भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से गणेश उत्सव की शुरुआत होती है।
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हिंदू धर्म में गणेश जी की सबसे पहले पूजा की जाती है, किसी भी शुभ और मांगलिक कार्य की शुरुआत से पहले भगवान गणेश को नमन किया जाता है।
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सबसे पहले पूजा करने से गणेश जी के आशीर्वाद से भक्तों की सारी मनोकामनाएं भी पूरी हो जाती हैं और सारे कष्टों का नाश हो जाता है।
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वास्तु के अनुसार भगवान गणपति जी की कृपा हमारे ऊपर तभी बनी रहती है, जब सही दिशा और सही जगह पर उन्हें स्थापित करना चाहिए। उन्हें उत्तर-पूर्व की दिशा में स्थापित करना चाहिए।
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गणेश जी को घर में एक उचित स्थान पर स्थापित कराना बहुत जरूरी है, ऐसा करने से ही घर में सुख-समृद्धि बनी रहेगी।
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वास्तु शास्त्र के मुताबिक, गणेश जी की मूर्ति की स्थापना को विशेष महत्व दिया गया है, गणपति जी की मूर्ति घर में विराजमान करने से घर में खुशियां आती हैं।
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ऐसी मान्यता है कि देवी-देवताओं के लिए कुछ दिशाएं उचित नहीं होती, उसके हिसाब से घर की दक्षिण दिशा में भूलकर भी गणपति जी की स्थापना न करें, क्योंकि दक्षिण दिशा यमराज की दिशा होती है।
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गणेश जी की स्थापना के लिए घर की उत्तर-पूर्व दिशा सबसे उत्तम मानी जाती है, गणेश जी की पूजा-अर्चना करने और व्रत आदि रखने से भक्तों पर जीवनभर गणेश जी की कृपा बनी रहेगी।
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भगवान गणेश की मूर्ति एक बार स्थापित हो जाए, तो उसे वहां से हटाएं नहीं। मुर्ती को विसर्जन के समय ही वहां से हटाया जा सकता है।
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साथ ही ध्यान रखें कि गणेश उत्सव के 10 दिनों तक नॉन वेज या शराब आदि का सेवन न करें।
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