Hanuman Ji

पूर्व की तरफ जो मुंह है उसे 'वानर' कहा गया है। इनका पूजन करने से समस्त शत्रुओं का नाश और दुश्मनों पर विजय पाई जा सकती है।

पूर्वमुखी

पश्चिम की तरफ जो मुंह है उसे 'गरूड़' कहा गया है। यह रूप संकटमोचन है। भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ इनको भी अजर-अमर माना गया है।

पश्चिममुखी

शुभ और मंगल की कामना उत्तरामुखी हनुमान की उपासना से पूरी होती है। इनकी उपासना करने से अबाध धन-दौलत, ऐश्वर्य, प्रतिष्ठा, निरोगी काया प्राप्त होती है।

उत्तरामुखी हनुमान

दक्षिण की तरफ जो मुंह है उसे 'भगवान नृसिंह' कहा गया है। यह रूप अपने उपासको को भय, चिंता और परेशानीयों से मुक्त करवाता है। 

दक्षिणामुखी हनुमान

हनुमानजी का ऊर्ध्वमुख रूप 'घोड़े' के समरूप है। मान्यता है कि हयग्रीवदैत्य का संहार करने के लिए वे अवतरित हुए थे।

ऊर्ध्वमुख

उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण दिशा में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरुड़ मुख, आकाश की तरफ हयग्रीव मुख एवं पूर्व दिशा में हनुमान मुख सब संकट हरते हैं। 

पंचमुखी हनुमान

हनुमान जी के इन 12 नामों

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एकादशी और पंचमुखी हनुमान जी पूजा से सभी देवी और देवताओं की उपासना के फल मिलते हैं, इसलिए इनकी पूजा अवश्य करें।

एकादशी हनुमान

इस नाम से हनुमानजी की प्रतिमा की पूजा जीवन में साहस, बल, पराक्रम और आत्मविश्वास प्रदान कर सभी कार्यों की बाधाओं को दूर करती है।

वीर हनुमान

जरूरी एकाग्रता और लगन देने वाली होती है। इस मूर्ति या चित्र में हनुमानजी हाथ में करताल लेकर राम की भक्ति करते नजर आएंगे।  

भक्त हनुमान

शास्त्रों के मुताबिक श्रीहनुमान के गुरु सूर्यदेव हैं। सूर्यमुखी हनुमान की उपासना से ज्ञान, विद्या, ख्याति, उन्नति और सम्मान मिलता है। सूर्यमुखी हनुमान को ही पूर्वमुखी हनुमान कहते हैं।

सूर्यमुखी हनुमान

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