Dharm Visesh: इन 10 वजहो  से नहीं होती है एक ही गोत्र में शादी, जानिए क्या कहता है धर्मशास्त्र    

Author: Jyoti Mishra

Published Date: 08/08/2024

हिंदू धर्म में शादी को बहुत पवित्र संस्कार माना जाता है। इसलिए विवाह से पहले कुंडली मिलान की प्रथा है। इस दौरान लड़के-लड़की के ग्रहों के साथ उनके गोत्र का भी विशेष महत्व होता है। ब्राम्हण एवं अन्य हिंदू समुदायों में एक ही गोत्र में शादी करना अनुचित माना जाता है। 

एक ही गोत्र में नहीं होती शादी 

हिंदुओं में गोत्र का विशेष महत्व है। वेदों के अनुसार मनुष्य जाति विश्वामित्र, जमदग्नि, भारद्वाज, गौतम, अत्रि, वशिष्ठ, कश्यप और अगस्त्य जैस महान ऋषियों की वशंज हैं।  

हिंदू धर्म में मायने रखता है गोत्र

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार प्रत्येक ऋषि की अपनी प्रतिष्ठा है। ऐसे में अगर कोई व्यक्ति एक ही गोत्र में शादी करते हैं तो वह एक ही परिवार के माने जाते हैं।  

प्रतिष्ठा की होती है हानि

शास्त्रों के अनुसार एक ही वंश में जन्मे लोगों का विवाह हिंदू धर्म में पाप माना जाता है। ऋषियों के अनुसार ये गौत्र परंपरा का उल्लंघन माना जाता है। 

एक ही गोत्र में शादी करना है पाप 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एक गोत्र में शादी करने से विवाह दोष लगता है। इससे पति-पत्नी के सबंधों में दरार पड़ने का खतरा रहता है।  

पति-पत्नी के संबंधों में आता है खतरा 

कई विद्वानों के अनुसार एक ही गोत्र में शादी करने से होने वाली संतान को भी कष्ट झेलने पड़ते हैं। इससे संतान में कई अवगुण और रोग उत्पन्न हो सकते हैं।   

संतान होने में होता है कष्ट 

गोत्र परंपरा का नाता रक्त संबंधों से होता है। ऐसे में एक ही कुल में शादी करने से न सिर्फ होने वाली संतान में शारीरिक दोष बल्कि चरित्र और मानसिक दोष भी हो सकते हैं।

एक ही गोत्र में शादी करने से लगता है संतान दोष 

एक ही गोत्र में कई अलग-अलग कुल होते हैं। इसलिए अलग-अलग समुदायों की अपनी परंपराएं हैं। कहीं 4 गोत्र टाले जाते हैं तो किसी वंश में 3 गोत्र टालने का भी नियम है। इससे विवाह में किसी तरह का दोष नहीं लगता है।   

गोत्र टालने का भी नियम है 

विधान हिंदी समाचार

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