धर्म-शास्त्रों में भंडारे यानी अन्नदान को महादान बताया गया है। इसमें आर्थिक रुप से कमजोर लोगों को प्रसाद या फिर भोजन कराया जाता है।
भंडारे में संपन्न और सक्षम व्यक्ति के भोजन को गरीब या जरूरतमंद के हिस्से को हड़पने के समान बताया गया है।
शास्त्रों के अनुसार ऐसा करने से उक्त जातक अशुभ फल मिलता है और उनके जीवन में दुर्भाग्य आने लगता है। साथ ही वह पाप का भी भागीदार बनता है।
मान्यता के मुताबिक ऐसा करने से माता मां लक्ष्मी भी उक्त जातक से रूठ जाती हैं।
उस व्यक्ति का दुर्भाग्य शुरू हो जाता है। नौकरी हो या व्यापार सभी क्षेत्रों में दिक्कतें आनी शुरू हो जाती है।
शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि सक्षम व्यक्ति के बंडारे में भोजन से भगवान विष्णु नाराज होते हैं और उनकी कृपा नहीं बरसती है।
भंडारे में भोजन करना अगर बहुत ही जरूरी तो इसके आयोजन में अपनी क्षमता के अनुसार जरूर ही कुछ न कुछ सहयोग करना चाहिए।
भंडारे में आर्थिक के साथ-साथ और आप अपनी सेवा का भी सहयोग दे हैं। इससे आपको भंडारे में भोजन का पाप नहीं लगेगा और गरीबों को भोजन कराने का पुण्य भी मिलेगा।
इसलिए भंडारे के आयोजन के लिए हमें कुछ न कुछ दान पुण्य जरूर करना चाहिए। ताकि इससे जरूरत मंदों को कम से कम एक वक्त का खाना आसानी से मिल जाता है।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। Vidhan News इसकी पुष्टि नहीं करता है।