गोकर्ण यह कर्नाटक के उत्तरी कना जिले में स्थित है। यह उन पर्यटकों के लिए स्वर्ग है, जो शहरी भागदौड़ से दूर प्रकृति की गोद में शांत और रोमांचक समय व्यतीत करना चाहते हैं।
अरब सागर के तट पर स्थित यह छोटा-सा शहर प्राचीन काल से दक्षिण-पश्चिम भारत के महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध रहा है।
गोकर्ण को हिंदू मान्यता के सात प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक माना जाता है। यहां के लगभग सभी धार्मिक स्थलों की अपनी कहानियां हैं।
यहां ओम बीच पर जेट स्की का आनंद लिया जा सकता है, वहीं अरब सागर के समुद्री तरंगों संग अठखेलियां बनाना बोट पर बैठ कर की जा सकती है।
गुफा ट्रेकिंग पसंद करने वाले लोगों के लिए भी यह एक उपयुक्त स्थल है। गोकर्ण से लगभग 40 किलोमीटर दूर स्थित यह स्थान घने जंगल के बीचो बीच याना गांव में है।
यहां महाबलेश्वर मंदिर में दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। इस मंदिर को कर्नाटक के प्राचीनतम मंदिरों में से एक होने का गौरव प्राप्त है।
रामायण और महाभारत जैसे पौराणिक महाकाव्यों में भी इस मंदिर का जिक्र मिलता है। उन ग्रंथों में इस मंदिर के महत्व के कारण ही गोकर्ण को 'दक्षिण का काशी' कहा गया।
महाबलेश्वर मंदिर से थोड़ी ही दूरी पर कोटी तीर्थ नामक तालाब स्थित है। इसके बारे में मान्यता है कि यह हजारों धाराओं का उद्गम स्थल है। मान्यता है कि इसमें स्नान करने से पापों का नाश होता है।
गोकर्ण में समुद्र तट पर योगाभ्यास का अनोखा अनुभव लिया जा सकता है। कुड्ले बीच पर योग द्वारा आंतरिक शांति की तलाश में आए लोगों को देखा जा सकता है।
यहां आएं तो आप जटायु तीर्थ जरूर जाएं। गोकर्ण के धार्मिक आकर्षणों में इसका भी अपना महत्व है।
यहां पहुचने के लिए सबसे निकट का हवाई अड्डा गोवा में है, जहां से गोकर्ण की दूरी लगभग डेढ़ सौ किलोमीटर है। वहां से सड़क मार्ग द्वारा जाया जा सकता है।
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