ईरान को दिया गया है ताकि इजरायल और अमेरिका के हमले से ईरान को बचाया जा सके।

अमेरिकी सैन्य विशेषज्ञों के मुताबिक रूस का ये जैमिंग सिस्टम 3 हजार किलोमीटर की दूरी तक कवरेज दे सकता है। यानि पूरे ईरान को ये कवर कर देगा और ईरान की तरफ आने वाली मिसाइलें, ड्रोन, फाइटर जेट कम्यूनिकेट नहीं कर पाएंगे। सैटेलाइट से भी मदद नहीं ले पाएंगे।

इतना ही नहीं खबर है कि ईरान को रूस हथियारों का बडा जखीरा भी भेज सकता है। जिसमें किंझल हाइपरसोनिक मिसाइल भी शामिल हो सकती है…रूस नया एयर डिफेंस सिस्टम भी भेजने की तैयारी कर रहा है। हालांकि ईरान के पास रूस का S-300 डिफेंस सिस्टम पहले से ही मौजूद है। लेकिन ये डिफेंस सिस्टम इजरायल के F-35 फाइटर जेट के हमले को रोकने में सक्षम नहीं है। इसलिए ईरान ने रूस से मदद मांगी है।

माना जा रहा है कि अगर रूस ने ईरान को किंझल मिसाइल और S-400 डिफेंस सिस्टम दिया तो मिडिल ईस्ट में महायुद्ध का छिडना तय है। क्योंकि इजरायल के लिए इनके हमले से खुद को बचाना नामुमकिन सा हो जाएगा। पहले ही इजरायल और अमेरिका, ईरान की मिसाइल और ड्रोन ताकत से परेशान हैं।

ईरान ने पिछले कुछ साल में अपनी मिसाइल और ड्रोन ताकत कई गुना बढा ली है। ईरान के पास ऐसी मिसाइलें हैं जो लाल सागर को पार करने और इजरायल के सभी शहरों और मिडिल ईस्ट में अमेरिकी ठिकानों पर हमला करने में सक्षम हैं। जिन 9 मिसाइलों से ईरान हमला कर सकता है।

  • सेज्जिल मिसाइल- जिसकी रेंज 2000 किलोमीटर
  • गदर-एफ मिसाइल- जिसकी रेंज 1950 किलोमीटर
  • फतह-2 मिसाइल- इसकी रेंज 1800 किलोमीटर
  • खैबर मिसाइल- इसकी रेंज 2000 किलोमीटर
  • इमाद मिसाइल- रेंज 1700 किलोमीटर
  • हज कासेम मिसाइल- रेंज 1400 किलोमीटर
  • खैबर सेकन मिसाइल- रेंज 1400 किलोमीटर
  • पावेह मिसाइल- रेंज 1650 किलोमीटर
  • शाहाब-3 मिसाइल- रेंज 1000 किलोमीटर

इन मिसाइलों में फतह-2 मिसाइल को हाइपरसोनिक ताकत से लैस करने का दावा ईरान ने किया है और बताया जा रहा है कि ईरान के पास करीब 1000 से ज्यादा बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों का जखीरा है। मिसाइलों के साथ-साथ ईरान ने शाहेद, गाजा और मोहाजिर जैसे घातक हमलावर ड्रोन्स की ब्रिगेड भी तैयार कर रखी है। इससे पहले 14 अप्रैल को इजरायल पर हमले में ईरान ने ड्रोन की ताकत दिखाई भी थी हालांकि तब इजरायल ने ईरान के हमलों को बडी तादात में नाकाम किया था लेकिन अब ईरान ज्य़ादा घातक हमले का प्लान बना रहा है।

एक और खबर जिसने इजरायल और अमेरिका की परेशानी बढा दी है। वो ये कि ईरान के साथ-साथ रूस ने जंग में हिजबुल्लाह, सीरिया और हूती की मदद भी करने का भी प्लान बनाया है ताकि अमेरिका और नाटो को आगे बढने से रोका जा सके। हालांकि अमेरिकी मीडिया के हवाले से खबर है कि अमेरिका और सऊदी अरब के दवाब में रूस ने हूती को हथियारों की खेप को रोक दिया है लेकिन अगर जंग बढी तो रूस मदद भेज सकता है। जिससे लाल सागर में हूती आतंक मचा सकता है।

वहीं अब तक इजरायल के हमलों से खामोश रहा सीरिया भी जाग गया है। उसने भी इजरायल के खिलाफ जंग में उतरने का ऐलान कर लिया है। सीरिया भी इजरायल से गोलन हाइट्स में मिली हार का बदला लेने के लिए उतारू हो गया है। सीरिया की आर्मी ने जंग की तैयारी शुरू कर दी है। सीरिया की अलबशद सरकार को रूस और ईरान का समर्थन पहले से ही है।

साफ है कि इजरायल के खिलाफ ईरान ने ऐसा मोर्चा तैयार कर लिया है। जिसमें उसके साथ रूस, सीरिया, यमन, लेबनान और समर्थित आतंकी संगठन हिजबुल्लाह, हूती, हमास, इराकी मिलिशिया शामिल हैं और मिडिल ईस्ट में जंग की ये चिंगारी महायुद्ध के भडकने का संकेत देने लगी है।

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