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शनि के दुष्प्रभाव से निजात पाने के लिए व्यक्ति को काली गाय की सेवा करनी चाहिए। पहली रोटी काली गाय को खिलाएं। उसके सींग पर गौली बांधें, तिलक भी करें। फिर काली गाय को मोतीचूर के लड्डू खिलाएं और उसके चरण स्पर्श करें।
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हर दिन पूजा करते समय महामृत्युंजय मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप करें। इससे शनिदेव के दुष्प्रभावों से मुक्ति मिलती है।
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भोजन में काला नमक का सेवन करें शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए दोनों समय के भोजन में आपको काला नमक और काली मिर्च का इस्तेमाल करना चाहिए।
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घर में किसी अंधेरी जगह पर सरसों का तेल एक कटोरी में भरकर और उसमें तांबे का सिक्का डालकर रखें।
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शनि ढैया से निजात पाने के लिए शुक्रवार की रात 8 सौ ग्राम काले तिल पानी में भिगोएं। फिर शनिवार को सुबह उन्हें पीसकर गुड़ में मिलाकर 8 लड्डू बनाएं। इन्हें किसी काले घोड़ें को खिला दें। ऐसा 8 शनिवार तक करें।
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साढ़ेसाती से निजात पाने के लिए शनिवार को अंधेरा होने के बाद पीपल पर मीठा जल अर्पित चढ़ाएं। साथ ही सरसों के तेल का दीपक और अगरबत्ती जलाएं। फिर हनुमान, भैरव और शनि चालीसा का पाठ करें। इसके बाद पीपल के पेड़ की सात परिक्रमा भी करें।
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प्रत्येक शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे सूरज उगने से पहले कड़वे तेल का दीपक जलाएं। साथ ही शुद्ध कच्चा दूध एवं धूप भी अर्पित करें।
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शनिवार के दिन अपने हाथ के नाप का 29 हाथ लंबा काला धागा लें। इसे अच्छे से मांझ लें और गले में पहन लें।
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