Chhath Puja : जानें छठ पर नाक से माथे तक सिंदूर लगाने का महत्त्व ??

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लोक आस्था का महापर्व छठ शुरू होते ही लोगों में एक अलग ही भावना उमड़ जाती है। छठ पूजा के इसी उत्साह के साथ देशभर में धूमधाम से तैयारियां की जाती हैं।

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छठ पूजा के दौरान व्रती महिलाएं अपनी आस्था और भक्ति से नाक तक सिन्दूर लगाती हैं, जिसका विशेष महत्व होता है। 

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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सिन्दूर सुहागन स्त्री की निशानी होती है और नाक से लेकर माथे तक सिन्दूर भरने का अर्थ है पति की लंबी उम्र के लिए कामना करना।

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मान्यताओं के अनुसार, जो महिला जितना लंबे समय तक सिन्दूर लगाती है, उसके पति की उम्र उतनी ही लंबी होती है। महिलाएं नाक से लेकर माथे तक सिन्दूर लगाती हैं।

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एक पौराणिक कथा के अनुसार कहा जाता है कि जब दुशासन दहाड़ते हुए द्रौपदी के कक्ष में पहुंचा तो ऋतु ने स्नान नहीं किया था और इसलिए उसने मांग में सिन्दूर भी नहीं लगाया था।

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ऐसे में दुशासन ने कहा कि तुमने अभी तक यह भी तय नहीं किया है कि तुम्हें किसके नाम का सिन्दूर लगाना है और इतना कहकर वह द्रौपदी की कलाई पकड़कर खींचने लगा।

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द्रौपदी अपने पतियों के सामने बिना सिन्दूर लगाए नहीं जा पाती थी। इसलिए उसने झट से सिन्दूरदानी को अपने सिर के ऊपर कर लिया।

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इसके बाद गलती से सिन्दूर नाक तक चला गया इसलिए कपड़े उतारने के बाद द्रौपदी अपने बाल खुले रखती थीं और हमेशा लम्बा सिन्दूर नाक तक लगाती थीं।

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छठ पूजा में तीन प्रकार के सिन्दूर का प्रयोग किया जाता है। पहला सिन्दूर लाल रंग का, दूसरा सिन्दूर पीला या नारंगी, तीसरा सिन्दूर मिट्टी वाला सिन्दूर होता है।

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छठ पूजा में दो बड़े बांस की टोकरी आवश्यक होती है, जिन्हें सामान्य भाषा में सूप के नाम से जाना जाता है।

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छठ पूजा के दिन व्रती महिलाएं व्रत की कथा सुनने के बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य दें। अर्घ्य देने के लिए गाय का कच्चा दूध आवश्यक माना जाता है।

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इसके बाद लाए गए सभी समाग्रियों से भगवान सूर्य को भोग लगाएं और परिवार के सुख-समृद्धि की कामना करें।

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विधान हिंदी समाचार

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